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    Sarairanjan Vidhan Sabha: बिहार के कद्दावर मंत्री को मिल रही जोरदार टक्कर, क्या इस बार रुक जाएगा विजय रथ?

    By Mukesh KumarEdited By: Krishna Bahadur Singh Parihar
    Updated: Sat, 01 Nov 2025 12:54 PM (IST)

    सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र (Sarairanjan Assembly Seat) में इस बार बिहार के एक कद्दावर मंत्री को कड़ी टक्कर मिल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मुकाबला कांटे का होने की संभावना है, जिसमें स्थानीय मुद्दे और युवा मतदाताओं का रुझान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। विभिन्न दलों के गठबंधन चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।

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    बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी

    मुकेश कुमार, समस्तीपुर। जल संसाधन सह संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी की सीट सरायरंजन। वे जदयू के टिकट पर मैदान में हैं। उन्हें टक्कर देने के लिए राजद के अरविंद सहनी जोर लगा रहे हैं।

    वहीं, जन सुराज पार्टी से पूर्व मंत्री रामविलास मिश्र के पुत्र सज्जन मिश्र त्रिकोणीय धार दे रहे। इस क्षेत्र के सर्वाधिक सुदूर क्षेत्र विद्यापतिनगर चले जाएं या किसी चौक-चौराहे पर... हर कोई हार-जीत का समीकरण समझाता-बताता मिल जाएगा।

    चौधरी चौथी बार अपनी जीत के लिए मैदान में हैं। 2020 में लोजपा भी मैदान में थी। उसके प्रत्याशी आभाष झा ने 11,224 मत हासिल किए थे। इस बार गठबंधन का समीकरण बदला है। दो हिस्सों में बंट चुकी लोजपा का चिराग गुट एनडीए में है। उससे जुड़े मत को जदयू अपना मान रहा।

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    बोले मतदाता, न जाति की न जमात की

    मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेज, पारा मेडिकल के साथ कई और संस्थानों के बूते चौधरी उत्साहित दिख रहे हैं। दिखाने के लिए मोदी और नीतीश का भी चेहरा है। विकास की दुहाई दे रहे। राजद और जन सुराज को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। राजद ने सहनी चेहरे को उतारा है, उन्हें दोबारा टिकट मिला है।

    जातिगत और सामाजिक समीकरण के आधार पर वे मंत्री के सामने हैं। हालांकि, मतदाता इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका स्पष्ट कहना है, यहां हर कोई ऊपर देख रहा। विद्यापतिनगर के शिवशंकर राय की सुन लीजिए, विकास के नाम पर वोट पड़ेगा। न जाति की चलेगी, न जमात की।

    सरायरंजन बाजार के चौराहे पर मिले राम टहल बताते हैं कि सबकुछ तो यहां हो गया। विरोधियों को भी कुछ कहने के लिए नहीं है। मेडिकल-इंजीनियरिंग...हमारा-आपका बाल बच्चा क्या बनेगा, यही न और कुछ बनाना है तो उसकी भी व्यवस्था हो ही रही है।

    रूपौली गांव में रामपरीक्षण राय कहते हैं, यादव हैं इसका मतलब यह नहीं समझिए कि यहां केवल वही हैं। हम भी विकास को प्रमुखता देने वालों में से हैं। झंडा ढोने से कुछ नहीं होता है। काम होना चाहिए।

    जातियों में ढूंढ रहे मौका

    2020 में अरविंद सहनी की इस क्षेत्र में पहले से कोई पहचान नहीं रही थी। राजद ने सामाजिक समीकरण के आधार पर दोबारा उनपर दांव लगाया है। यादव और स्वजातीय आधार वोट बैंक के सहारे वे मैदान में हैं।

    उधर, सज्जन मिश्र भूमिहार-ब्राह्मण में मौका ढूंढ़ रहे। अगर पिछली बार की तरह उनकी भूमिका लोजपा जैसी रही और दाएं-बाएं कर दिया तो विजय चौधरी के माथे पर बल जरूर पड़ेगा। सामाजिक सरोकार रखने वाले बटेश्वर यादव बताते हैं कि यहां हर कोई ऊपर देख रहा है।

    सरायरंजन का जातीय समीकरण

    यादव, सवर्ण, सहनी, चौरसिया, रविदास एवं राजपूत। यहां कुशवाहा और पचपनिया जातियों का भी प्रभाव है। भूमिहार, ब्राह्मण, पचपनिया मतदाता यहां निर्णायक माने जाते हैं। दलित एवं महादलित के साथ-साथ अति पिछड़ा समाज के मतदाताओं की भी अच्छी-खासी संख्या है।

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