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    हल्दी- कटहल- जामुन से बने ये 5 शख्स अमीर, आज करते हैं करोड़ों की कमाई; कैसे बनाया इतना बड़ा बिजनेस

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 04:34 PM (IST)

    इस लेख में उन पांच किसानों की सफलता की कहानियां (Success Story) हैं, जिन्होंने हल्दी, कटहल, चीकू, केला और जामुन जैसी फसलों में नवाचार और प्रोसेसिंग के ...और पढ़ें

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    एक समय था जब कटहल बेकार समझा जाता था, जामुन खेत में ही सड़ जाया करता था। 

    नई दिल्ली। एक समय था जब कटहल बेकार समझा जाता था, जामुन खेत में ही सड़ जाया करता था। वहीं हल्दी, केला या चीकू से लागत भी नहीं निकाल पाती थी। लेकिन आज यही फसलें लाखों-करोड़ों रुपये की कमाई का जरिया बन चुकी हैं। यहां हम आपको देश के अलग-अलग कोनों के किसानों के बारे में बता रहे हैं जो खेती को सिर्फ उगाने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसमें दिमाग, प्रयोग और प्रोसेसिंग जोड़ दी। नतीजा यह हुआ कि जो फसलें कभी घाटे का सौदा थीं, वही आज ब्रांड बन गईं।
    यह कहानी है उन पांच किसानों की, जिन्होंने मिट्टी से जुड़े रहकर सोच को बदला और खेत को सीधे कमाई के बिजनेस मॉडल में बदल दिया। आप भी इनसे सीख कर सक्सेस पा सकते हैं।

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    1. हल्दी से हर एकड़ 3 लाख की कमाई

    मध्य प्रदेश की कंचन वर्मा ने 2020 में हल्दी की खेती शुरू की। कटाई के बाद वे हल्दी को धोने, उबालने, सुखाने, छीलने और पीसने की 15 दिन की प्रक्रिया से पाउडर बनाती हैं। 100 क्विंटल कच्ची हल्दी प्रोसेस होकर 20 क्विंटल पाउडर बनती है, लेकिन दाम कई गुना बढ़ जाता है। जहां लागत सिर्फ 50 हजार रुपये प्रति एकड़ आती है, वहीं कमाई 3 लाख रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच जाती है। वे फार्म से ही 150 रुपये किलो के हिसाब से हल्दी बेचती हैं और स्थानीय बाजार में भारी मांग है।

    2. कटहल से सालाना 8 लाख की कमाई

    केरल के इडुक्की की 57 वर्षीय रानी सनी ने कटहल को साधारण फल से बिज़नेस प्रोडक्ट बना दिया। घर के पास एक छोटे से कमरे से शुरू हुए उनके उद्यम ईडन जैकफ्रूट प्रोडक्ट्स में आज सूखा कटहल, कटहल पाउडर, फ्रोजन टेंडर कटहल, पल्प और बीजों से बने उत्पाद तैयार होते हैं।

    इन उत्पादों से सप्लीमेंट, कटलेट और बर्गर पैटी तक बनाई जाती हैं। इस वैल्यू एडिशन की बदौलत रानी सनी आज सालाना करीब 8 लाख रुपये कमा रही हैं। यह साबित करता है कि सही प्रोसेसिंग से साधारण फसल भी सोने की खान बन सकती है।

    चीकू प्रोसेसिंग से हर साल 40% ग्रोथ

    महाराष्ट्र के निनाद, अच्युत और लतिका पाटिल ने चीकू को सोलर ड्रायर की मदद से प्रोसेस कर नया बाज़ार खड़ा किया। पारंपरिक धूप में सुखाने में जहां 3-4 दिन लगते थे, वहीं सोलर ड्रायर से यह काम सिर्फ एक दिन में हो जाता है।
    इस तकनीक से चीकू की शेल्फ लाइफ 3 महीने से बढ़कर 9 महीने हो गई और पोषण का 90% हिस्सा बरकरार रहा। उत्पादन 50 किलो से बढ़कर 250 किलो तक पहुंचा और गोल्ड ऑर्चर्ड्स की बिक्री हर साल 40% की दर से बढ़ रही है, जिससे किसानों की आमदनी लगातार बढ़ रही है।

    केले से 50 लाख सालाना

    महाराष्ट्र के जलगांव में अशोक और कुसुम गाड़े ने कच्चा केला बेचने के बजाय उससे बिस्किट, चिप्स, जैम, कैंडी, पापड़, सेव और लड्डू बनाने शुरू किए। उनके केले के बिस्किट बाजार में खासे लोकप्रिय हुए। आज वे हर हफ्ते 200 से 350 किलो बिस्किट बेचते हैं।
    उनकी कंपनी संकल्प एंटरप्राइजेज से सालाना करीब 50 लाख रुपये की कमाई हो रही है। यह दिखाता है कि एक ही फसल से कई उत्पाद बनाकर मुनाफा कई गुना बढ़ाया जा सकता है।

    जामुन से 2 करोड़ का कारोबार

    जामुन जल्दी खराब होने वाला फल है, जिससे किसानों को अक्सर नुकसान होता है। इसी समस्या को हल करने के लिए 2021 में राजेश ओझा ने राजस्थान के बेरा में ट्राइबलवेदा की शुरुआत की।
    उन्होंने जामुन की खरीद, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का काम शुरू किया और आदिवासी महिलाओं को इससे जोड़ा। इससे उन्हें पहले के मुकाबले तीन गुना ज्यादा कमाई होने लगी। आज ट्राइबलवेदा एक स्थापित ब्रांड बन चुका है और इसका वार्षिक टर्नओवर करीब 2 करोड़ रुपये है।
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