Bihar News: स्वास्थ्य व्यवस्था लचर, भगवान भरोसे ज्यादातर अस्पताल; चिकित्सकों के अभाव में एएनएम कर रहीं इलाज
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लचर हो गई है। सीतामढ़ी जिले में ज्यादातर अस्पताल भगवान के भरोसे चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों के अभाव में एएनएम ही लोगों का इलाज कर रही हैं। जानकारी के मुताबिक डाक्टरों की कमी के वजह से ओपीडी भी एएनएम के भरोसे चल रही है।

जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी। बिहार के सीतामढ़ी जिले के ज्यादातर अस्पतालों में इलाज एएनएम के भरोसे है। स्वास्थ्य विभाग भले ही बड़े- बड़े दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित 217 स्वास्थ्य केंद्रों पर टीकाकरण के साथ ओपीडी व जांच की सुविधा शूरू की थी, लेकिन ज्यादातर अस्पतालों में इलाज भगवान भरोसे है।
जिले के ऐसे 152 उप-स्वास्थ्य केंद्रों में एएनएम ही इलाज कर रहीं हैं। बताया जा रहा है कि डाक्टरों की कमी के वजह से विभाग ने एएनएम को ओपीडी के हवाले कर दिया है। इसके अलावे उन केंद्रों पर 14 प्रकार की जांच भी एएनएम ही कर रहीं है।
वहीं टीकाकरण कार्य के दिन इन एएनएम को टीका कार्य में लगाया जाता है। जिस वजह से ज्यादातर दिनों में ओपीडी भी बाधित रहती है। जिले के इन हेल्थ सेंटर पर महज दस जगहों पर डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति की गई है। वे भी अस्पताल में नहीं पहुंचते हैं। इसके अलावे विभाग ने 55 जगहों पर सीएचओ की प्रतिनियुक्ति की गई है।
सीएचओ भी रहते हैं गायब
जिले के 55 जगहों पर सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ आफिसर) की प्रतिनियुक्ति की गई है। कई बार विभागीय जांच में पता चला है कि सीएचओ भी अस्पताल में कई दिनों तक नहीं पहुंचते हैं। हाल में हुए औचक निरीक्षण में जब जिला के अधिकारी अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल में हो रहे इलाज की पोल खुल गई।
सीएचओ से लेकर स्टाफ नर्स तक गायब थीं। इन दौरान करीब आधा दर्जन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। लेकिन हालात नहीं सुधरें अभी भी सीएचओ के नहीं रहने पर एएनएम ही ओपीडी चलाती नजर आती हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुविधा नहीं, फिर भी टीकाकरण कार्य
सप्ताह में दो दिन टीकाकरण कार्य विभाग द्वारा निर्धारित है। जिले में बुधवार व शुक्रवार को रोड मैप के तहत एएनएम टीका करण कार्य करती है। इसी दौरान ज्यादातर जगहों पर एएनएम बिना किसी सुविधा के टीका कार्य करती है। हालात यह है कि नदी किनारे, पेड़ के नीचे, मवेशी घर में टीकाकरण कार्य करते नजर आतीं है।
ऐसे में जानकार बताते हैं कि इस तरह टीकाकरण कार्य करना इंफेक्शन को आमंत्रण देना होगा। वहीं कार्यरत एएनएम भी बताती है कि इन जगहों पर काम करने में असुरक्षित महसूस करती है। कई बार असामाजिक तत्व के लोग इन जगहों पर नशा आदि का सेवन करते हैं।
विभागीय अधिकारी को भी इस बात की पूरी जानकारी है। लेकिन वो भी सिस्टम के आगे मजबूर दिख रहें हैं। सिविल सर्जन डा. सुरेश चंद्र लाल खुद मानते हैं कि इस तरह की समस्या है।
डाक्टरों व सीएचओ के अभाव में एएनएम को ओपीडी देखने की जिम्मा होता है। जो भी किया जा रहा है विभाग के निर्देश पर किया जा रहा है। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं।
डा. सुरेश चंद्र लाल, सिविल सर्जन, सीतामढ़ी।
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