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    Bihar: इस जिले में टोटल 9 विधानसभा, 8 पर अभी NDA का कब्जा; मगर 1 सीट पर टिकट के लिए घमासान

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 07:56 PM (IST)

    पश्चिमी चंपारण के सिकटा विधानसभा क्षेत्र में एनडीए के भीतर टिकट को लेकर घमासान मचा है। 2020 में बागी उम्मीदवार के चलते एनडीए को हार मिली थी। इस बार भी कई नेता टिकट की दौड़ में हैं जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। पूर्व मंत्री खुर्शीद फिरोज अहमद ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। 2020 में माले के वीरेंद्र गुप्ता ने यह सीट जीती थी।

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    पश्चिमी चंपारण में I.N.D.I.A की एक सीट पर एनडीए में टिकट के लिए घमासान

    जागरण संवाददाता, बेतिया। पश्चिमी चंपारण जिले में 9 विधानसभा सीटों में से एक मात्र सिकटा विधानसभा क्षेत्र से इंडी गठबंधन के घटक दल माले के विधायक हैं। शेष सभी आठ विधानसभा सीटों पर एनडीए का कब्जा है। इंडी गठबंधन में तो कोई टिकट का दावेदार नहीं है, लेकिन एनडीए में दावेदारों की लंबी लिस्ट है, जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में बागी उम्मीदवार के कारण ही एनडीए को इस सीट से पराजय मिली थी।

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    दरअसल, नेपाल की सीमा से लगने वाली इस विधानसभा सीट की भौगोलिक संरचना भी कुछ अलग- थलग है। सिकटा और मैनाटांड़ प्रखंड के साथ साथ नरकटियागंज प्रखंड के तीन पंचायत भी इस विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

    अनुसूचित जाति, वैश्य, मुस्लिम और यादव की बहुलता वाले इस सीट पर 2020 का चुनाव जिले में चल रहे एनडीए के लहर में भी माले के वीरेंद्र गुप्ता भ्रष्टाचार और भूमि को लेकर संघर्ष के मुद्दे पर जीते थे।इनके जीते के पीछे का मुख्य कारण एनडीए (भाजपा) के बागी दिलीप वर्मा बने।

    वीरेंद्र गुप्ता 2302 मतों के अंतर से भाजपा के बागी निर्दलीय दिलीप वर्मा से चुनाव जीते थे, जबकि एनडीए के जदयू उम्मीदवार पूर्व मंत्री खुर्शीद फिरोज अहमद को 35798 मत मिले थे। इस बार भी दिलीप वर्मा अपने पुत्र समृद्ध वर्मा के लिए भाजपा से टिकट की दावेदारी पेश कर चुके हैं।

    दिलीप वर्मा 1991 से लेकर 2005 तक और फिर 2010 से लेकर 2015 तक इस क्षेत्र से विधायक भी रहे हैं। उनकी दावेदारी मजबूत भी है। ऐसे में 2020 के विस चुनाव के परिणाम को देखकर वे टिकट नहीं मिलने की स्थिति में अपने पुत्र को निर्दलीय भी मैदान में उतार सकते हैं।

    हालांकि, भाजपा के शिवेंद्र शिबु ने भी टिकट के दावेदारी की हैं। वे केंद्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे के करीबी माने जाते हैं। वहीं, जदयू से उद्यमी धनेश पटेल, इंजीनियर रमेश प्रसाद और नेहा नेशार सैफी की टिकट की दावेदारी है।

    2020 के चुनाव परिणाम और एनडीए में टिकट के लिए घमासान को देखते हुए जदयू के पूर्व मंत्री खुर्शीद फिरोज अहमद ने पहले ही पार्टी से किनारा कर लिया है और निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इनका मानना है कि विधानसभा में 28 से 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, जो इनके आधार वोटर हैं।

    वोट शेयर पर एक नजर

    2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले के वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने 28.85 प्रतिशत वोट शेयर लिया था, जबकि भाजपा के बागी निर्दलीय दिलीप वर्मा के पास 27.5 प्रतिशत और जदयू के पूर्व मंत्री खुर्शीद फिरोज अहमद ने 21.05 प्रतिशत वोट शेयर लिया था।

    2024 के लोकसभा के वोट शेयर का आकलन करें तो एनडीए के पास 46.65 प्रतिशत और यूपीए के पास 41.79 प्रतिशत वोट शेयर था।

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