Bihar Politics: सीतामढ़ी की सियासत में वैश्य समीकरण बन रहा निर्णायक धुरी, इस बार कौन मारेगी बाजी?
सीतामढ़ी विधानसभा सीट पर वैश्य समुदाय का वोट निर्णायक रहा है। 1990 से भाजपा और राजद के बीच कड़ी टक्कर रही है लेकिन वैश्य समुदाय हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। 2000 में हरिशंकर प्रसाद की जीत को कोर्ट ने बरकरार रखा था लेकिन उनके निधन के बाद उनके बेटे सुनील कुमार पिंटू ने उपचुनाव जीता। सुनील कुमार पिंटू ने इस सीट पर हैट्रिक लगाई है।

दीपक कुमार, सीतामढ़ी। सीतामढ़ी विधानसभा सीट एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस सीट पर जीत किसी की भी हो, लेकिन पिछले डेढ़ दशक से वैश्य लगातार निर्णायक की भूमिका में हैं। साल 1990 से लगातार इस सीट पर भाजपा व राजद के बीच कांटे की टक्कर तो रही, लेकिन निर्णायक की भूमिका में वैश्य वोट ही रहा।
साल 1990 में इस सीट पर बीजेपी से ललितेश्वर प्रसाद सिंह, कांग्रेस से खलील अंसारी तो जनता दल से शाहिद अली खान को टिकट मिला, लेकिन वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाले व्यवसायी हरिशंकर प्रसाद ने निर्दलीय अपनी किस्मत आजमाई।
परिणाम यह रहा कि वैश्य वोट बीजेपी व निर्दलीय हरिशंकर प्रसाद के बीच बंट गया और शाहिद अली खान विजयी घोषित किए। शाहिद अली खान को 23059 मत मिले, तो बीजेपी उम्मीदवार को 14243 व निर्दलीय उम्मीदवार को 16973 वोट मिले।
1985 में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार खलील अंसारी को मात्र 13765 मतों से ही संतोष करना पड़ा। इसे देखते हुए साल 1995 में बीजेपी ने हरिशंकर प्रसाद को टिकट देकर इस सीट पर कब्जा जमाया। यहां भी वैश्य वोटर निर्णायक के भूमिका में रहे।
इसी समीकरण को देखते हुए साल 2000 में बीजेपी ने फिर अपने उम्मीदवार हरिशंकर प्रसाद पर भरोसा किया और मैदान में उतारा, लेकिन परिणाम चौंकाने वाला रहा।
इस सीट पर इस बार बीजेपी उम्मीदवार हरिशंकर प्रसाद को हार का सामना करना पड़ा। राजद के उम्मीदवार शाहिद अली खान को मात्र 35 वोटों से विजयी घोषित कर दिया गया। यह परिणाम निर्णायक वोटरों को पच नहीं रहा था। फिर इस परिणाम को कोर्ट में चुनौती दी गई।
साल 2000 के चुनाव परिणाम को कोर्ट ने बदल दिया था:
साल 2000 में सीतामढ़ी विधानसभा सीट के लिए घोषित किए गए परिणाम के विरुद्ध कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट में सुनवाई होते होते तीन साल बीत गए। अंत में फरवरी 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी उम्मीदवार हरिशंकर प्रसाद को 65 मतों से विजयी घोषित करार दे दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हरिशंकर प्रसाद को साल 2000 से ही जीत की मान्यता दे दी।
गौरतलब है कि साल 2000 में राजद के टिकट से शाहिद अली खान तो बीजेपी के टिकट से हरिशंकर प्रसाद चुनाव लड़े थे। गिनती के बाद शाहिद अली खान के पक्ष में 58740 वोट तो बीजेपी उम्मीदवार हरिशंकर प्रसाद के पक्ष में 58705 मत मिले।
निर्वाची पदाधिकारी ने शाहिद अली खाने को विजयी घोषित कर प्रमाण पत्र भी थमा दिया था, लेकिन साल 2003 के सितंबर माह में विधायक हरिशंकर प्रसाद का देहांत हो गया। पुन: इस सीट पर अक्टूबर 2003 में उपचुनाव हुए और हरिशंकर प्रसाद के पुत्र सुनील कुमार पिंटू विजयी घोषित किए गए।
सुनील कुमार पिंटू की रही हैट्रिक
सीतामढ़ी विधानसभा में एकमात्र सुनील कुमार पिंटू ने हैट्रिक लगाई है। पिता पूर्व विधायक हरिशंकर प्रसाद के निधन के बाद उपचुनाव में सुनील कुमार पिटू ने जीत दर्ज की। इसके बाद साल 2005 फरवरी, 2005 अक्टूबर व 2010 में लगातार इस सीट से विजयी होकर हैट्रिक लगाई। इस प्रकार इस विधान सभा सीट पर एकमात्र बाप-बेटे को छोड़ कोई अन्य उम्मीदवार दोबारा काबिज नहीं हो सका।
अब तक के विजयी प्रत्याशी व उनकी पाटी
साल | विजेता | पार्टी |
---|---|---|
2020 | मिथिलेश कुमार | भाजपा |
2015 | सुनील कुमार कुशवाहा | राजद |
2010 | सुनील कुमार पिंटू | भाजपा |
2005 | सुनील कुमार पिंटू | भाजपा |
2005 | सुनील कुमार पिंटू | भाजपा |
2000 | शाहिद अली खान | राजद |
1995 | हरिशंकर प्रसाद | भाजपा |
1990 | शाहिद अली खान | जद |
1985 | खलील अंसारी | कांग्रेस |
1977 | राम सागर प्र. यादव | कांग्रेस |
1972 | रामस्वरुप सिंह | भाकपा |
1969 | श्याम सुंदर दास | संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1967 | के शाही | कांग्रेस |
1952 | दामोदर झा | सोशलिस्ट पार्टी |
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