Kharmas 2025: खरमास को लेकर सामने आई नई जानकारी, शादियों का सीजन शुरू होने से पहले जान लें यह जरूरी बात!
खरमास को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है। शादियों का सीजन शुरू होने से पहले सभी को नई जानकारी के बारे में जान लेना चाहिए। 14 अप्रैल से शुरू हो रहा शादी का सीजन जानिए इस बार क्या हैं ट्रेंड। शादियों में बजने लगेगी शहनाई सड़कों पर गूंजेगा ढोल-ताशा। जानिए इस बार शादियों में क्या कुछ खास होने वाला है।

संवाद सूत्र, दिघवारा। छह दिन बाद 13 अप्रैल को खरमास का समापन होगा और 14 अप्रैल से घर द्वार व पंडालों में शहनाई की गूंज तथा सड़कों व गलियों में ढ़ोल ताशा व बैंड बाजे बजने लगेंगे।
इस बार लग्न की काफी धूम है। 14 अप्रैल से जून के पहले सप्ताह तक शहनाई की गूंज के बीच फूल बरसेंगे, बधाईयां दी जाएंगी।
बहरहाल, भौतिकता की चकाचौंध में शादी ब्याह का आयोजन महंगा होता जा रहा है। बिटिया के हाथ पीला करना मध्यम वर्ग परिवार के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।
नए नए रस्म ने शादियों के खर्च बढ़ा दिए हैं। परिणय सूत्र में बंधने के अलग अलग कोर्स हो गए हैं। इसे पूरा करने में अभिभावकों के पसीने छूट जा रहे।
बैंड बाजा संग ढोल ताशा से लेकर कैटर्स, लाइट गाड़ियों के रेट भी बढ़ गए हैं। पगड़ी, रैंप के चलन बढ़ गया है। इसके कारण शादियों का बजट डेढ़ से दोगुना बढ़ गया है।
महंगाई के बोझ तले निम्न व मध्यम वर्ग के लिए यह व्यवस्थित करने में काफी दिक्कतें आ रही है। शादी तय होने के बाद से ही खर्च का सिलसिला शुरू हो जाता है।
पहला आयोजन रिंग सेरेमनी का हो रहा है। इसमें कन्या और वर पक्ष से परिवार और रिश्तेदार मिलाकर लगभग सौ लोगों की पार्टी होती है।
शादियों मे प्री वेंडिंग फोटोशूट का बढ रहा प्रचलन
पुरानी यादों को संजोने के लिए एलबम सबसे अच्छा और लोकप्रिय माध्यम है। कई दशकों से इसी माध्यम से पुरानी यादों को संजोकर रखा जाता है। शादी-ब्याह में भी फोटोग्राफी कर एलबम बनवाए जाते हैं।
दूल्हा-दुल्हन के खास पलों को अलग-अलग तरीकों से कैद किया जाता है लेकिन आधुनिकता के बदलते दौर में फोटोग्राफी और एलबम के मायने भी बदलते जा रहे हैं।
पहले के समय में साधारण एलबम होते थे, आजकल नए तरीके के एलबम उनका स्थान लेते जा रहे हैं। इसके अलावा कुछ लोग एलबम न बनवाकर डिजिटल माध्यम जैसे पैन ड्राइव और चिप में भी अपनी फोटो और वीडियो काे संजोए हैं।
उनका मानना है कि एलबम बनवाना फिजूल खर्च है। वहीं दूसरी ओर प्री-वेडिंग शूट का दौर भी पूरा प्रचलित है, जिसमें शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन अच्छी लोकेशन पर फोटो शूट करवाते हैं, जिन्हें शादी के दिन पैलेस में लगाया जाता है तथा वीडियो के माध्यम से दिखाया भी जाता है।
इसके बढ़ते रुझान को देखते हुए एलबम की कीमत भी बढ़ती जा रही है। प्री-वेडिंग शूट के लिए दूल्हा-दुल्हन आकर्षित और टूरिस्ट स्थल पर जाते हैं।
ज्यादातर फोटोशूट पहाड़ी क्षेत्र, रेगिस्तान और मिट्टी के बनाए गए पुरातन घर और पुराने किला व भवनों में किए जाते हैं।
इन स्थानों के मुताबिक ही दूल्हा-दुल्हन का परिधान निश्चित किया जाता है। अधिकतर फोटोग्राफर परिधानों की व्यवस्था भी स्वयं करते हैं, जिनके लिए अलग से किराया लगता है।
ढ़ोल ताशा का बढ़ा क्रेज
दूल्हे की शादी हो या शगुन, मेहंदी हो या फिर हल्दी की रस्म, इस अवसर पर अगर ढोल ताशा न हो तो रौनक कम हो जाती है।
जैसे ही ढोल और ताशे की तड़ तड़ गूंजती है तो नाचने वालों के पैर अपने आप थिरकने लग जाते हैं। आजकल की शादी में युवा वर्ग सात लोगों के ग्रुप में ढोल और ताशा पार्टी की ज्यादा डिमांड कर रहे हैं, जबकि पहले केवल तीन लोगों से काम चल जाता था।
वक्त बदला है शादी के सात लोगों के ग्रुप और सुंदर ड्रेस के साथ 15 हजार रुपये से बुकिंग शुरू होती है जो 51 हजार रुपए तक होती है।
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