Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जर्जर स्‍कूल-पेड़ के नीचे बैठ पढ़ने को मजबूर बच्‍चे, बारिश में नहीं लगती क्‍लास, सर्दी में होता है और बुरा हाल..

    By Prasan Kumar (Daraunda)Edited By: Mukul Kumar
    Updated: Thu, 05 Oct 2023 12:57 PM (IST)

    बिहार में सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर होती जा रही है। आए दिन कहीं न कहीं से स्कूलों की छत गिरने की सामने आती है। सरकारी स्कूल की लचर स्थिति से जुड़ी एक और खबर सामने आई है। सिवान जिले के एक स्कूल में बच्चों को केवल दो कमरों में पढ़ाया जाता है। स्कूल की हालत ऐसी है कि कब छत गिर जाए पता नहीं।

    Hero Image
    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    संवाद सूत्र, दारौंदा (सिवान)। सरकार लगातार बच्चों की शत-प्रतिशत एवं शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर रोज नए आदेश निकालने में शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। वहीं दारौंदा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय रानीवारी में दो जर्जर कमरे में वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई पूरी कराई जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ग्रामीण कहते हैं खतरों का पाठशाला

    ग्रामीण इसे खतरों के पाठशाला कहकर संबोधित करने लगे हैं। इस विद्यालय की स्थापना 1961 में ग्रामीणों के सहयोग से किया गया। उस समय विद्यालय की भूमि तीन कट्ठा दस धूर में है। स्थापना के बाद बच्चों की संख्या अच्छी थी। वर्ष 2005-6 में इस विद्यालय को अपग्रेड कर उत्क्रमित मध्य विद्यालय बना दिया गया।

    विद्यालय का अपग्रेड कर दिया गया परंतु उस अनुपात में सुविधा नहीं बढ़ाया गया। यहां तीन कमरे में एक कमरे में बच्चों का एमडीएम बनाया जाता है। जबकि दो जर्जर कमरे में तीन वर्ग की पढ़ाई हो जाती है। जबकि शेष पांच कक्षा की पढ़ाई पेड़ के नीचे बैठकर करते हैं। 

    शौचालय की स्थिति भी खराब

    इस विद्यालय में सत्र 2023-24 में कुल नामांकित छात्र -छात्रा की संख्या 174 है। कुल आठ शिक्षक पदस्थापित है।पेयजल के नाम पर एक चापाकल एवं एक शौचालय भी जर्जर अवस्था में है।

    वहीं, दूसरा शौचालय भी ध्वस्त हो गया है। कमरे का निर्माण कराने को लेकर विद्यालय के प्रधानाध्यापक धनंजय उपाध्याय ने विभाग को आवेदन भी कई बार दिया है। विद्यालय में सरकारी विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था किस कदर बदहाल है, उसका एक उदाहरण दारौदा प्रखंड के रानीवारी विद्यालय में देखने को मिल जाएगा।

    यह भी पढ़ें- शिक्षा व्यवस्था बदहाल! स्कूल में बच्चों की संख्या 250 लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षक सिर्फ तीन, संसाधनों का भी अभाव

    बारिश के मौसम में पढ़ाई हो जाती है बंद

    यहां एक ही कमरे में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक की कक्षा चलती है। दो कमरे में बैठे बच्चे कैसे पढ़ते होंगे, यह एक बड़ा सवाल है? सबसे अधिक परेशानियां बारिश के मौसम में होता है। ऐसे मौसम में पढ़ाई पूरी तरह से बंद हो जाती है।

    आए दिन छत एवं खिड़की के पास से पत्थर या ईंट गिरते हैं। यह लापरवाही कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकती है। बारिश के दिनों में खतरा बढ़ जाता है।

    यह भी पढ़ें- बिहार में शिक्षा की दुर्दशा! 100 घरों की आबादी में केवल एक युवक मैट्रिक पास

    इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक धनंजय उपाध्याय ने बताया कि जर्जर कमरे की मरम्मत कार्य कराने एवं नये विद्यालय भवन निर्माण की मांग विभाग से की गई है।