समस्तीपुर के 409 अनाथ बच्चों को मिला नीतीश सरकार का सहारा, अब हर महीने खाते में खटाखट पहुंचेंगे रुपये
अनाथ बच्चों के लिए बिहार में बड़ा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्पॉन्सरशिप योजना से अनाथ बच्चों को सहारा मिल रहा है। इस योजना के तहत प्रत्येक महीने चार हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इससे बच्चों की बेहतर देखभाल और शिक्षा-दीक्षा हो पा रही है। इस योजना से सैकड़ों बच्चों को लाभ मिल चुका है।

जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। पिता का साया सर से उठ जाते ही एक बच्चे का पूरा बचपन ही छीन जाता है क्योंकि, उसके भरण पोषण की पूरी जिम्मेदारी उसके पिता के कंधे पर ही होती है।
इसमें सबसे अधिक दुख वैसे बच्चों को होता है जिनके पास दो जून की रोटी के भी लाले पड़े हो। उन बच्चों को सरकार की स्पान्सरशिप योजना का लाभ मिलने से थोड़ी राहत मिलती है।
सरायरंजन के दिलशाद रिजवी को मिली सहायता
इस योजना से सरायरंजन के दिलशाद रिजवी के उम्मीदों के पंख बहुरे हैं। उसके पिता को एक हादसे ने छीन लिया था। इसके बाद से वह अनाथ हो गया। परिवार के सामने उसकी बेहतर पढ़ाई लिखाई भी मुश्किल से होने लगी थी।
परिवार के सामने आर्थिक तंगी के हालात बने थे। ऐसे में उसके मामा ने थोड़ी सी मेहनत कर उसका आवेदन योजना के लाभ को किया। आवेदन की जांच पड़ताल के बाद उसके नाम को स्वीकृति मिली। बाद में उसे योजना का लाभ मिलना शुरू हो गया।
प्रत्येक माह मिलते चार हजार रुपये
उसे प्रत्येक महीने चार हजार रुपए दिए जा रहे हैं। इससे उसकी बेहतर देखभाल के साथ ही निजी विद्यालय में पढ़ाई लिखाई भी हो रही। आज उसकी मां नीमत खातुन के लिए यह पैसा एक बेहतर सहारा बना है। उसकी कठिनाइयों से भरी जिंदगी थोड़ी आसान हो चली है।
खानपुर, रोसड़ा, विभूतिपुर, शिवाजीनगर, खानपुर के बच्चे भी शामिल
- इस योजना से खानपुर प्रखंड के अंकित कुमार, रोसड़ा की आरती कुमारी, विभूतिपुर की आयुष राज, शिवाजीनगर के दिव्यांशु राज, खानपुर के अनंत कुमार सिंह समेत अन्य लाभान्वितों की सूची में शामिल हैं। प्राथमिकता के आधार पर बेसहारा बच्चों का चयन कर लाभ दिया जाता है।
- इस वर्ष 409 बच्चों को योजना का लाभ दिया गया। यह आंकड़ा जिले को मिले लक्ष्य से अधिक है। राज्य की तरफ से जिले को 358 बच्चों को योजना का लाभ देने का लक्ष्य दिया गया था। वहीं कुछ आवेदन अब भी लंबित है। उनकी जांच चल रही है।
समय-समय पर होती है देखभाल
बच्चों को सहायता देने के साथ ही विभागीय स्तर से इसकी देखभाल भी की जाती है। समय-समय पर बच्चों की पढ़ाई लिखाई की ताजा जानकारी ली जाती है। जैसे अभी वह कौन से स्कूल में पढ़ रहा।
उसका रिजल्ट कैसा रहा। बच्चों को किसी तरह की परेशानी आदि तो नहीं हो रही। बच्चों के अभिभावकों से सभी जानकारी ली जाती है।
योजना के तय लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। अभी 409 बच्चों को इससे लाभान्वित किया जा रहा है। अब भी सैकड़ों आवेदन लंबित है। लेकिन, लक्ष्य पूर्ण होने की वजह से सभी को देना संभव नहीं हो पा रहा। इसको लेकर समुचित मार्गदर्शन मांगी जाएगी। जैसा निर्देश मिलेगा उस दिशा में आगे का कार्य किया जाएगा।-आकाश, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा
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