Tirhut MLC Election Result: इन 3 गलतियों की वजह से MLC उपचुनाव हारे अभिषेक झा! CM नीतीश के हैं खासमखास
Abhishek Jha Jdu विधान परिषद के तिरहुत स्नातक क्षेत्र के उपचुनाव में सत्तापक्ष के उम्मीदवार की हार हुई है। यह हार डबल इंजन की सरकार के लिए एक बड़ा झटका है जिसे अब विधानसभा चुनाव के लिए नया समीकरण गढ़ना होगा। नियोजित शिक्षकों और स्वास्थ्य विभाग के नर्सिंग कर्मियों की गोलबंदी ने जदयू प्रत्याशी अभिषेक झा को चौथे पायदान पर पहुंचा दिया।

रमण शुक्ला, पटना। Tirhut MLC Upchunav Result 2024: विधान परिषद के तिरहुत स्नातक क्षेत्र के उपचुनाव के विपरीत परिणाम से यह साफ हो गया है कि डबल इंजन की सरकार को अब विधानसभा चुनाव के लिए नया समीकरण गढ़ना होगा।
सत्तापक्ष के उम्मीदवार के चौथे पायदान पर पहुंचाने की पटकथा नियोजित शिक्षकों एवं स्वास्थ्य विभाग के नर्सिंग कर्मियों ने लिखी। दोनों श्रेणी के सरकारी कर्मियों की गोलबंदी के साथ ही राजग के स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा भी जदयू प्रत्याशी अभिषेक झा को महंगी पड़ी।
अभिषेक ने 5 सांसदों से संपर्क नहीं किया
अभिषेक ने राजग के छह सांसदों में पांच से व्यक्तिग रूप से संपर्क ही नहीं किया। इस स्नातक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राजग के विधायकों से भी व्यक्ति संपर्क साधने की जरूरत नहीं समझी। शिवहर सांसद लवली आनंद, वैशाली की लोजपा सांसद वीणा देवी के अंतिरिक्त तीन सांसद एवं केंद्रीय मंत्री से समन्वय साधने में जदयू प्रत्याशी विफल रहे।
मुजफ्फरपुर के सांसद राजभूषण चौधरी, हाजीपुर सांसद चिराग पासवान एवं उजियारपुर सांसद नित्यानंद राय का क्षेत्र तिरहुत स्नातक क्षेत्र में पड़ता है। सिर्फ एक सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के भरोसे चुनावी बाजी जीतने की गलत फहमी जदयू प्रत्याशी की नाव डुबो दी। साहेबगंज विधायक राजू कुमार सिंह के अतिरिक्त राजग के कई अन्य विधायकों से भी उन्होंने संपर्क नहीं किया।
वरिष्ठ नेताओं का सहयोग भी नहीं लिया गया
वरिष्ठ नेताओं का सहयोग भी नहीं लिया गया। 28 विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले विधान परिषद के तिरहुत स्नातक क्षेत्र में राजग के 16 विधायक हैं। मुजफ्फरपुर स्थानीय प्राधिकार से जदयू के विधान पार्षद दिनेश सिंह से राजग प्रत्याशी की मुलाकात तक नहीं हुई। ऐसी ही शिकायत जदयू प्रत्याशी के प्रति अन्य विधायकों एवं विधान पार्षदों की है।
नियोजित शिक्षक एवं एएनएम आक्रोशित
2006 से कार्यरत नियोजित शिक्षक एवं एएनएम (आक्सिलरी नर्स मिडवाइफरी) की 18 वर्षों से उपेक्षा भी बड़ा मुद्दा रहा। दोनों ही वर्ग के संविदा कर्मियों में सत्ता पक्ष के प्रति अंदर-अंदर आक्रोश है।
शिक्षकों का आरोप है कि सरकार लगातार डेढ़ दशक उन्हें सिर्फ आश्वासन दे रही है। सक्षमता परीक्षा के बावजूद उन्हें प्रोन्नति देने का शासनादेश जारी नहीं किया। अब तबादले को उलझा रखा गया है।
यही नहीं, बीपीएससी शिक्षकों के सामने वरिष्ठता का भी ध्यान नहीं रखा गया। और तो और लगातार सरकार अपनी ही नियमावली और शासनादेश को समय-समय पलट रही है।
लागू करने और शिक्षकों को लाभ देन के बजाए कालबद्ध प्रोन्नति, सेवा निरंतरता, वरीयता का निर्धारण, राज्यकर्मी बनाने, उपादान का लाभ देने, भविष्य निधि आदि को आज तक कुछ स्पष्ट नहीं किया। ऐसी तमाम विसंगितयां राजग प्रत्याशी के विरुद्ध गया।
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