Purnia Crime: '5 लोगों को जिंदा जलाया.. भनक क्यों नहीं लगी?', कमिश्नर के सवाल पर सब साध गए मौन
पूर्णिया के टेटगामा गांव में अंधविश्वास ने दरिंदगी की हद पार कर दी। एक परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जला दिया गया और गांव में सन्नाटा पसरा है। प्रशासनिक अधिकारी गांव का दौरा कर रहे हैं और लोगों को जागरूक करने की बात कर रहे हैं। घटना ने स्थानीय प्रतिनिधियों और सरकारी कर्मियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। अंधविश्वास में दरिंदगी की हद पार कर चुके टेटगामा गांव में सन्नाटा पसरा है। गांव के अधिकांश लोग घर छोड़कर अस्थाई रूप से यहां-वहां चले गये हैं, जो इक्के-दुक्के हैं भी तो उनके मुंह पर ताला जड़ा है।
कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है, एक ही जवाब कि उनको कुछ पता नहीं। जबकि बीच गांव में सैकड़ों लोगों की आंख के सामने एक परिवार के पांच लोगों को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया गया।
न उस समय किसी की इंसानियत जागी और न आज ही किसी का जमीर जागा है। सब घटना के मौन गवाह बने हुए हैं। पूरा टोला सूना है, हां घटना के बाद प्रशासनिक सक्रियता बढ़ गई है।
डीएम-कमिश्नर भी गांव पहुंचे
सुबह से ही अधिकारियों, मीडिया कर्मियों की आवाजाही गांव में हो रही है। बीडीओ-सीओ से लेकर डीएम, कमिश्नर सभी गांव पहुंच रहे हैं। कोई लोगों को जागरूक करने की बात कर रहे हैं तो कोई अशिक्षा दूर करने की आवश्यकता जता रहे हैं।
मंगलवार को सुबह मृतक दो महिला एवं तीन पुरुषों का पोस्टमॉर्टम के बाद दाह-संस्कार स्थानीय कप्तान पुल के समीप करा दिया गया। अंतिम संस्कार के समय डीएम अंशुल कुमार स्वयं मौजूद रहे।
गाइडलाइन पूरी करने में जुटे अधिकारी
जबकि मृतक परिवार के नजदीकी रिश्तेदार भी इस अवसर वहां पहुंचे थे। वहीं, मृतकों के अंतिम संस्कार के बाद अधिकारी सरकारी गाइडलाइन को पूरा करने में जुट गये हैं।
विभागीय अधिकारियों से लेकर वरीय अधिकारी पीड़ितों के गांव पहुंचने लगे हैं। सुबह में प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार, एसडीओ पार्थ गुप्ता के साथ टेटगामा पहुंचे तथा स्थानीय अधिकारियों से घटना की जानकारी ली।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जानकारी क्यों नहीं मिली?
कमिश्नर ने वार्ड सदस्य से लेकर मुखिया, आंगनबाड़ी केंद्र के कर्मियों, पंचायत सचिव, विकास मित्र सबको तलब किया। उन्होंने सबसे पूछा कि आखिर इतनी बड़ी घटना घट गई और उन लोगों को क्यों खबर नहीं मिली।
वार्ड सदस्य से पूछा कि हत्या से पहले यहां तीन गांवों के लोगों की मीटिंग हुई थी, फिर यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कैसे जानकारी नहीं मिली। कमिश्नर ने पंचायत सचिव को भी तलब किया। हालांकि, वे मौके पर मौजूद नहीं थे।
मनरेगा भवन के कर्मी कहां थे?
उन्होंने कहा कि जहां पर सभी को जलाया गया है, वह स्थल मनरेगा भवन से ठीक सटा हुआ है। आखिर यहां के कर्मियों की इसकी भनक क्यों नहीं लगी? कमिश्नर ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर स्थानीय स्तर के सरकारी कर्मियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए।
सवाल सच भी है कि अगर जिम्मेदार लोग (जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासनिक अमला) अपने कर्तव्य पालन के प्रति ईमानदार होते तो शायद आज अंधविश्वास की आग में पांच जिंदगियां नहीं झुलसी होतीं।
एक परिवार उजड़ने से बच जाता
मौके पर पहुंचे कल्याण विभाग के उप निदेशक ने कहा कि अशिक्षा और अंधविश्वास के प्रति जागरूकता की कमी के कारण यह घटना हुई है। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
सवाल यह है कि अगर समय रहते यह काम किया गया होता तो शायद एक परिवार उजड़ने से बच जाता। जो भी है यह सच है कि अंधविश्वास के आगे आज इंसानियत हारी है, जिसका गवाह टेटगामा गांव है।
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