बिहार के चुनावी मैदान में यूपी का फैक्टर, क्या योगी सरकार का मॉडल करेगा काम?
बिहार विधानसभा चुनाव में यूपी का फैक्टर महत्वपूर्ण है। सीमावर्ती गांवों में योगी सरकार की नीतियों और विकास कार्यों की चर्चा है। यूपी भाजपा के दौरे से महिलाओं में जागरूकता आई है। लोग यूपी और बिहार की शासन व्यवस्था की तुलना करते हैं और योगी सरकार की नीतियों की सराहना करते हैं। 2025 के चुनाव में बसपा ने भी तैयारी शुरू कर दी है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
सुनील आनंद, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। बिहार विधानसभा चुनाव के मैदान में उत्तर प्रदेश (यूपी) का फैक्टर भी भरपूर है। सीमा से लगने वाले जिलों के गांवों में योगी सरकार के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद मॉडल से लेकर सपा-बसपा की राजनीति तक। ग्रामीण जीवन सरल और पारंपरिक है, लिहाजा पड़ोस की नीतियों और कार्यशैली की चर्चा से परहेज नहीं।
एक माह पहले यूपी भाजपा का 45 सदस्यीय दल इन गांवों में आया था। इसमें सांसद, विधायक, पूर्व विधायक, मेयर समेत संगठन की वरीय महिला सदस्य शामिल थीं। 15 दिनों के प्रवास में महिलाओं से संवाद कर पार्टी की नीतियों को बताया गया। इसका असर है कि चौखट की ओट में रहने वाली महिलाएं भी अब मुखर हैं।
पश्चिम चंपारण के तीन विधानसभा क्षेत्रों (लौरिया, नौतन एवं वाल्मीकिनगर) के 25 गांवों का यूपी की सीमा से जुड़ाव है। यहां के लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों के लिए निकटवर्ती बाजारों पर निर्भरता भी है। ऐसे में ये यूपी और बिहार की शासन और विधि-व्यवस्था तथा आर्थिकी की तुलना करते हैं।
योगी सरकार की नीतियों की सराहना, बिहार में लागू करने की चाह:
लौरिया क्षेत्र के लेदिहरवा निवासी शंभू प्रसाद कहते हैं कि दियारे में भयमुक्त माहौल बना है। बिजली घर-घर पहुंची है, पर योगी सरकार की जो ठसक है, वह बिहार में नहीं दिख रही। इस पर काम करने की जरूरत है। युवा रोजगार और प्रवासन पर बात करते हैं। भगवानपुर की सरिता देवी बेटियों की सुरक्षा के लिए योगी सरकार की नीतियों को सराहती हैं।
कहती हैं, यहां के भ्रष्टाचारियों के घरों पर भी बुलडोजर चलना चाहिए। हालांकि, उन्हें संतुष्टि है कि राज्य सरकार सबको लेकर चल रही। वृद्धा पेंशन की राशि में 700 रुपये वृद्धि की बात हो या स्वरोजगार के लिए दिए गए 10-10 हजार की।
लौरिया के सुभाष ठाकुर बताते हैं कि इस क्षेत्र के मतदाता सामाजिक और सांस्कृतिक मामलों के साथ विकास और सुरक्षा पर भी ध्यान देते हैं। योगी सरकार की कानून व्यवस्था, धार्मिक कार्यक्रमों के संयोजन ने समाज में अनुशासन विकसित किया है। यह सीमावर्ती क्षेत्रों के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
छह सीटों पर बसपा के प्रत्याशाी:
माना जाता है कि पड़ोसी राज्य की राजनीति और सरकार का मौजूदा चुनाव पर प्रभाव दिखता है। इसका एक कारण भाषा और संस्कृति भी है। 2000 के चुनाव में धनहा विस क्षेत्र (अब वाल्मीकिनगर) से बसपा के राजेश सिंह चुनाव जीते थे। हालांकि, बाद में वे राजद में सम्मिलित हो गए थे।
उसी प्रकार 2009 में नौतन विधानसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर नारायण प्रसाद चुनाव जीते थे। बाद में लोजपा में चले गए और भाजपा के टिकट पर लगातार दो बार जीतने के बाद अब तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। 2025 के चुनाव में भी बसपा ने नौतन, लौरिया, नरकटियागंज, सिकटा, रामनगर और वाल्मीकिनगर से अपना प्रत्याशी उतारा है।
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