Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'मैं कभी नहीं भूलूंगा', कर्पूरी ठाकुर के घर पहुंचे उपराष्ट्रपति; केंद्रीय मंत्री ने सुनाया फटे कुर्ते का किस्सा

    Updated: Fri, 24 Jan 2025 03:52 PM (IST)

    जननायक कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती के मौके पर कर्पूरीग्राम में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ समस्तीपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के निवास पर जाकर जब श्रद्धा सुमन अर्पित किए। साथ ही इस दिन को अपने लिए कभी न भूल पाने वाला दिन बताया। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को भारत का महान सपूत और सामाजिक न्याय का मसीहा बताया।

    Hero Image
    कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती के मौके पर कर्पूरीग्राम पहुंचे उपराष्ट्रपति

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज का दिन मैं कभी नहीं भूलूंगा। उनके निवास पर जाकर जब श्रद्धा सुमन अर्पित किया तो मेरे मन में भाव आया कि उनका जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। उनकी जन्मभूमि भले यहां है लेकिन कर्मभूमि पूरा राष्ट्र है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने कहा कि नश्वर शरीर विदा होने के 36 वर्ष बाद उन्हें और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिया गया। उससे पूरे ग्रामीण क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। राज्यसभा में जब यह घोषणा हुई तो तब मुझे लगा कि यह पहले क्यों नहीं हुआ।

    बता दें कि उपराष्ट्रपति शुक्रवार को कर्पूरीग्राम में जननायक कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत का यह महान सपूत सामाजिक न्याय के मसीहा है।

    कर्पूरीग्राम की माटी-पानी को नमन : जगदीप धनखड़

    मैं कर्पूरी ग्राम की माटी-पानी को नमन करता हूं जिसने इस व्यक्तित्व का सृजन किया है। आज भी हम देख रहे हैं उनके पदचिह्नों पर चलते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिवराज सिंह चौहान मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।

    कर्पूरी जी ने कठिन और चुनौतीपूर्ण वातावरण में शिक्षा हासिल की। कभी कोई संपत्ति नहीं बनाई। वो विधानसभा चुनाव कभी नहीं हारे। उन्हें वह कृति हासिल है। सामाजिक और राजनैतिक मुकाम हासिल किया। बड़ी आबादी के लिए संभावनाओं के द्वारा खोल दिए।

    याद करिए वो जमाना: उपराष्ट्रपति

    • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने अपना जीवन उनके लिए समर्पित किया, जिन्हें समाज में कोई स्थान नहीं था। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उनकी नीतियों को साकार कर रहे हैं।
    • याद करिए वो जमाना कितना चुनौतीपूर्ण था। किसी विरोध की परवाह नहीं करते हुए जब मुख्यमंत्री बने तो आरक्षण व्यवस्था लागू किया।
    • अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किया। वे पहले मुख्यमंत्री थे देश में जिन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई मुफ्त की। वे मानते थे कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे समाज को बदला जा सकता है। वे भविष्य का भी चिंतन करते थे।

    धनखड़ ने आगे कहा कि जब वे सीएम बने तो सचिवालय में बने लिफ्ट को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के लिए खोला। किसी भी अंतरजातीय विवाह में वे बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। वे समाज को एक सूत्र में बांधना चाहते थे। उनके पुत्र रामनाथ ठाकुर जी की सादगी का भी मैं कायल हूं।

    आदर्श नेतृत्व की सीख लें नेता

    नेताओं को आदर्श नेतृत्व का उदाहरण कर्पूरी जी से सीखनी चाहिए। ऐसे सामाजिक न्याय के मसीहा की 101वीं जयंती पर आकर मैं अपने को सौभाग्यशाली मानता हूं। वे जाति-धर्म से उठकर विकास चाहते थे।

    आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हर घर में शौचालय, हर घर में गैस, पानी, गांव-गांव में इंटरनेट की व्यवस्था दे रहे हैं। दस वर्षों में देश का विकास पूरे विश्व में एक रिकार्ड है।

    भारत आज दुनियां में एक मजबूत अर्थव्यवस्था बना हुआ है। लोगों में एक विश्वास पैदा हुआ है। इस कारण उनकी इच्छा भी बढ़ी है।

    विकसित राष्ट्र होगा भारत

    उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज हम आपको बता दें कि 2047 में जब भारत आजादी की शताब्दी मना रहा होगा तब भारत विकसित राष्ट्र होगा। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि आप सरकारी नौकरी की लालसा से बाहर निकलें।

    एक असीम संभावनाओं वाला द्वार मुंह खोले खड़ा है। दुनिया अचंभित है कि 147 करोड़ वाला देश कोविड को कैसे कंट्रोल करता है। कैसे भ्रष्टाचार खत्म हो रहा है। कैसे सीधे पैसा आमलोगों के खाते में जाता है। यह आपका युग है।

    ज्याादा स्टार्टअप दूसरे दर्जे के शहरों से आया है। आप इन संभावनाओं की जानकारी लीजिए। आपका इसका पता लगाईए। मैं अपने को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे नमन करने का मौका मिला।

    कर्पूरी जी ने पिछड़ों और दलितों की सेवा कर एक नया इतिहास रचा : चौहान

    इधर, इस दौरान केंद्रीय कृषि कल्याण राज्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी ने पिछड़ों और दलितों की सेवा कर एक नया इतिहास रच दिया।

    भारत माता की जय, कर्पूरी ठाकुर की जय से अपना भाषण आरंभ करने वाले केंद्रीय मंत्री चौहान ने श्रद्धांजलि अर्पित करने आए लोगों को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि अपने लिए जिए तो क्या जिए।

    चौहान ने कहा कि जो जनता के लिए, देश के लिए, गरीबों के लिए, दीन दुखियों के लिए, किसानों एवं वंचितों के लिए जिया उसी का नाम कर्पूरी ठाकुर है। उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी ने गरीबों और पिछड़ों की सेवा कर एक नया इतिहास रचा था।

    शोषितों ने ललकारा है, नब्बे भाग हमारा है...

    इस पवित्र भूमि को प्रणाम करता हूं जिसने उनके जैसे महात्मा को जन्म दिया। शोषितों ने ललकारा है, नब्बे भाग हमारा है एवं जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो वाली उक्ति को अपना मूलमंत्र बनाया।

    पिछड़ों को अवसर देने का काम किया, गरीबों को सच्चा अधिकार दिया, मैट्रिक की परीक्षा को अपनी भाषा में देने का अधिकार किसी ने दिया तो उसका नाम कर्पूरी ठाकुर था। उन्होंने ही अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता समाप्त कर दी।

    फटा कुर्ता तो जमा किया चंदा

    एक प्रसंग की चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब कर्पूरी बाबू मुख्यमंत्री थे तब उनका फटा कुर्ता देखा तो जेपी जयंती पर चंद्रशेखर जी ने राशि जमा की।

    उनके कुर्ते की खरीदारी के लिए। लेकिन उस राशि को भी उन्होंने दान दे दिया। आओ कर्पूरी जी के बताए मार्ग पर चलकर जनता के कल्याण में जुटें।

    ये भी पढ़ें

    Bhagalpur News: भागलपुर में इस जगह कैंसर अस्पताल बनाने की तैयारी, 25 एकड़ जमीन की मंजूरी का इंतजार

    भागलपुर वालों की बल्ले-बल्ले! घर बैठे मिलेंगी नीतीश सरकार की यह खास सर्विस, दफ्तर के नहीं काटने होंगे चक्कर

    comedy show banner
    comedy show banner