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    जिस भोजपुरी भाषा का दुनिया भर में बज रहा डंका, उसे भारत में क्यों नहीं मिल रही संवैधानिक मान्यता

    Updated: Sun, 28 Apr 2024 07:02 PM (IST)

    भोजपुरी वह भारतीय भाषा है जो राजभाषा बनने के लिए संविधान गठन के काल से ही छटपटा रही है। भोजपुरी भाषा देश के विभिन्न प्रदेशों से लेकर सभी महाद्वीपों तक में बोली और लिखी जाती है। भारतीय जनगणना 2011 के अनुसार देश के 5.01 करोड़ लोग भोजपुरी भाषी हैं। विश्व की बात करें तो भोजपुरिया लोगों की संख्या सात करोड़ से अधिक है।

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    भोजपुरी भाषा को आखिर कब मिलेगी संवैधानिक मान्यता। (सांकेतिक फोटो)

    जागरण संवाददाता, छपरा। भोजपुरी वह भारतीय आर्य भाषा है जो भारतीय राजभाषा बनने को संविधान गठन के काल से हीं छटपटा रही है। देश के विभिन्न प्रदेशों से लेकर सभी महाद्विपो तक बोली और लिखी जाती है भोजपुरी। भारतीय जनगणना 2011 का आंकड़ा 5.01 करोड़ भोजपुरी भाषा-भाषी बताता है।

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    विश्व की बात करें तो भोजपुरिया लोगों की संख्या सात करोड़ से अधिक है। उत्तर अमेरिका का एक भोजपुरी संगठन तो भोजपुरी भाषियों की संख्या 18 करोड़ के आसपास बताता है। अपना देश लोकतांत्रिक है और लोकतंत्र में संख्या बल महत्वपूर्ण होता है। मौका संसदीय चुनाव का है तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले समुदाय की मातृभाषा भोजपुरी की उपेक्षा बड़ा सवाल खड़ा करता है।

    देश में उपेक्षित भोजपुरी की विदेशों में विस्तार

    देश के संविधान गठन काल से ही भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा देने की आवाज उठ रही है और वह अब भी भोजपुरिया समाज का शोर बना हुआ है।

    सारण के भोजपुरी साहित्यकार डॉ. पृथ्वीराज सिंह का कहना है कि भोजपुरी अपने देश में सरकारी स्तर पर भले उपेक्षित हो पर  विदेशों में इसका तेजी से विस्तार हो रहा है।  भोजपुरी कई देशों में अध्ययन, अनुसंधान, साहित्य और पत्रकारिता का विषय माध्यम बन चुका है।

    संयुक्त राष्ट्र संघ की यूनेस्को भोजपुरी लोक गायन परंपरा और गीत-संगीत को मान्यता दे चुकी है। आज भोजपुरी दुनिया के लैंग्वेज इंडेक्स और विकिपीडिया के सौ भाषा परिवार में अपनी जगह बना चुकी है। नेपाल के दो राज्यों में भोजपुरी राजकाज की भाषा बन गई है।

    8वीं अनुसूची में जगह मिलने से अनेकों फायदे

    अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के कर्यकारी अध्यक्ष डॉ. महामाया प्रसाद की मानें तो, आठवीं अनुसूची में भोजपुरी के शामिल हो जाने से भोजपुरिया लोगों को अनेक फायदें हैं।

    भोजपुरी हिन्दी और अंग्रेजी की तरह कार्यपालिका और न्यायपालिका की कार्यकारी भाषा बन जयेगी। भोजपुरी भाषा की विकास राज्य सरकारों के लिए बाध्यता बन जाएगी।

    भारतीय संसद और विधानसभाओं में प्रतिनिधि न केवल भोजपुरी में शपथ ले सकेंगे, बल्कि सवाल भी रख पायेंगे। संघ लोकसेवा आयोग और राज्य सेवा आयोग के परीक्षा में भोजपुरी भी विषय होगा। यह सरकारी भाषा बन जायेगी और भोजपुरी में गजट तक प्रकाशित होने लगेंगे।

    भोजपुरी पुरस्कार और सम्मान मिलने लगेंगे और भाषा विकास के लिए सरकार से आर्थिक सहायता मिलने लगेगी। सबसे बड़ी बात यह कि भोजपुरी रोजगार की भाषा बन जायेगी।

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