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    Pankaj Udhas: जब पंकज उधास को लालू ने दिए थे 10 हजार रुपये, गजल गायक ने खुश होकर कह दी थी ये बात

    Updated: Mon, 26 Feb 2024 09:14 PM (IST)

    पटना शहर से पंकज का गहरा रिश्ता रहा। उनसे जुड़े संस्मरण को साझा करते हुए बिहार संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डा. शंकर प्रसाद ने कहा कि पंकज का संबंध राजधानी के साथ-साथ प्रदेश के अलग-अलग जिलों से रहा। भगवान बुद्ध की तपोभूमि बोधगया में 1997 के आसपास पंकज उधास का कार्यक्रम था। उन्हें सुनने के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी थे।

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    जब पंकज उधास को लालू ने दिए थे 10 हजार रुपये (फाइल फोटो)

    प्रभात रंजन, पटना। लगभग चार दशक तक अपनी मखमली जादुई आवाज से लाखों लोगों का दिल जीतने वाले गजल गायक पंकज उधास नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद पंकज ने 72 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। गजल की दुनिया में अपना सिक्का चलाने वाले उधास के निधन से पटना के श्रोता भी उदास हो गए। पंकज उधास के चाहने वाले बिहार के आम से खास श्रोता थे। उन्होंने सुनने के लिए पूरी रात शहर के लोग जागते थे।

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    पटना शहर से पंकज का गहरा रिश्ता रहा। उनसे जुड़े संस्मरण को साझा करते हुए बिहार संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डा. शंकर प्रसाद ने कहा कि पंकज का संबंध राजधानी के साथ-साथ प्रदेश के अलग-अलग जिलों से रहा। भगवान बुद्ध की तपोभूमि बोधगया में 1997 के आसपास पंकज उधास का कार्यक्रम था। उन्हें सुनने के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी थे। कार्यक्रम के बाद उन्होंने 10 हजार रुपये पुरस्कार के तौर पर दिए थे।

    'इनता पैसा तो मुंबई में भी नहीं मिलता'

    इसे देख पंकज उधास ने कहा था इतना पैसा तो मुंबई में भी नहीं मिलता है। डा. शंकर प्रसाद बताते हैं कि सहरसा जिले में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मैं भी काला कुर्ता पहने थे और संयोग से पंकज उधास भी काला कुर्ता पहन मंच पर अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया था।

    बिहार संगीत नाटक अकादमी के पूर्व सहायक सचिव डा. विभा सिन्हा ने बताया कि सहरसा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उनके साथ जाने का अवसर मिला था। कार्यक्रम में उन्होंने नून मीम राशिद की गजल निकलो न बेनकाब जमाना खराब है, और उस पे ये शबाब, जमाना खराब है... गजल को पेश कर श्रोताओं की तालियां खूब बटोरी थीं।

    कार्यक्रम करने के बाद पटना लौटने के क्रम में पंकज उधास ने कहा था कि बिहार के आतिथ्य सेवा और श्रोताओं का प्रेम हमें कहीं नहीं मिलता। यहां के श्रोता कला प्रेमी होने के साथ अपनत्व का बोध कराते हैं। पंकज को प्रदेश की लोक संस्कृति के साथ यहां का खान-पान काफी पसंद आता था। वे जब भी पटना कार्यक्रम में आते तो यहां का लिट्टी-चोखा का भरपूर आनंद उठाते थे।

    गांधी मैदान में सुनने को उमड़ी थी भीड़

    पटना प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय व कला संस्कृति युवा विभाग की ओर से गांधी मैदान में बसंत उत्सव कार्यक्रम का आयोजन 2017 में हुआ था। इस दौरान पंकज उधास ने लोग तुमको गुलाब कहते हैं, और जान-ए-शबाब कहते हैं, आप जिनके करीब होते हैं वो बड़े खुशनसीब होते हैं... गीतों को पेश कर श्रोताओं का दिल जीता था। इस दौरान उन्होंने चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल.... न कजरे की धार, न मोतियों के हार... चिठ्ठी आई है आई है... गीत को पेश कर दर्शकों को आनंदित किए थे।

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