Updated: Sun, 01 Dec 2024 11:21 AM (IST)
नगर परिषद क्षेत्र के प्रकाश नगर मोहल्ला में एक भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य पर अंचल प्रशासन ने रोक लगा दी है। यह भूमि बेतिया राज की है जिसका खाता नंबर 8 और खेसरा नंबर 259 है। निर्माण कार्य पर रोक लगाने के पीछे की वजह यह है कि यह भूमि बेतिया राज की है और इसका किसी के नाम पर दाखिल खारिज नहीं है।
संवाद सहयोगी, नरकटियागंज। नगर परिषद क्षेत्र के प्रकाश नगर मोहल्ला में एक भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य पर अंचल प्रशासन ने शनिवार को रोक लगा दिया है। अधिकारी ने उसपर रोक लगाने की वजह बेतिया राज की भूमि बताया है।
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अंचलाधिकारी सुधांशु शेखर ने बताया कि प्रकाश नगर वार्ड संख्या 12 में बेतिया राज की करीब डेढ़ कट्ठा भूमि पर अवैध रूप से बाउंड्री वाल का निर्माण कार्य कराया जा रहा था। इस मामले पर अंचल प्रशासन ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राजस्व कर्मचारी अनिल कुमार से उस भूमि की जांच कराई।
जांच में यह पाया गया कि वह भूमि खाता 8 और खेसरा 259 की है, जो बेतिया राज की है। उस पर मुन्ना सिंह के द्वारा बाउंड्री वाल का कार्य किया जा रहा था। जिस पर त्वरित रोक लगा दिया गया है। वहीं राजस्व कर्मचारी अनिल कुमार ने बताया कि उक्त भूमि का किसी के नाम पर दाखिल खारिज नहीं है।
मौके पर जो कागजात प्रस्तुत किया गया, उसमें यह भूमि बेतिया राज की है। दूसरी ओर निर्माण कार्य पर रोक लगाने गए अंचल प्रशासन को मुन्ना सिंह की ओर से यह बताया गया कि उस भूमि पर उनका पहले से बाउंड्री वाल था, जिसे किसी अज्ञात ने तोड़ दिया था।
यहीं वजह है कि उनके द्वारा फिर से बाउंड्री वाल का कार्य करवाया जा रहा था। बहरहाल अंचल प्रशासन ने उक्त भूमि को बेतिया राज की भूमि होने का हवाला देते हुए फिलहाल निर्माण कार्य पर रोक लगा दिया है।
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बेतिया राज के धर्मशाला की भूमि पर भी अवैध कब्जा
- शहर के प्रकाश नगर वार्ड संख्या 13 में बेतिया राज की करीब 17 कट्ठा भूमि पर पहले बैद्यनाथ धर्मशाला के साथ मंदिर, तालाब और कुंआ का निर्माण हुआ था।
- उसपर शिक्षा के लिए एक पाठशाला भी खोला गया था। तब दूर-दूर से पहुंचने वाले व्यापारी उस धर्मशाला में आश्रय लेते थे।
समाज का हर वर्ग सामुदायिक कार्य में इसका उपयोग करता रहा। लेकिन अब इसका नामोनिशान मिट चुका है। और नहीं तो उस भूमि की खरीद फरोख्त भी की जा रही है। अब यह भूमि करीब 12 से 13 कट्ठा ही बची है। कुछ भूमि पर अतिक्रमण भी कर लिया गया है। इस संबंध में भूमि सुधार उप समाहर्ता के यहां मामला भी कुछ वर्षों से लंबित है। यह भी पढ़ें-
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