CTET के फेक सर्टिफिकेट से मेरिट सूची में शामिल हुए 2 कैंडिडेट, BPSC ने पकड़ी 100000 रुपये की डील
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने टीआरई-3 काउंसलिंग के दौरान दो अभ्यर्थियों को पकड़ा है जिन्होंने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर मेरिट सूची में जगह बनाई थी। जांच में पाया गया कि इन दोनों अभ्यर्थियों के सीटीईटी प्रमाण पत्र फर्जी हैं। इस मामले में शिक्षा विभाग के अंतर्गत सिंघिया प्रखंड परियोजना प्रबंधक की भूमिका भी संदिग्ध है। इस पूरे मामले की जांच जारी है।

जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। टीआरई-3 काउंसलिंग में दो अभ्यर्थी फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर मेरिट सूची में शामिल हो गए। इसका खुलासा बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) पटना ने अनुशंसित टीआरई-3 के तहत चयनित विद्यालय अध्यापकों की तिरहुत एकेडमी में बुधवार को पुर्न काउंसलिंग के दौरान किया। जांच के दौरान दोनों अभ्यर्थियों को पकड़ा गया था।
हालांकि, शिक्षा विभाग अंतर्गत सिंघिया प्रखंड परियोजना प्रबंधक भी पूरे मामले में संदेह के घेरे में है। बिना ड्यूटी के काउंसलिंग केंद्र में प्रवेश दिया गया था। ऐसे में बिचौलिए की भूमिका में उनका नाम सामने आया है।
जिले के शिवाजीनगर प्रखंड अंतर्गत बोरे गांव निवासी सुरेश मंडल की पुत्री ममता कुमारी और दरभंगा जिला के बहेरी प्रखंड अंतर्गत बनडीहुली गांव निवासी सीता राम माडर का पुत्र उमेश मंडल का बिहार लोक सेवा आयोग पटना के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र मिलान के क्रम में पाया गया कि दोनों का सीटीईटी प्रमाण पत्र फर्जी है।
प्रखंड परियोजना प्रबंधक की पूर्व में संदिग्ध रही गतिविधि:
सिंघिया प्रखंड परियोजना प्रबंधक पूर्व में मोरवा में पदस्थापित थे। यहां पर इनकी संदिग्ध गतिविधि रहने की वजह से प्रखंड में परिवर्तन कर दिया गया था। मोरवा प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय बांदे में 13 अप्रैल 2024 को परियोजना प्रबंधक ने निरीक्षण किया था। इसमें प्रबंधक ने रिपोर्ट दी थी कि निरीक्षण के समय छह शिक्षक में तीन बिना सूचना के अनुपस्थित थे।
इस मामले में शिक्षकों ने भी गलत आरोप लगाने की शिकायत थी। जिला शिक्षा पदाधिकारी के निर्देश पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्याह्न भोजन योजना) सुमित कुमार सौरभ ने पूरे मामले की जांच की थी।
जांच में मामला सामने आया कि प्रखंड परियोजना प्रबंधक को मोरवा प्रखंड के सीआरसी जनता उच्च माध्यमिक विद्यालय बाजिदपुर अंतर्गत आवंटित विद्यालयों में निरीक्षण का दायित्व सौंपा गया था। साथ ही शिक्षिका ने प्रबंधक पर विलंब से पहुंचने पर उपस्थिति दर्ज कराने के एवज में राशि मांगने का आरोप लगाया था।
इस पर डीपीओ ने रिपोर्ट दिया था कि प्रखंड परियोजना प्रबंधक द्वारा कर्तव्य में लापरवाही तथा गलत मंशा से शिक्षकों को प्रताड़ित किया जाता है। साथ ही निरीक्षण प्रपत्र भी उपलब्ध नहीं कराया गया। इससे इनकी भूमिका एवं कार्यशैली को संदिग्ध बताया गया।
अवैध रूप से काउंसलिंग कराने की 1 लाख में हुई थी डील:
- प्रखंड परियोजना प्रबंधक पर आरोप है कि फर्जी प्रमाण पत्र पर काउंसलिंग कराने के लिए एक लाख रुपये में डील की थी।
- प्रखंड परियोजना प्रबंधक द्वारा दिए गए तीन अलग-अलग मोबाइल संख्या पर यूपीआई से 75 हजार रुपये ट्रांसफर किए गए।
- इसमें मोबाइल संख्या 9101887662 से 50 हजार रुपये, मोबाइल संख्या 9670886666 से पांच हजार रुपये एवं मोबाइल संख्या 8013744987 से 20 हजार रुपये दिए गए थे।
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