सारण में PM Awas Yojana में बड़ा खेला! अपात्र लोगों को दिया गया योजना का लाभ; रडार पर 118 आवास सहायक
सारण जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। 318 में से 118 पंचायतों के आवास सहायकों पर अनियमितता के आरोप हैं। अपात्रों को लाभ पहुंचाया गया और रिश्वत ली गई। जांच में पंचायत प्रतिनिधियों की मिलीभगत भी सामने आई है। यह गरीबों के साथ विश्वासघात है जिसकी जांच की जाएगी और जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी।

प्रवीण, छपरा। पक्का घर हर गरीब का सपना होता है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) इसी सपने को साकार करने के लिए शुरू की गई थी, ताकि देश के अंतिम व्यक्ति को भी सिर पर छत मिल सके। लेकिन जब यही योजना भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ जाए तो इससे बड़ी नाइंसाफी गरीबों के लिए और क्या हो सकती है।
सारण में पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार
सारण जिले में पीएम आवास योजना को लेकर जो खुलासे हुए हैं, वो चौंकाने वाले हैं। एक वित्तीय वर्ष के भीतर जिले में 128 ग्रामीण आवास सहायकों पर कार्रवाई की गई है या कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। यह बताने के लिए काफी है कि कैसे इस जन-कल्याणकारी योजना में भारी गड़बड़ी हो रही है।
118 पंचायतों के सहायकों पर भ्रष्टाचार के आरोप
जानकारी के अनुसार, जिले की 318 पंचायतों में से 118 पंचायतों के ग्रामीण आवास सहायकों पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगे हैं। यह दर्शाता है कि कैसे जिन कर्मचारियों पर व्यवस्था की नींव टिकी होती है, वही चंद पैसों के लालच में गरीबों का हक छीनने पर उतर आए हैं।
पंचायत प्रतिनिधियों की मिलीभगत उजागर
इनमें से कई मामलों में अपात्र लोगों को योजना का लाभ दिया गया और इसके बदले में मोटी रिश्वत ली गई। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस पूरे खेल में पंचायत प्रतिनिधि वार्ड सदस्य से लेकर मुखिया तक भी शामिल बताए जा रहे हैं।
वोट बैंक की राजनीति और व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते वे इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि किसी एक अपात्र को लाभ पहुंचाना,जो जरूरतमंदों के साथ अन्याय है।
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए कई स्तरों पर जांच और सत्यापन की प्रक्रिया होती है। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में गड़बड़ियों का उजागर होना गंभीर चिंता का विषय है।
यह मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि गरीबों के साथ विश्वासघात का भी है।अब सवाल यह उठता है कि क्या कार्रवाई केवल कुछ कर्मचारियों तक सीमित रहेगी, या फिर इस पूरे भ्रष्ट तंत्र की जड़ तक सफाई की जाएगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत पात्रता
1. घर न होने की स्थिति
- लाभार्थी के पास पक्का घर नहीं होना चाहिए, न ही स्वयं के नाम पर और न ही परिवार के किसी सदस्य के नाम पर।
2. सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC 2011) में सूचीबद्ध होना
लाभार्थी का नाम SECC 2011 की सूची में होना चाहिए, विशेषकर निम्न श्रेणियों में
- कच्चे मकान में रहने वाले (0, 1 या 2 कमरों वाला)
- बेघर परिवार
- अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यक, विधवा/परित्यक्ता महिलाएं
- दिव्यांग सदस्य वाला परिवार
- मजदूरी पर आधारित जीवन
3. BPL कार्डधारी होना जरूरी नहीं, लेकिन SECC सूची में नाम होना आवश्यक है
4. वंचित वर्ग की प्राथमिकता
- भूमिहीन परिवार
- महिला मुखिया परिवार
- विकलांग या वृद्ध व्यक्ति का आश्रित परिवार
- बिना किसी पुरुष कमाऊ सदस्य के परिवार
5. सरकारी कर्मचारी या करदाता नहीं
- लाभार्थी का परिवार आयकरदाता, या किसी सरकारी/निजी क्षेत्र में स्थायी नौकरी वाला न हो।
6. स्थायी निवास प्रमाण पत्र
- लाभार्थी को ग्रामीण क्षेत्र का निवासी होना चाहिए।
प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण (PMAY-G) के अंतर्गत लाभार्थी को पैसा मिलने से पहले कई स्तरों पर जांच और सत्यापन किया जाता है।
1. लाभार्थी का चयन – SECC 2011 सूची से
- शुरुआत में लाभार्थियों का चयन SECC 2011 डेटा (सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना) के आधार पर होता है।यह सूची पंचायत स्तर पर ग्राम सभा में सार्वजनिक की जाती है।
2. ग्राम पंचायत स्तर पर प्राथमिक जांच
- ग्राम रोजगार सेवक / पंचायत सचिव / ग्रामीण आवास सहायक
- यह अधिकारी लाभार्थी के घर जाकर जमीनी स्थिति की जांच करता है
- जैसे: कच्चा घर है या नहीं, पक्का घर नहीं है, घर में कोई सरकारी नौकरी वाला नहीं है आदि।
- भौतिक सत्यापन करके एक रिपोर्ट तैयार करता है।
मुखिया और वार्ड सदस्य
- स्थानीय प्रतिनिधियों से भी सत्यापन कराया जाता है (हालांकि ये प्रक्रिया का औपचारिक हिस्सा नहीं होते, फिर भी इन्हें शामिल किया जाता है)।
3. ब्लॉक स्तर पर जांच और अनुमोदन
प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO)
- पंचायत से मिली रिपोर्ट की समीक्षा करता है और लाभार्थी सूची को मंजूरी देता है।
अवर अभियंता / तकनीकी सहायक
- निर्माण की गुणवत्ता और चरणों की निगरानी करता है (मकान बनते समय)।
4. जिला स्तर पर निगरानी
जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA)
- इस संस्था के अधिकारी योजना की मॉनिटरिंग करते हैं।
- डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी, और ज़िले के जिला पदाधिकारी (DM) भी समीक्षा करते हैं।
5. पैसा कैसे जारी होता है?
लाभार्थी केडीबीटी के माध्यम से पैसा तीन किश्तों में उसके बैंक खाते में भेजा जाता है
- 1. पहली किश्त – स्वीकृति के बाद
- 2. दूसरी किश्त – आधार स्तर पर निर्माण शुरू होने के बाद
- 3. तीसरी किश्त – निर्माण पूरा होने पर
किश्तों की स्वीकृति बीडीओ और तकनीकी सहायक द्वारा स्थल निरीक्षण के आधार पर होती है।
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