Bihar Police: पश्चिम चंपारण के SP पर कार्रवाई करने का आदेश, एक लापरवाही पड़ गई भारी; ये है मामला
Bihar Crime News पटना हाई कोर्ट ने पश्चिम चंपारण के एसपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस का उद्देश्य किसी व्यक्ति को झूठे केस में फंसाना नहीं बल्कि सच्चाई सामने लाना होना चाहिए। एसपी ने अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन नहीं किया और इस वजह से सीसीटीवी फुटेज नष्ट हो गया।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश से पश्चिम चंपारण के एसपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्देश बिहार के डीजीपी को दिया है।
न्यायाधीश बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने सुरेश यादव की आपराधिक रीट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस का उद्देश्य किसी व्यक्ति को झूठे केस में फंसाना नहीं बल्कि सच्चाई सामने लाना होना चाहिए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बेतिया के एसपी ने अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन नहीं किया और इस वजह से सीसीटीवी फुटेज नष्ट हो गया।
क्या है मामला
सुरेश यादव को 19 अप्रैल 2024 को बेतिया मुफस्सिल थाना कांड संख्या 180/2024 के तहत गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार, उनके पास से चार किलो चरस बरामद हुआ था।
इस मामले में दो अन्य लोग भी गिरफ्तार किए गए थे, जिन्होंने पूछताछ में सुरेश यादव का नाम लिया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता धनंजय कुमार ने कोर्ट को बताया कि सुरेश यादव की पत्नी ने तीन मई 2024 को एक आवेदन देकर मांग की थी कि घटना स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को सुरक्षित रखा जाए।
उसकी पत्नी ने दावा किया था कि उनके पति को झूठे आरोप में फंसाया गया है और सीसीटीवी फुटेज से सच्चाई सामने आ सकती है।
तथ्यों का अवलोकन कर पटना हाई कोर्ट ने पाया कि सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के लिए याचिका दायर की गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पुलिस ने दिया था ये तर्क
- पुलिस ने यह तर्क दिया कि फुटेज को एक निजी कंपनी द्वारा 20 दिनों तक ही संरक्षित रखा जाता है और इसके बाद आटोमेटिक डिलीट हो जाता है और इसे पुनः प्राप्त करना संभव नहीं था।
- इस पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस अधीक्षक, बेतिया ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया। पुलिस की यह निष्क्रियता जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है।
- हालांकि, कोर्ट ने आरोपी सुरेश यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया, लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि जांच प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए।
521 मद्यनिषेध सिपाहियों को वेतनमान सहित मिला उच्चतर प्रभार
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने एक साथ 521 मद्य निषेध सिपाहियों को सहायक अवर निरीक्षक (एसएसआइ) मद्यनिषेध के पद पर वेतनमान सहित उच्चतर प्रभार दिया है।
मंगलवार को विभाग ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है। उच्चतर प्रभार पाने वाले सभी सहायक अवर निरीक्षकों की जल्द ही पदस्थापना की जाएगी।
उच्चतर प्रभार पाने वाले ऐसे मद्य निषेध सिपाही हैं, जिनकी सेवा के सात साल पूरे हो चुके हैं और विहित योग्यता धारी हैं।
उत्पाद आयुक्त रजनीश कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित स्क्रीनिंग समिति ने उच्चतर प्रभार देने पर मुहर लगाई है, इसमें सामान्य प्रशासन विभाग के प्रतिनिधि समेत अन्य लोग शामिल थे।
विभागीय जानकारी के अनुसार, मद्य निषेध सिपाहियों को उच्चतर प्रभार दिए जाने से रिक्त हुए पदों को भरने के लिए जल्द ही सामान्य प्रशासन विभाग को रोस्टर क्लीयर कर अधियाचना भेजी जाएगी।
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