माता सीता के मंदिर के शिलान्यास में शामिल होने कई शहरों से सीतामढ़ी के Punauradham पहुंचे श्रद्धालु
Bihar News मिथिला में उत्सव का माहौल सियाराम नाम व मंगलगान से पुनौराधाम में हर ओर उत्सव का वातावरण। जिसका लोगों का इंतजार था वह घड़ी आ गई है। जगत जननी माता जानकी के दिव्य-भव्य मंदिर का शिलान्यास शुक्रवार को होगा। कण-कण से उठी ध्वनि की आज शिखर तक गूंज है।

अजय पांडेय, सीतामढ़ी। Bihar News : प्रणाम करिए इस धरा को, यह सुरम्य है। नम्य है। प्रणम्य है। माथे पर लगाइए इस रज कण को, यह दिव्य है। दीप्त है। सुदीप्त है। संस्कृतियों और परंपराओं को अंगीकार करिए, इसमें संस्कार है। कीर्ति है। तप है।
जन-जन को मोहती, लुभाती, सुहाती माता जानकी का प्राकट्य स्थल सीतामढ़ी का पुनौराधाम आज धन्य है। सुवासित है। सदियों की आस पूरी हो रही तो मन-मन मुदित, रोम-रोम हर्षित और नेत्र द्रवित हैं। एक राजा के तप बल से उर्वित धरा पर आज मंगलोत्सव है। धरा पर मंगल, अंबर में मंगलगान है।
वह शुभ समय है, जब जगत जननी माता जानकी के दिव्य-भव्य मंदिर का शिलान्यास है। कण-कण से उठी ध्वनि की आज शिखर तक गूंज है। अनुगूंज है। स्वयं को माता सीता की सहेली मानतीं सीतामढ़ी की ममता और मालती विभोर हैं। शब्द नहीं, आज तो बस आंखों से बहता अविरल लोर है। कहती हैं पहले दामाद का घर बना, अब बेटी का बन रहा। जीवन धन्य हो गया, अब क्या चाह-क्या चिंता, अब तो जय-जय सियाराम !
सजल नेत्रों के साथ मन के भाव पढ़ लीजिए...
प्रभु श्रीराम और माता सीता के कदमों में स्वयं को समर्पित कर चुके सीतामढ़ी के ही राम किशोरी भगत का इच्छा थी कि बेटी का घर बन जाए तो उसकी ससुराल जाएंगे। अब उनकी चाह पूरी होने जा रही है। गृहस्थ जीवन को छोड़ तीन दिनों से माता जानकी की ड्योढ़ी पर सियाराम का गुणगान कर रहे हैं। कहते हैं, आज मिथिलावासियों से कुछ मत पूछिए, सजल नेत्रों के साथ मन के भाव पढ़ लीजिए आपको जन-मन का मर्म, धर्म और कर्म समझ आ जाएगा।
माता का जीवन प्रेम और त्याग की अनुभूति
रामतपस्या प्रजापति की तपस्या पूरी होने जा रही है। कहते हैं, सीता होना आसान नहीं है। सीता परम वैदेही हैं। प्रभु श्रीराम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। माते का जीवन प्रेम और त्याग की शिखर अनुभूति है। वे एक देवी, बेटी, पत्नी, बहू और मां के रूप में वर्णित हैं।
माता जानकी को अपनी बहन मानने वाले सीता रसोई के संचालक रामशंकर शास्त्री व्यस्त नजर आते हैं। शिलान्यास में देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को भोजन ग्रहण कराने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कहते हैं, आठ को बहन के घर का शिलान्यास है। नौ को रक्षाबंधन है, आप इस भावना को समझ सकते हैं। अब आप यहां के भाव में गोता लगाएं और जानकीमय हो जाएं।
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