Sitamarhi News: बिहार पुलिस के निलंबित थानेदार का एक और कारनामा, सीधा हाई कोर्ट पहुंचा मामला
सीतामढ़ी के बेला थाने में एक निलंबित थानेदार के खिलाफ शिकायत हाई कोर्ट पहुंची। पीड़ित अनिल कुमार ने आरोप लगाया कि 2024 में निर्माण कार्य रोकने और 2025 में जनता दरबार के आदेश के बाद भी तत्कालीन थानाध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की और स्पीड पोस्ट से भेजा आवेदन भी अस्वीकार कर दिया। एएसपी ने निष्पक्ष जाँच का आश्वासन दिया है।
संवाद सूत्र, सीतामढ़ी। कतिपय पुलिसकर्मियों की कार्यप्रणाली वर्दी पर सवालिया निशान लगाती है। इसके कारण पुलिस-पब्लिक फ्रेंडशिप धरातल पर सही तरीके से नहीं उतर पा रही है। हालांकि, ऐसे पुलिसकर्मियों पर एसपी अमित रंजन लगातार कार्रवाई भी कर रहे हैं। एक मामला बेला थाने से सामने आया है।
बार-बार शिकायत लेकर जाने के बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं होने से पीड़ित व्यक्ति को थक हारकर उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है। फरियादी अनिल कुमार बेला थाने के खैरवा वार्ड नंबर-7 निवासी युगेश्वर महतो के पुत्र अनिल कुमार हैं।
उनका कहना है कि थानाध्यक्ष द्वारा उनके मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने को लेकर उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।
क्या है मामला?
बता दें कि तत्कालीन थानाध्यक्ष प्रभाकर कुमार से जुड़ा हुआ है, जो हफ्तेभर के अंदर एक मामले की जांच में दोषी पाए जाने पर एसपी अमित रंजन के द्वारा निलंबित किए जा चुके हैं। पुलिस पर हमला करने के मामले में आरोपितों को थाने से ही छोड़ देने का आरोप सही पाया गया था।
स्पीड पोस्ट से भी थानाध्यक्ष ने नहीं लिया आवेदन
पीड़ित अनिल कुमार की शिकायत है कि अगस्त 2024 में वह अपनी जमीन पर घर बनाने का कार्य कर रहे थे तो स्थानीय कुछ दबंगों के द्वारा निर्माण कार्य पर रोक लगा दिया गया। उन लोगों की दलील थी कि मापी के बाद कार्य आरंभ कराएं। तब अनिल ने विवाद से बचने के लिए अंचल कार्यालय में मापी के लिए आवेदन दे दिया। उसके आलोक में मापी होने के बाद अंचलाधिकारी परिहार के दिशा-निर्देश पर निर्माण कार्य आरंभ हुआ।
अनिल कुमार के अनुसार, निर्माण कार्य आरंभ होने के आठ दिन बाद हुजूम बनाकर लोगों ने आकर फिर काम पर रोक दिया। तब 22 फरवरी, 2025 को अनिल कुमार ने जनता दरबार में सीओ के सामने अपनी शिकायत रखी। उन लोगों ने यहां भी अड़ंगा लगाया। खैर, दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सीओ ने अनिल कुमार को निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए आदेशित किया। फिर क्या था दबंगों ने फिर से दीवार तोड़ दी।
उन लोगों की दबंगई से आहत अनिल थाने पहुंचे। जहां तत्कालीन थानाध्यक्ष कुमार प्रभाकर ने आवेदन लेने से इनकार कर दिया। अनिल ने कुरियर के माध्यम से थानाध्यक्ष को अपना आवेदन भेजा, उसको भी नजरअंदाज कर दिया।
थानेदार द्वारा लौटाया आवेदक की स्पीड पोस्ट वाला आवेदन। सौ. स्वजन
अनिल ने हार नहीं मानी। स्पीड पोस्ट के माध्यम से आवेदन भिजवाया। उसको भी रिसीव करने से इंकार करने पर डाककर्मी ने ही लिफाफे पर लिख डाली लिफाफे की वापसी का कारण। जिसपर लिखा था प्राप्तकर्ता ने आवेदन लेने से इंकार किया।
क्या बोले अधिकारी?
मामला संज्ञान में आया है। पीड़ित व्यक्ति इस बारे में अगर लिखित शिकायत करता है तो वरीय पदाधिकारी के द्वारा इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी। दोषी पाए जाने पर नियमानुकूल कार्रवाई भी तय है। - आशीष आनंद, एएसपी
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