Move to Jagran APP

ब्‍याज दरों में बदलाव नहीं करेगा RBI, जानकारों ने सर्वे में दिया यह मत

पोल में अर्थशास्त्रियों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने नीतिगत दरों को स्थिर रखे जाने की संभावना के लिए अर्थव्यवस्था की रिकवरी को महत्वपूर्ण कारक बताया है। मौद्रिक नीति समीक्षा (एमपीसी) बैठक पहले 7 फरवरी से 9 फरवरी तक होने वाली थी।

By Ashish DeepEdited By: Published: Tue, 08 Feb 2022 12:02 PM (IST)Updated: Tue, 08 Feb 2022 01:49 PM (IST)
आरबीआई दस फरवरी को बैठक के परिणामों को घोषित करेगा।

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से जूझ रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों को स्थिर रखने की घोषणा कर सकता है। आईएएनएस द्वारा किये गये पोल में अर्थशास्त्रियों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने नीतिगत दरों को स्थिर रखे जाने की संभावना के लिए अर्थव्यवस्था की रिकवरी को महत्वपूर्ण कारक बताया है।

loksabha election banner

आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (एमपीसी) बैठक पहले 7 फरवरी से 9 फरवरी तक होने वाली थी लेकिन अब यह 8 फरवरी से दस फरवरी तक होगी। आरबीआई दस फरवरी को बैठक के परिणामों को घोषित करेगा। इससे पहले आरबीआई की एमपीसी की बैठक गत साल दिसंबर में हुई थी और उसने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। फिलहाल वाणिज्यिक बैंकों के लिए रेपो दर चार प्रतिशत पर स्थिर है और रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत पर स्थिर है।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि अनिश्चितता को देखते हुए इस बार हमें उम्मीद है कि एमपीसी नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हालांकि कोरोना की तीसरी लहर के सीमित प्रभाव को देखते हुए कहा जा सकता है कि अप्रैल से नीतिगत फैसले सामान्य होंगे और संभवत: रिवर्स रेपो दर में में बढ़ोतरी होगी।

इंडियन रेटिंग्स एंड रिसर्च के सहायक निदेशक सौम्यजीत नियोगी ने कहा कि कोरोना महामारी का भय काफी कम हुआ है जबकि घरेलू स्तर पर महंगाई और वैश्विक दर का परिदृश्य तेजी से विपरीत हो रहा है। आरबीआई ने सफलतापूर्वक लिक्विडिटी की स्थिति को सामान्य किया है। इसी कारण रिवर्स रेपो दर में 15 आधार अंकों की बढ़ोतरी किये जाने की संभावना है।

दुनिया भर में बढ़ती महंगाई से उबरने के लिए कई महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंक कोरोना महामारी के समय नियमों में दी गई ढील को खत्म करके सामान्य कर रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैँड ने मौद्रिक नीति को सामान्य करने की शुरूआत कर दी है। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने दिसंबर में ब्याज दर बढ़ाने की घोषणा कर दी है है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा भी दरों में वृद्धि की संभावना अधिक है।

एक्यूट रेंटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेष्षण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि हमारा मानना है कि एमपीसी अपनी इस बैठक में रिवर्स रेपो दर में 20 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर ब्याज दर के सामान्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। अर्थव्यवस्था के स्थिर होने तक रेपो दर स्थिर रखा जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एमपीसी की बैठक में अभी महंगाई के बजाय आर्थिक रिकवरी पर अधिक जोर दिया जायेगा।

हालांकि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के दामों में जनवरी में तेजी दर्ज की गई है। इस दौरान कच्चे तेल के दाम 91 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं। इसके अलावा बजट में उच्च वित्तीय घाटा लक्ष्य भी आरबीआई पर दरों को बढ़ाने का दबाव बना सकता है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 6.4 प्रतिशत तय किया गया है।

ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंद राव ने भी महंगाई के बावजूद नीतिगत दरों में बदलाव न किये जाने की संभावना जताई है। हालांकि उनका मानना है कि यह स्थिति ज्यादा समय तक बरकरार नहीं रहेगी क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और अधिक लिक्विडिटी से महंगाई बढ़ सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.