Chapra News: शराब के नशे में दारोगा देख रहे थे डांस, तभी पहुंच गए DSP; फिर...
बिहार के सारण से बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सारण के उत्पाद थाने में तीन पुलिसकर्मी शराब पार्टी कर रहे थे साथ ही नर्तकी को भी बुलाया गया था। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद मढ़ौरा डीएसपी के नेतृत्व में की गई छापामारी की गई जिसके बाद तीनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। साथ ही शराब भी जब्त की गई है।

जागरण संवाददाता, छपरा। सारण जिले में शराबबंदी को सफल बनाने की जवाबदेही जिन पुलिसकर्मियों के कंधों पर है। वे ही पुलिस कर्मी थाने में ही शराब पार्टी कर रहे थे। मामला मशरक उत्पाद थाने का है, यहां उत्पाद थाने के इंस्पेक्टर, दारोगा एवं सिपाही को शराब पीते हुए पकड़ा गया है। थाने में शराब पार्टी चल रही थी, जिसमें नर्तकी को भी बुलाया गया था।
गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई
सारण के पुलिस अधीक्षक डॉ. कुमार आशीष को गुप्त सूचना मिली थी कि उत्पाद थाने में पुलिसकर्मी शराब पी रहे हैं। एसपी ने इसे गंभीरता से लेते हुए मढ़ौरा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में मढ़ौरा थाने के पुलिस को छापामारी के लिए भेजा।
इसके बाद डीएसपी ने वहां पहुंचकर शराब पी रहे पुलिस कर्मियों को पकड़ा। इसके साथ ही थाने से शराब की बोतल भी बरामद की हैं। बताया जाता है कि वहां नर्तकी को भी बुलाया गया था।
तीनों को पुलिस कस्टडी में रखा गया
- गिरफ्तारी के बाद उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर दारोगा एवं कांस्टेबल को कस्टडी में लेकर मशरक थाने में रखा गया है।
- गिरफ्तार पुलिसकर्मियो की ब्रेथ इंनलाइजर से जांच की गई।
- गिरफ्तार पुलिसकर्मियों की जांच के लिए ब्लड व यूरिन का सैंपल भी लिया गया है।
शराबबंदी के बाद मशरक में खोला गया उत्पाद थाना
सारण जिले के मशरक में शराबबंदी के बाद उत्पाद थाना खोला गया था। ताकि यहां के शराब कारोबारी के सिंडिकेट को तोड़ा जा सके। मशरक का इलाका राष्ट्रीय राजमार्ग होते हुए गोपालगंज एवं सिवान से जुड़ता है। इसलिए सरकार ने मशरक में उत्पाद थाना खोला था।
उल्लेखनीय हो कि बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 की धारा-79 ( 2) में यह प्रावधान किया गया है कि धारा 73 के तहत कोई भी उत्पाद पदाधिकारी बिना वारंट के तलाशी ले सकते हैं।
सारण : पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता बढ़ा रही आर्केष्ट्रा संचालकों की मनमानी
डीजे और आर्केस्ट्रा संचालन पर बिहार में बने कानून का खुलेआम उल्लंघन किया जाता है। इसके कारण आर्केस्ट्रा में अक्सर मारपीट व तोड़फोड़ से लेकर चाकूबाजी यहां तक कि गोली चलने की घटनाएं होती है।
जब बड़ी घटना होती है तो पुलिस की गाड़ी दौड़ती है। इसके पहले नियम कानून को तोड़कर डीजे बजाने एवं आर्केस्ट्रा में अश्लीलता की हद पार करने वालों पर कोई ध्यान नहीं देता।
अगर डीजे पर प्रतिबंध लगा तो आर्केस्ट्रा पर अंकुश लगाना तय है। अक्सर आर्केस्ट्रा संचालन के दौरान इस तरह की घटना रात 10 बजे के बाद ही देखी जाती है। यूं कहें कि रात 10 बजे के बाद ही आर्केस्ट्रा की महफिल जमती है और फरमाईसी गाने पर रुपयों की बौछार होती है। कानून को नजरअंदाज करना भी यहीं शुरू होती है।
जानकार बताते हैं कि बिहार में बने कानून के अनुसार रात 10 बजे के बाद डीजे बजाना गैरकानूनी है। ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) कानून, 2000 के तहत रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डीजे बजाने पर पाबंदी है।
इसमें आम लोगों को सुविधा दी गई है कि अगर किसी को एतराज है तो वह थाने में जाकर लिखित शिकायत दर्ज करा सकता है।
थाना द्वारा कार्रवाई करने का पूर्ण अधिकार है। वहीं, शादी-विवाह जैसे आयोजनों में डीजे बजाने के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। इसके लिए एसडीएम से लिखित मंज़ूरी लेनी पड़ती है।
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