Upendra Kushwaha: '...तो बिहार में 40 की जगह 60 एमपी होंगे', ऐसा क्यों बोले RLM चीफ उपेंद्र कुशवाहा?
उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में परिसीमन की मांग को लेकर नया मोर्चा खोला है। उनका कहना है कि परिसीमन लागू होने से बिहार में लोकसभा की सीटें 40 से बढ़कर 60 हो जाएंगी। अभी की आबादी के हिसाब से परिसीमन हो तो बिहार में लोकसभा में 40 की जगह 60 एमपी होंगे। इसी तरह विधानसभा की सीट भी बढ़ेगी।

जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र के परिसीमन को लेकर राष्ट्रीय लोक मोर्चा बिहार में वातावरण बनाएगी। इसके लिए शाहाबाद की धरती बिक्रमगंज से 'संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार' का शंखनाद कर महारैली शुरू की जाएगी। जिला मुख्यालय स्थित परिसदन में गुरुवार को राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख सह राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा ने आयोजित प्रेस वार्ता में यह बातें कही।
उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा के परिसीमन की व्यवस्था फ्रीज करने के चलते बिहार जैसे राज्यों को काफी क्षति हो रही है। अभी की आबादी के हिसाब से परिसीमन हो तो बिहार में लोकसभा में 40 की जगह 60 एमपी होंगे। इसी तरह विधानसभा की सीट भी बढ़ेगी।
हमारा संविधान एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य की बात करता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि परिसीमन रोकने के कारण लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या में काफी अंतर हो गया है।
'30-31 लाख लोक मिलकर एक सांसद को चुन रहे...'
उन्होंने कहा कि देश में कहीं 10 लाख लोग मिलकर एक एमपी चुनते हैं, जबकि बिहार जैसे राज्य में 30-31 लाख लोग मिलकर एक सांसद को चुन रहे हैं।
कुशवाहा ने कहा कि संविधान में व्यवस्था है कि प्रत्येक जनगणना यानी हर 10 वर्ष के बाद क्षेत्र का परिसीमन होना चाहिए। आजादी के बाद 195, 1961 और 1971 में तीन बार जनगणना में बढ़ी आबादी के अनुरूप क्षेत्र की सीमा बढ़ाई गई।
इसके बाद इमरजेंसी के दौर में 1976 में संविधान के इस प्रविधान को संशोधन लाकर रोक दिया गया। कहा गया कि अगले 25 वर्ष तक बढ़ी हुई आबादी के अनुरूप क्षेत्र की सीमा नहीं बढ़ेगी।
2001 में एक बार फिर परिसीमन पर रोक का समय 25 साल के लिए बढ़ा दिया गया। बीच में एक बार परिसीमन हुआ, लेकिन उस समय संख्या नहीं बढ़ी, सिर्फ मतदाताओं की संख्या के आधार पर क्षेत्र को संतुलित किया गया।
'2026 में समाप्त होने वाली है समय सीमा...'
उन्होंने कहा कि अब 2026 में वह समय सीमा समाप्त होने वाली है और परिसीमन होना है, लेकिन दक्षिण के कुछ राज्य के नेता भारत सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं कि परिसीमन नहीं होना चाहिए। इसके चलते बिहार सहित हिंदी क्षेत्र के कई राज्यों का काफी नुकसान हो रहा है।
बकौल कुशवाहा, दक्षिण के राज्यों का कहना है की उत्तर भारत के राज्यों की आबादी ज्यादा बढ़ी है, जबकि हमारी आबादी पर हमने नियंत्रण किया है, इसलिए हमारी जनसंख्या उतनी नहीं बढ़ी है।
'परिसीमन लागू होने से...'
कुशवाहा ने कहा कि परिसीमन लागू होने से उत्तर भारत के राज्यों के सांसदों की संख्या काफी बढ़ जाएगी, जबकि हमारी नहीं बढ़ेगी। इसके खिलाफ पार्टी पूरे बिहार में परिसीमन के लिए वातावरण तैयार करने का काम करेगी। पहले शाहाबाद के बिक्रमगंज में 25 मई को, इसके बाद आठ जून को मुजफ्फरपुर में और इसी तरह बारी-बारी से पूरे बिहार में संवैधानिक अधिकार, परिसीमन सुधार महारैली किया जाएगा।
इस क्रम में कुशवाहा ने कहा कि तीन दिन पहले वाल्मीकि नगर में पार्टी के शिविर में जातीय जनगणना का प्रस्ताव पास किया गया था, जिस पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बधाई के पात्र हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।