Bihar: छिपा रह गया मर्डर का राज, इंस्पेक्टर के सिर सजा DSP का ताज; हरकत में पुलिस मुख्यालय
पूर्णिया में पुलिस निरीक्षक मुखलाल पासवान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होने के बावजूद उनकी सेवा पुस्तिका में इसका उल्लेख नहीं किया गया। इस कारण उन्हें पहले इंस्पेक्टर और फिर डीएसपी पद पर प्रोन्नति मिली। सीबीआई ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। राज्य पुलिस मुख्यालय ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और जांच रिपोर्ट तीन दिनों में मांगी है।

राजीव कुमार, पूर्णिया। पूर्णिया में पदस्थापित एक पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ दर्ज हत्या का राज छिपा रह गया और आरोपित पुलिस इंस्पेक्टर के सिर डीएसपी का ताज सज गया। मामला सामने आने के बाद राज्य पुलिस मुख्यालय ने पूरे मामले की जांच कर पूर्णिया डीआईजी से रिपोर्ट मांगी है।
राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर डीआईजी ने पूर्णिया एसपी से तीन दिनों में इस बात की रिपोर्ट मांगी है कि जब पुलिस निरीक्षक के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज था तो फिर सेवा पुस्तिका में इसे अंकित क्यों नहीं किया गया। सेवा पुस्तिका में हत्या जैसे संगीन मामले दर्ज नहीं होने के कारण पुलिस इंस्पेक्टर मुखलाल पासवान को राज्य मुख्यालय स्तर पर इंस्पेक्टर से डीएसपी स्तर में प्रोन्नति मिल गई।
1994 में हुई थी मुखलाल पासवान की नियुक्ति
पुलिस निरीक्षक मुखलाल पासवान पांच सितंबर, 1994 को पुलिस अवर निरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे। आठ नवंबर 1995 से लेकर 20 जुलाई 1999 तक पूर्णिया जिला बल में पुलिस अवर निरीक्षक के पद पर पदस्थापित रहे। इसी दौरान इनके खिलाफ बिहारीगंज थाने में हत्या का मामला दर्ज हुआ।
हैरत की बात तो यह है कि हत्या का मामला दर्ज रहने के बाद भी पुलिस अवर निरीक्षक मुखलाल पासवान को पहले पुलिस निरीक्षक और फिर पुलिस उपाधीक्षक में प्रोन्नति मिल गई। हत्या के इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही थी।
जब सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में आरोपित तत्कालीन दारोगा और वर्तमान में डीएसपी बने मुखलाल पासवान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो राज्य पुलिस मुख्यालय इस मामले को लेकर गंभीर हुआ कि हत्या आरोपित दारोगा को पहले इंस्पेक्टर व फिर डीएसपी में प्रोन्नति कैसे मिल गई।
इसके बाद राज्य पुलिस मुख्यालय ने इस मामले की जांच का आदेश निर्गत किया। राज्य पुलिस मुख्यालय ने इस आरोपित पुलिस पदाधिकारी की प्रोन्नति के लिए प्रस्ताव भेजने वाले पुलिस पदाधिकारियों की पहचान का निर्देश दिया है।
पुलिस अवर निरीक्षक मुखलाल पासवान के खिलाफ हत्या का यह मामला 12 दिसंबर 1998 को दर्ज किया गया था। इनका तबादला चार अगस्त 2016 को विशेष शाखा पटना में किया गया था। हर प्रोन्नति के पूर्व किसी भी पुलिस अधिकारी को स्वलिखित घोषणा भी करनी पड़ती है कि उनके खिलाफ किसी भी मामले में न्यायालय में कोई मामला लंबित नहीं है। बताया जाता है कि मुखलाल पासवान मामले में इन सभी प्रविधानों को नजरअंदाज किया गया।
आरोपित पुलिस निरीक्षक मुखलाल पासवान के खिलाफ हत्या का मामला थाने में दर्ज होने के बाद भी इस मामले की प्रविष्टि पुलिस निरीक्षक की सेवा पुस्तिका में अंकित नहीं हुई। इस मामले को लेकर पूर्णिया एसपी से तीन दिनों में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। - प्रमोद कुमार मंडल, डीआईजी, पूर्णिया।
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