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    Bihar Politics: पहले भाजपा और अब रालोमो को झटका, उपेंद्र कुशवाहा के सबसे करीबी नेता ने पार्टी से दिया इस्तीफा

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 05:06 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव से पहले देवेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि वे किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं होंगे बल्कि शेखपुरा की स्थानीय समस्याओं के लिए आंदोलन करेंगे। राजनीतिक विश्लेषक उनके इस कदम को चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं और संभावना है कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।

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    उपेंद्र कुशवाहा के सबसे करीबी नेता ने पार्टी से दिया इस्तीफा (PTI)

    जागरण संवाददाता, शेखपुरा। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं की ज्वाइनिंग और इस्तीफे का दौर जारी है। इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है। देवेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता के साथ पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।

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    शुक्रवार को शेखपुरा में इसकी घोषणा करते हुए कुशवाहा ने जानकारी दी कि अभी वो किसी दूसरी पार्टी में शामिल नहीं होंगे, बल्कि शेखपुरा की स्थानीय समस्याओं को लेकर जन आंदोलन करेंगे।

    रालोमो के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के काफी निकट माने जाने वाले देवेंद्र के इस कदम को राजनीतिक विश्लेषक विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।

    अनुमान लगाया जा रहा है कि देवेंद्र कुशवाहा निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। उनकी पत्नी अभी जिले के कसार पंचायत की मुखिया हैं। जिले में देवेंद्र को रालोमो में दूसरी धुरी के प्रमुख नेताओं में माना जाता है।

    बीजेपी से भी कद्दावर नेता ने दिया इस्तीफा

    दूसरी ओर, बीजेपी में भी इन दिनों काफी हलचल देखने को मिल रही है। नरपतगंज विधानसभा का 4 बार प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व भाजपा विधायक जनार्दन यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे से बिहार में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। उन्होंने इस्तीफे का कारण भी बताया।

    उन्होंने कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर है। थाना हो, प्रखंड कार्यालय या अन्य सरकारी विभाग, बिना रिश्वत कोई काम नहीं हो रहा। वर्तमान भाजपा विधायक जनता की सेवा में सक्षम नहीं हैं और कार्यालयों में कामकाज ठीक से नहीं हो रहा।

    इसी के साथ, जनार्दन यादव ने पार्टी द्वारा लगातार उपेक्षा पर भी नाराजगी जताई। जनार्दन यादव ने कहा कि जिले के पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की कोई पूछ नहीं है। पूर्व विधायक होने के नाते क्षेत्र की जनता आज भी कई कार्यों से उनके पास पहुंचते हैं, लेकिन सरकारी कार्यालयों में बिना चढ़ावे के कोई कार्य नहीं होता।

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