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    Mata Sita Temple Foundation stone: दिखेगी मां जानकी की बाल छवि, थाईलैंड व बेंगलुरु के पुष्प से सुवासित पुनौराधाम

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 08:24 PM (IST)

    Mata Sita Temple Foundation stone पुनौराधाम मंदिर में माता जानकी के बाल स्वरूप को दर्शाने वाली एक विशेष प्रतिमा स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। इस प्रतिमा में राजा जनक माता सीता को सुनैना की गोद में सौंपते हुए दिखेंगे। मिथिलावासियों की इच्छा है कि मंदिर में माता सीता के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित हो क्योंकि उनका प्राकट्य और बाल लीलाएं इसी भूमि पर हुई थीं।

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    माता सीता की बाल छवि। सौ: मिथिला राघव परिवार

    जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी। Mata Sita Temple Foundation stone: पुनौराधाम मंदिर में माता जानकी के बाल स्वरूप का दर्शन होगा। इसमें सुनैना की गोद में माता सीता को देते राजा जनक की छवि दिखेगी। इसे वाराणसी या जयपुर में तैयार किया जाएगा। हालांकि, इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा रही है, लेकिन लंबे समय से माता सीता के मंदिर की मांग कर रहे मिथिला राघव परिवार, सीता आराधना मंडल और अन्य संगठनों के विश्वस्त लोगों का कहना है कि इस छवि में ही माता की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।इसके पीछे का तर्क देते हुए सीता रसोई के संचालक रामशंकर शास्त्री बताते हैं कि मिथिलावासियों को मंदिर में माता जानकी के बाल स्वरूप देखने की प्रबल चाह है। इसका आधार यह है कि माता सीता का इस धरती पर प्राकट्य हुआ था।

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    इस धरती ने माता का बाल स्वरूप व लीला ही देखा है। छठी उत्सव के बाद राजा जनक उन्हें नेपाल के जनकपुर महल लेकर चले गए थे। किशोरावस्था से लेकर वैवाहिक संस्कार तक वहीं से संपन्न हुआ था, इसलिए मंदिर में बालस्वरूप प्रतिमा ही देखने की चाह है।

    पुनौराधाम मंदिर और पूरा परिसर पुष्पों से सुवासित है। यहां थाईलैंड, बेंगलुरु और कोलकाता से मंगाए गए 50 से अधिक प्रजाति के पुष्पों से सजाया गया है। साज-सज्जा के लिए बंगाल के कोलकाता से कारीगरों का दल पहुंचा है।

    दल के सदस्य बीते दो दिनों से सजावट के कार्य में लगे हैं और रात भर लगे रहे। दल का नेतृत्व संजीव सांवत कर रहे हैं। उनके अनुसार मंदिर की सजावट में थाईलैंड से एंथोरियम और सफेद व पिंक लिली मंगाया गया है।

    कार्नेशन, सेवंती, आर्किड, झुप्सी व जरवेरा को बेंगलुरु से मंगाया गया है। अलग-अलग रंगों के गुलाब को कोलकाता से ही लेकर आए हैं। कलाकार बादल बताते हैं कि पुष्पाें से मंदिर परिसर को सजाया गया है, जबकि गेंदा के फूल से बाहरी परिसर को सुसज्जित किया गया है।

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