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    Bihar: बिहार में अपने गांव पहुंचे एक्टर मनोज बाजपेयी, कहा- यह मेरी असली दुनिया; बेलवा के लिए करूंगा संघर्ष

    Updated: Fri, 04 Apr 2025 06:01 PM (IST)

    मनोज बाजपेयी अपने पैतृक गांव बेलवा पहुंचे और इस दौरान लोगों से बातचीत की। गंगा नदी के कटाव से परेशान ग्रामीणों से मिलकर वे भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ नदी का कटाव नहीं ग्रामीणों के सुनहरे भविष्य पर वज्रपात है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो गांव और किसान दोनों ही नक्शे से गायब हो जाएंगे।

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    अपने गांव पहुंचे एक्टर मनोज बाजपेयी। (जागरण)

    संवाद सूत्र, गौनाहा। फिल्मी दुनिया और महानगरीय जीवनशैली से पांच दिनों का अवकाश लेकर अपने पैतृक गांव बेलवा पहुंचे अभिनेता मनोज बाजपेयी शुक्रवार को गौनाहा प्रखंड में बेलसंडी पंचायत के गम्हरिया गांव के ग्रामीणों से मिले।

    ग्रामीणों से गांगुली नदी के कटाव की विनाशलीला सुनकर वे भावुक हो गए। नदी के तट पर पहुंचे, जहां हर साल बरसात में किसानों की जमीन और ग्रामीणों के सपने का मर्दन गांगुली नदी करती है।

    ग्रामीणों के सुनहरे भविष्य पर वज्रपात

    उन्होंने कहा कि यह सिर्फ नदी का कटाव नहीं, ग्रामीणों के सुनहरे भविष्य पर वज्रपात है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो गांव और किसान दोनों ही नक्शे से गायब हो जाएंगे।

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    उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि मैं कटाव से निजात के लिए डीएम समेत अन्य अधिकारियों से बात करूंगा और जरुरत पड़ी तो इसके लिए संघर्ष भी करेंगे।

    गांगुली नदी के कटाव को देखते अभिनेता।

    उन्होंने यह भी कहा कि फिल्मी दुनिया से अलग, यह मेरी असली दुनिया है। सो, मेरा फर्ज भी है कि मैं इस सामाजिक संकट में अपना योगदान दूं। 

    मनोज बाजपेयी के साथ राजनीतिज्ञ सह समाजसेवी शैलेन्द्र प्रताप सिंह, शिक्षाविद ज्ञानदेव देव मणि त्रिपाठी, राकेश राव, नितेश राव, दीपेन्द्र बाजपेयी भी थे।

    ठोस प्रयास का दिलाया भरोसा

    मनोज बाजपेयी ने सभी के साथ चर्चा के बाद आने वाले समय में समाधान की दिशा में ठोस प्रयास का भरोसा दिलाया। उल्लेखनीय है कि बरसात के दिनों में गांगुली नदी में बाढ़ और कटाव इलाके की बड़ी समस्या है।

    वर्ष 2024 के बाढ़ में लगभग आधा दर्जन घर नदी में विलीन हो गए थे। बाढ़ पीड़ित भुवाली महतो, बच्चा गुरो, कमलेश गुरो, मनोज महतो, सुरेंद्र काजी ने कहा कि कटाव हर साल जारी रहता है।

    नदी से हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है। गांव और किसानों की जमीन को बचाने के लिए मजबूत बांध बनवाने की जरुरत है।

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