भाकपा-माले की राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक बिक्रमगंज में शुरू हुई। इसमें वरिष्ठ नेता सांसद और विधायक शामिल हुए। बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति संगठनात्मक मजबूती और विपक्षी एकजुटता पर चर्चा हो रही है। राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि महागठबंधन एकजुट है और चुनावी मोर्चे पर साझा रूप से उतरने के लिए तैयार है। भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ जनता मुक्ति चाहती है।
संवाद सहयोगी, बिक्रमगंज (रोहतास)। Rohtas News: भाकपा-माले की राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक शनिवार से बिक्रमगंज के प्रमिला मंडप मैरिज हॉल में शुरू हुई। जिसमें पार्टी की राज्य इकाई के वरिष्ठ नेता, सांसद, विधायक और जिलों के शीर्ष पदाधिकारी शामिल हुए।
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बैठक में वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, काराकाट के सांसद राजाराम सिंह, आरा के सांसद सुदामा प्रसाद, काराकाट के विधायक अरुण सिंह, अमर, मीना तिवारी, नेयाज अहमद, शशि यादव समेत अन्य प्रमुख रूप से शामिल हैं।
बैठक में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति, संगठनात्मक मजबूती, जन आंदोलन की दिशा और भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ विपक्षी एकजुटता पर चर्चा हो रही है। राज्य सचिव कुणाल ने राजनीतिक हालातों की समीक्षा करते हुए कहा कि बिहार की जनता अब भाजपा-जदयू की जनविरोधी सरकार से मुक्ति चाहती है। उन्होंने कहा कि राज्य में महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है और अब चुनावी मोर्चे पर साझा रूप से उतरने के लिए तैयार है।
उन्होंने यह भी बताया कि महागठबंधन की समन्वय समिति का गठन हो चुका है और तेजस्वी यादव को इसका अध्यक्ष चुना गया है। कुणाल ने कहा कि हम जनता की बुनियादी सवाल रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर सड़क पर हम संघर्ष तेज करेंगे। भाजपा बिहार में सांप्रदायिक उन्माद फैलाकर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन हम इसे सफल नहीं होने देंगे।
बैठक में अमेरिका के सामने मोदी सरकार के समर्पण के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए कहा गया कि इस केंद्र सरकार में भारत की संप्रभुता और लोकतांत्रिक ढांचे पर गहरा संकट मंडरा रहा है। सांसद राजाराम सिंह ने वक्फ बोर्ड से जुड़े हालिया विवादों पर जदयू को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जदयू की भूमिका इस मुद्दे पर पूरी तरह से संविधान और लोकतंत्र विरोधी रही है।
वक्फ बोर्ड को निशाना बनाना न सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर हमला है, बल्कि यह भारत के संविधान की आत्मा पर भी प्रहार है। कहाकि वापस लिए गए कृषि कानूनों को अब पीछे के दरवाज़े से नई कृषि विपणन नीति के नाम पर फिर से लागू करने की कोशिश की जा रही है।
आरा के सांसद सुदामा प्रसाद ने छोटे व्यापारियों और सहारा जैसे चिटफंड घोटालों में फंसे निवेशकों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि पार्टी संगठनात्मक रूप से हर जिले में अपनी ताकत बढ़ा रही है और चुनाव पूर्व जन आंदोलनों को और तेज किया जाएगा।
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