बिहार में जमीन की रजिस्ट्री को लेकर चल रहा बड़ा 'खेल', आधा दर्जन प्लॉट का हुआ भंडाफोड़; विभाग में हड़कंप
मुजफ्फरपुर में भूमि निबंधन में राजस्व की चोरी का मामला सामने आया है जहां पक्षकारों ने गलत भूमि दिखाकर विभाग को गुमराह किया। सहायक निबंधक महानिरीक्षक राकेश कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने चार दिनों तक जांच की और छह मामलों में गलत प्लॉट दिखाकर जमीन रजिस्ट्री कराने का भंडाफोड़ किया। जांच में दर्जन भर बिचौलिए और निबंधन कार्यालय के कई कर्मी भी शामिल पाए गए हैं।

संवादसूत्र, चनपटिया। पक्षकारों के द्वारा गलत भूमि दिखाकर विभाग को गुमराह करने एवं भूमि निबंधन में राजस्व की चोरी के मामले में भंड़ाफोड़ हुआ है। पक्षकारों के द्वारा गलत स्थल दिखाकर भूमि निबंधन कराने के छह मामले में पकड़े गए हैं।
शिकायत पर मुजफ्फरपुर के सहायक निबंधक महानिरीक्षक (एआइजी) राकेश कुमार के नेतृत्व टीम ने लगातार चार दिनों तक चनपटिया में कैंप कर निबंधित भूखंडों की जांच की। आधा दर्जन गलत प्लॉट दिखाकर जमीन रजिस्ट्री कराने का भंडाफोड़ हुआ है।
गड़बड़ी करने वाले सभी पक्षकारों पर न सिर्फ प्राथमिकी की तैयारी चल रही है बल्कि राशि वसूली की भी कार्रवाई होगी। जांच के दौरान दर्जन भर बिचौलिए को भी चिह्नित किया गया है। निबंधन कार्यालय के कई कर्मी भी रडार पर आ गए हैं। कई दस्तावेज नवीस भी इस जांच के घेरे में हैं। उनके लाइसेंस पर निलंबन की तलवार लटक सकती हैं। सूत्रों ने बताया कि शिकायतकर्ता की अर्जी पर जांच हुई है।
एआइजी की जांच से निबंधन विभाग में हड़कंप मचा हुआ हैं। लंबे अरसे से सक्रिय कई दलाल शनिवार को निबंधन कार्यालय के इर्द गिर्द दिखाई नहीं दिए।
सहायक निबंधन महानिरीक्षक(तिरहुत) राकेश कुमार ने बताया कि चार दिनों की जांच में छह ऐसे दस्तावेजों में गड़बड़ी पकड़ी गई जिसमें पक्षकारों ने गलत प्लॉट दिखाकर जमीन रजिस्ट्री कराई है। संदिग्ध सभी प्लॉटों पर टीम ने पहुंचकर जांच की। दस्तावेजों में जिन भूखंडों का जिक्र था वे भौतिक सत्यापन में सही नहीं मिले।
पक्षकारों को तलब कर सभी भूखंडों की जांच की गई । दो पक्षकार टीम के समक्ष आए ही नहीं। गलत प्लॉट दिखाकर जमीन रजिस्ट्री कराने वालों पर प्राथमिकी होगी। उनसे नियमानुसार स्टांप ड्यूटी की राशि की वसूली भी जाएगी।
दलालों की टोली रडार पर
- चार दिनों की मैराथन जांच के दौरान निबंधन कार्यालय के लगभग दर्जन भर बिचौलिए भी चिन्हित किए गए है।ये भूमि निबंधन से पूर्व प्लॉट जांच में गड़बड़ी कराते हैं।
- इस एवज में क्रेता-विक्रेता से मोटी रकम की उगाही होती हैं और सबको अपना हिस्सा मिल जाता है। प्रति निबंधन वसूली की राशि दो हजार से दस - दस हजार तक की होती हैं। इस जांच से कुछ विभाग कर्मियों पर भी संदेह है।
अंचल से लेनी होगी रिपोर्ट
सहायक निबंधन महानिरीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि सभी निबंधन कार्यालय के अधिकारी व कर्मियों को पूरी सजगता व धैर्य से विभागीय कार्य पूरा करने का सख्त निर्देश दिया गया है। प्लॉट जांच में किसी भी ढंग से कोताही पर संबंधित कर्मी के ऊपर विभागीय कार्रवाई होगी।
जिस प्लाट में गड़बड़ी की आशंका हो उसमें स्थानीय सीओ की रिपोर्ट लेनी होगी, ताकि सही भूखंड की तस्दीक हो सके। सीओ की रिपोर्ट व पक्षकार के दस्तावेज की मिलान कर निबंधन करना ही सही होगा।
एआइजी को मिली थी शिकायत
एआइजी को गुप्त शिकायत पत्र भेजकर चनपटिया अवर निबंधन कार्यालय में जारी कथित भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी। शिकायत के आधा दर्जन से अधिक हालिया निबंधित भूखंडों के बारे में जानकारी दी गई थी।
बताया गया कि प्रतिदिन यहां औसतन 60 से 80 भूखंडों का निबंधन होता है। प्रति दस्तावेज अवैध वसूली की रकम तय रहती है। नतीजतन विभागीय जांच के तमाम कोरम को सही ढंग से पूरा किए बिना रजिस्ट्री कर दी जाती है।
कार्यालय में कोई गड़बड़ी नहीं
अवर निबंधन पदाधिकारी मनीष कुमार का कहना कि उक्त जांच विभाग की रूटीन जांच थी। कार्यालय से किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं है। भूमि सत्यापन के बाद हीं निबंधन किया जाता है। बिचौलिए की सक्रियता का आरोप बेबुनियाद है।
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