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    पंजाब सरकार के सीनियर अफसर को बिहार में करना होगा सरेंडर, कोर्ट ने जारी किया वारंट; क्या है मामला?

    बेतिया के तत्कालीन डीएम दिलीप कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। न्यायालय ने धारा 205 के तहत उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की अर्जी खारिज कर दी है और उन्हें आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। 2008 के एक मामले में न्यायाधीश ने उनकी गिरफ्तारी के लिए जमानती वारंट भी जारी किया है। अगली सुनवाई 6 मई 2025 को होगी।

    By Rajendra Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 17 Apr 2025 04:45 PM (IST)
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    पंजाब सरकार के सीनियर अफसर को बिहार में करना होगा सरेंडर (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    संवाद सहयोगी, बेतिया। पश्चिम चंपारण के तत्कालीन डीएम दीलीप कुमार की ओर से व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने के लिए दाखिल दप्रस की धारा 205 के आवेदन को न्यायालय ने खारिज कर दिया है। न्यायाधीश ने उन्हें न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी शशांक शेखर ने अभियुक्त दिलीप कुमार की गिरफ्तारी के लिए जमानतीय वारंट भी निर्गत कर दिया है।

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    न्यायाधीश ने अभियुक्त की तरफ से लगातार आवेदन दिए जाने पर नाराजगी व्यक्ति की है। न्यायाधीश ने वाद की सुनवाई की अगली तिथि 6 मई 25 सुनिश्चित को की है।

    अभी पंजाब में अपनी सेवाएं दे रहे दिलीप कुमार

    बताते चलें परिवाद संख्या -2260/2008 में अभियुक्त बने बेतिया के तत्कालीन डीएम दिलीप कुमार वर्तमान में पंजाब राज्य में सरकार के एनआरआई विभाग में प्रधान सचिव हैं। उनके विरुद्ध व्यवहार न्यायालय बेतिया के अधिवक्ता ब्रजराज श्रीवास्तव ने वर्ष 2008 में परिवाद दायर किया था।

    न्यायालय ने परिवाद की जांच करने के बाद उनके खिलाफ कई धाराओं में संज्ञान लिया था। न्यायाधीश ने अभियुक्त को न्यायालय में उपस्थिति के लिए सम्मन निर्गत किया था। बावजूद अभियुक्त न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए। परिवाद में अभियुक्त बने दिलीप कुमार ने न्यायालय में 20 सितंबर.2024 को धारा 205 के अन्तर्गत एक आवेदन देते हुए व्यक्तिगत उपस्थिति से मुक्ति तथा अधिवक्ता वाद में पैरवी करने की सुविधा प्रदान करने की गुहार लगाई थी।

    दिलीप कुमार का आवेदन खारिज

    दिए गए आवेदन में आवेदक ने पंजाब सरकार के एनआरआई विभाग के प्रधान सचिव होने और सरकारी काम-काज में विशेष व्यस्त रहने का हवाला दिया था। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता बचाव पक्ष की ओर से बहस में उपस्थित हुए। कई तिथियों में सुनवाई चली। बावजूद अभियुक्त को राहत नहीं मिली। उनका आवेदन न्यायाधीश ने खारिज कर दिया। अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी ने व्यक्तिगत उपस्थित से छूट देने से इंकार कर दिया।

    क्या है पूरा मामला?

    गौरतलब हो कि मुकदमे में अधिवक्ता ब्रजराज श्रीवास्तव ने तत्कालीन डीएम दिलीप कुमार ने करनेमेया महावीरी झंडा में विवाद के समाधान के लिए वर्ष 2008 में तत्कालीन जिलाधिकारी दिलीप कुमार द्वारा शांति समिति की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें अधिवक्ता मंच बिहार प्रदेश के मंत्री एवं व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता ब्रजराज श्रीवास्तव और योग भारती के राष्ट्रीय निदेशक विजय कश्यप भी आमंत्रित थे।

    उस बैठक में वाद में अभियुक्त बने तत्कालीन डीएम दिलीप कुमार ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा। इसपर वादी और विजय कश्यप ने समझौते पत्र में कुछ सुधार करने को कहा। जिस पर तत्कालीन जिलाधिकारी नाराज हो गए। दोनों को बैठक से निकल कर दूसरे रूम में बैठने को कहा।

    बैठक समाप्त होने पर जिलाधिकारी सादे लिबास में कुछ लोगों के साथ वहां आए और दोनों के साथ गाली-गलौज और मारपीट की। उसके बाद दोनों को हथकड़ी लगाकर नगर थाने में बंद करा दिया। पुनः रात्रि के साढ़े नौ बजे हाजत में पहुंचे और पुलिस से दोनों को पिटवाया और फिर बारह बजे रात में दोनों को जेल भेज दिया।

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