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    Rahul Gandhi Bihar Visit: क्या सीमांचल में चलेगा राहुल गांधी का जादू, मुस्लिम वोटर किस तरफ? पढ़िए पूरा समीकरण

    By Jagran NewsEdited By: Sanjeev Kumar
    Updated: Wed, 31 Jan 2024 01:12 PM (IST)

    Bihar Politics राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस की संभावना के लिए सीमांचल को टारगेट कर रहे हैं। जहां उसके अलावा मुस्लिम वोटों के तीन और दावेदार (राजद जदयू एआइएमआइएम) भी हैं। पिछली बार एआइएमआइएम ने छकाया भी खूब था और इस बार तो जदयू ने पल्ला ही झाड़ लिया है। अब देखने वाली बात होगी कि मुस्लिम वोटर किस तरफ जा रहे।

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    बिहार के दौरे पर राहुल गांधी सीमांचल में लागा रहे पूरा जोर (जागरण)

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पूर्णिया। Bihar Political News: बाहर घनघोर कोहरा ऐसा कि आंख को अपना ही हाथ न सूझे। ऐसे में भी मंगलवार प्रात:काल राहुल गांधी सहयात्रियों से कुछ पहले ही तैयार हो गए। अररिया से शुरू हुई उनकी दूसरे दिन की भारत जोड़ो न्याय यात्रा कटिहार जिले के खेरिया गांव में प्रगतिशील किसान ललित चौधरी के कृषि फार्म हाउस में रात्रि विश्राम के साथ समाप्त हुई।

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    इस बीच पूर्णिया के शीशाबाड़ी में किसानों से संवाद के साथ राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने तीन वादे भी किए। एक दिन पहले का संकोच छोड़कर रंगभूमि मैदान में नीतीश कुमार पर कटाक्ष तक से नहीं चूके। इस संकल् के साथ कि सामाजिक न्याय के लिए वे आखिरी सांस तक संघर्षरत रहेंगे। खेरिया से पहले भट्टवारा गांव में फुटबाल खेलते युवाओं के बीच तो इस तरह लपक कर पहुंचे जैसे साथ के खिलाड़ी हों।

    सीमांचल की जीत के लिए राहुल गांधी अकेले कर रहे मेहनत

     राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का यह पूरा जतन बिहार में कांग्रेस की संभावना के लिए सीमांचल को सुरक्षित रखने का है, जहां उसके अलावा मुस्लिम वोटों के तीन और दावेदार (राजद, जदयू, एआइएमआइएम) भी हैं। पिछली बार एआइएमआइएम ने छकाया भी खूब था और इस बार तो जदयू ने पल्ला ही झाड़ लिया है।

    किशनगंज में राहुल गांधी ने ऐसे लगाया जोर

    भारत जोड़ो न्याय यात्रा के 16वें दिन सोमवार को राहुल बंगाल के सीमावर्ती किशनगंज जिला पहुंचे थे। अररिया के यादव कालेज परिसर में उनकी रात कटी थी। अगले दिन वहां पुण्यतिथि पर महात्मा गांधी को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए वे बिहार में होने भर से भाव-विह्वल होते रहे।

    सीमांचल का तो राहुल गांधी (Rahul  ने विशेष आभार प्रकट किया, जिसने राजनीतिक आपदा में भी अपनी चार में से एक सीट कांग्रेस की झोली में डाल दिया। हालांकि, सीमांचल में मुसलमानों की सबसे कम जनसंख्या वाले पूर्णिया जिला की सीमा पर राहुल की अगवानी किशनगंज और अररिया जैसी नहीं हुई।

    पूर्णिया में पिछली बार नहीं मिल सकी थी सफलता

    पिछले संसदीय चुनाव में भी पूर्णिया ने कांग्रेस (Congress) को दूसरे पायदान पर रोक दिया था। तब भी नीतीश साथ नहीं थे। किराना दुकान चलाने वाले शंभू चौधरी को इसका मलाल है। वे कहते हैं कि राहुल के साथ अगर नीतीश भी होते तो आज यह रंग देखते बनता! हालांकि, स्पेयर पाटर्स की दुकान पर काम करने वाले अब्दुल मन्नान और मस्तान रह चुके नुरूल होदा शाह इससे बहुत सहमत नहीं।

    वे पा रहे कि बदलते हुए माहौल में राहुल लोकप्रिय हो रहे। लायंस क्लब के सचिव रूपेश डुंगरवाल के लिए तो यह बदलता माहौल वस्तुत: राजनीति के आया राम-गया राम का दौर है और भरोसा करना कुछ कठिन। इतना कहते हुए वे कनखियों से एक कतार में घरों पर टंगे उन भगवा ध्वजों को भी निहार ले रहे, जिनके आगे सड़क पर कांग्रेस के साथ राजद के झंडे उठाए उत्साहित लोग राहुल की प्रतीक्षारत कर रहे।

    मुसलमान बदल सकते हैं कांग्रेस की किस्मत

    लोकसभा के चार और विधानसभा के 24 क्षेत्रों वाले सीमांचल ने विपरीत परिस्थितियों में भी कांग्रेस को संजीवनी दी है। कभी निराश नहीं किया, लेकिन 2015 से इसने मुसलमानों के वोटों को लेकर धुकधुकी भी बढ़ाई है। तब विधानसभा की एक सीट पर आइएमआइएम सफल रहा था।

    2020 में उसने यह संख्या बढ़ाकर पांच कर ली। इतनी ही सीटें कांग्रेस को भी मिलीं, जबकि माय (मुसलमान-यादव) समीकरण का दावेदार राजद खाली हाथ रहा गया था, जो बिहार में कांग्रेस का बड़ा भाई है। सर्वाधिक आठ सीटें वह भाजपा लिए हुए है, जिसे राहुल नफरत फैलाने वाला बता रहे।

    इन बातों के बीच इस बार राजनीति का समीकरण भी बदला हुआ है। लोकसभा की तीन सीटें राजग दबाए बैठा है और आइएमआइएम ताल ठोकने के लिए तैयार।

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