क्या Bihar Election पर पड़ेगा Delhi की फूट का असर, टूट जाएगी RJD-कांग्रेस की 25 साल पुरानी दोस्ती?
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2025) के लिए समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने का एलान किया है। इस बीच बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के एक बयान ने बिहार की राजनीति में संदेह पैदा कर दिया है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि आईएनडीआईए का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए किया गया था।

सुनील राज, पटना। दिल्ली में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही आईएनडीआईए की गांठें खुलनी शुरू हो गई हैं। समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन देने का एलान कर दिया है। सपा-टीएमसी के एलान के बाद कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है।
दूसरी ओर, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने बयान से बिहार की राजनीति में भी संदेह का माहौल बना दिया है। यह बयान तब आया है जब इस वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं।
क्या बोला तेजस्वी ने?
तेजस्वी यादव ने बुधवार को बक्सर में अपनी यात्रा के दौरान दो टूक शब्दों में कहा था कि आईएनडीआईए का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए किया गया था। बावजूद दिल्ली चुनाव को लेकर यदि किसी तरह की बात आती है तो उस पर जरूर विचार किया जाएगा।
उन्होंने अपने बयान में अलबत्ता यह बात जरूर जोड़ी थी कि बिहार में कांग्रेस शुरू से उनके साथ है। तेजस्वी के इस बयान ने प्रदेश के राजनीतिक दलों को बोलने का मौका मुहैया करा दिया है।
राष्ट्रीय जनता दल की सहयोगी कांग्रेस के अंदर भी तेजस्वी के बयान के बाद उहापोह की स्थिति है। हालांकि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह राजद-कांग्रेस गठबंधन को लेकर लग रहे कयासों और बयानों को सिरे से खारिज करते हैं।
'तेजस्वी ने कोई नई बात नहीं कही'
डॉ. अखिलेश प्रसाद ने कहा कि तेजस्वी यादव ने कोई नई बात नहीं कही है। यह सही है कि आईएनडीआईए का गठन लोकसभा चुनाव के लिए किया गया था। रही बिहार की बात तो बिहार में कांग्रेस-राजद एक दूसरे के पूरक हैं। हम दोनों एक दूसरे के बगैर अधूरे हैं।
पार्टी के प्रभारी सचिव शाहनवाज आलम भी मानते हैं कि तेजस्वी ने कुछ गलत नहीं कहा। वे कहते हैं राजद-कांग्रेस का संबंध परंपरागत है। लालू प्रसाद और कांग्रेस की सहमति से यह संबंध बना है जो वर्षों से कायम है और आगे भी रहेगा। वाम दलों के आने से यह और मजबूत ही हुआ है।
विधायक दल के नेता की अलग लाइन
हालांकि, पार्टी अध्यक्ष व प्रभारी सचिव के बयान से पार्टी विधायक दल के नेता शकील अहमद खान इतेफाक नहीं रखते। शकील अहमद तेजस्वी के बयान पर पलटवार करते हुए कहते हैं कि जो कांग्रेस को हल्के में लेगा उसे हम और हल्के में लेंगे।
NDA के नेता क्या मानते हैं?
राजद कांग्रेस से अलग अगर सत्तारूढ़ दलों बात करें तो तेजस्वी के आईएनडीआईए से जुड़े बयान को वे भविष्य के संकेतों से जोड़कर देखते हैं। सत्तारूढ़ दल के नेता मानते हैं कि आईएनडीआईए में बिखराव का असर बिहार के चुनाव पर पड़ना तय है।
एनडीए में शामिल नेता भाजपा के हो या फिर जदयू में वे तेजस्वी के बयान को दरार बताने से नहीं चूक रहे। एनडीए नेताओं का मानना है कि आईएनडीआईए उसी वक्त टूट गया था जब इसके सूत्रधार नीतीश कुमार इससे अलग हो गए थे।
नहीं टूटेगी कांग्रेस-राजद की दोस्ती!
- तमाम कयास और बयानबाजी के बीच हकीकत यह है कि राजद और कांग्रेस के संबंध बिहार की राजनीति में आज के नहीं।
- ये दोनों 25 सालों से साथ चल रहे हैं। इन 25 वर्षों में इन दोनों दलों ने पांच लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़े हैं।
- 25 सालों में चार चुनाव में दोनों दल मामूली बात पर अलग भी हुए, लेकिन आशा के अनुरूप सफलता नहीं प्राप्त कर पाए।
- अंतिम बार दोनों दल 2010 में अलग हुए थे, परंतु अपनी पराजय को देख दोनों दल तब से साथ-साथ चल रहे हैं और आगे भी साथ रहेंगे। इन दलों के नेताओं के बयानों से ऐसा ही प्रतीत होता है।
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