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    Bihar News: बिहार में शिक्षा की दुर्दशा! 100 घरों की आबादी में केवल एक युवक मैट्रिक पास

    By Amarkant MishraEdited By: Mukul Kumar
    Updated: Mon, 25 Sep 2023 12:40 PM (IST)

    Education System in Bihar बिहार में शिक्षा की दुर्दशा का एक नया उदाहरण सामने आया है। सरकार की तरफ भारी भरकम राशि खर्च के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति सही नहीं है। कई बच्चे शिक्षा से दूर हैं। एक गांव में 100 घरों की आबादी में मात्र एक मैट्रिक पास युवा है। कहा जा रहा है कि साक्षरता अभियान भी यहां आकर दम तोड़ देता है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर।

    अमरकांत मिश्र ,संवाद सूत्र , शंभुगंज ( बांका ) : भारी भरकम राशि खर्च के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है। इस कारण ऐसे क्षेत्रों के बच्चे शिक्षा से दूर हैं। हम बात कर रहे हैं शंभूगंज प्रखंड के मालडीह पंचायत में करंजा महादलित बस्ती की।

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    यहां की 100 घरों की आबादी में मात्र एक मैट्रिक पास युवा बमबम मांझी है। वह विकास मित्र बनकर गांव के पांच दर्जन से अधिक बच्चों को पढ़ा रहा है। यहां साक्षरता अभियान भी आकर दम तोड़ देता है। इस कारण यहां के बच्चे अक्षर ज्ञान से वंचित हैं।

    1985 में मैट्रिक पास

    बमबम मांझी ने कहा कि साक्षरता अभियान की स्थिति ठीक नहीं रहने से गांव के बच्चे नहीं पढ़ सके। अब उन्हें पढ़ा रहे हैं। इस काम में उनके पिता चन्द्रशेखर मांझी भी सहयोग करते हैं। चंद्रशेखर सुल्तानगंज के खानपुर से मैट्रिक पास 1985 में किया है।

    इधर, बमबम मांझी ने बताया कि 2005 में भागवतचक पीपरा उच्च विद्यालय से मैट्रिक पास किया है। वह विकास मित्र बनकर गांव के बच्चों को पढ़ा रहा है। बमबम ने बताया कि गांव में निरक्षरता इस तरह है कि आज भी बस्ती में डाकघरों अथवा अन्य जगहों से कोई संदेश आता है तो लोग उसे समझने के लिए हमारे पास आते हैं।

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    जर्जर हालत में सामुदायिक भवन

    किसी तरह बड़े बुजुर्गों को शिक्षा के महत्व को बताया। वर्तमान में गांव में सुबह - शाम छोटे - छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं । सबसे बड़ी परेशानी है कि बस्ती में सरकारी स्तर से कोई भी भवन नहीं है। एक सामुदायिक भवन है तो वह काफी पुराने और जर्जर हालत में है । जिसमें खिड़की दरवाजा तक नहीं है।

    बरसात के दिनों में कुछ लोग इस भवन में मवेशी बांधने से लेकर पुआल इत्यादि अन्य सामग्री रखते हैं । जिस कारण शिक्षा दान में परेशानी होती है। गुलाबी मांझी सहित अन्य ने बताया कि गांव के 95 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं है। आर्थिक तंगी इस तरह है कि रोज कमाते हैं तो खाते हैं।

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    फिर शौचालय निर्माण और बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी। इस संबंध में पंचायत की मुखिया अनार देवी ने बताया कि उक्त बस्ती में आंगनबाड़ी केंद्र और विद्यालय की कमी है। इसके लिए कई बार पंचायत समिति की बैठक में भी आवाज उठाया गया है। इस दिशा में पहल किया जा रहा है।

    सौ घरों की बस्ती में आंगनबाड़ी केंद्र , विद्यालय और शौचालय का नहीं रहना दुखद है । इसके लिए जनप्रतिनिधियों और संबंधित पदाधिकारियों से बात की जाएगी । विद्यालय स्थापना के लिए वरीय पदाधिकारियों को लिखा जाएगा।

    नीतीश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, शंभूगंज