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    Purnia Crime News: पूरे सात घंटे तक चला क्रूरता का 'खेल', घर के सामने ही सजा दी चिता

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 03:20 PM (IST)

    पूर्णिया के टेटगामा गांव में डायन बताकर एक परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जला दिया गया। ग्रामीणों ने कातो देवी पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया था। पंचायत में पूरे परिवार को जलाने का फैसला लिया गया। पीड़ितों को बंधक बनाकर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई शवों को 4 किमी दूर ठिकाने लगाया गया। पुलिस को घटना की जानकारी सुबह मिली जिससे क्षेत्र में दहशत है।

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    पूरे सात घंटे तक चला क्रूरता का खेल, घर के सामने ही सजा दी गई चिता

    राजीव कुमार, पूर्णिया। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के टेटगामा आदिवासी टोला में एक ही परिवार की तीन महिला समेत पांच लोगों को जिंदा जलाने व फिर शवों को ठिकाना लगाने की वारदात ने हर किसी को दहला दिया है। विशेषकर परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला को डायन बता ग्रामीणों द्वारा लिए गए इस क्रूर फैसले ने एक साथ कई सवाल खड़ा कर दिया है।

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    मानवता को झकझोर देने वाली इस घटना की चिंगारी रात नौ बजे से ही भड़कने लगी थी और अल सुबह चार बजे इस खौफनाक मंजर का पटाक्षेप हुआ था। घर के सामने ही पांचों को जिंदा जलाने व फिर चार किलोमीटर दूर ले जाकर शवों को ठिकाना लगाने का यह क्रूर खेल पूरे सात घंटे का था। बड़ी बात यह कि महज चार किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित थाना की पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।

    इस घटना में कातो देवी- 70 वर्ष के साथ-साथ उसके पुत्र बाबूलाल उरांव व उसकी पत्नी, बाबूलाल उरांव के एक पुत्र व उसकी पत्नी सभी को घर से बंधक बनाकर जिंदा जला दिया गया और फिर ट्रैक्टर ट्राली से शवों को चार किलोमीटर दूर ले जाकर ठिकाना लगा दिया गया। बाबूलाल उरांव के भाई जितेंद्र उरांव ने बताया कि वे लोग पांच भाई थे, जिसमें बाबूलाल उरांव दूसरे नंबर पर था।

    उनकी मां कातो देवी बाबूलाल उरांव के पास ही रहती थी। गांव के रामदेव उरांव का भांजा हाल में बीमार पड़ गया था। रविवार की शाम वह अत्यधिक कमजोरी के कारण मूर्छित होकर गिर गया था। रामदेव उरांव का आरोप था कि उसके भांजे पर मेरी मां कातो देवी ने ही जादू टोना कर दिया है। इसको लेकर उसने गांव के अलग-अलग बस्ती के आदिवासी परिवारों से शिकायत की थी और संबंधित परिवार को दंड देने की गुहार लगायी थी।

    रविवार की शाम भांजा के मूर्छित होकर गिरने के बाद उसने लोगों को जमा किया। भीड़ की अगुवाई गांव के ही नकुल उरांव कर रहा था। सभी ने पहले रामदेव के भांजे के मेरे भाई बाबूलाल उरांव के आंगन में सुला दिया और मेरी मां पर उसे ठीक करने का दबाब बनाने लगा। ऐसा करने में मां ने असर्थता जतायी। बाद में उस किशोर को इलाज के लिए पूर्णिया ले जाया गया।

    इधर, रात में फिर से ग्रामीणों की बैठक हुई और उसमें कातो देवी समेत बाबूलाल उरांव के पूरे परिवार को जिंदा जलाकर मारने का क्रूर फैसला लिया गया। देर रात अचानक हरवे हथियार से लैस भीड़ ने बाबूलाल उरांव समेत उनके अन्य भाइयों के घर को घेर लिया। बाबूलाल उरांव के परिवार के पांच सदस्यों को बंधक बनाकर घर से चंद कदम की दूरी पर लेकर चले गए।

    इधर, अन्य भाइयों को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया गया और उनके मोबाइल आदि भी भीड़ ने अपने कब्जे में ले लिया। भाइयों व उनके परिवार को भी यह धमकी दी गई कि अगर उन लोगों ने पुलिस को सूचना दी तो उन लोगों को भी जलाकर मार दिया जाएगा। उन्मादी भीड़ ने पांचों सदस्यों को एक साथ बांधकर उस पर पेट्रोल छिड़क दिया और फिर आग फूंक दी।

    बाबूलाल के भाइयों ने बताया कि वे लोग चाह कर भी कुछ नहीं कर पाए। रात के करीब चार बजे शवों को ठिकाना लगाकर ग्रामीण वापस लौटे और फिर सुबह इसकी सूचना पुलिस तक पहुंची।