सिगरेट का धुआं उड़ाने वालों की मौज, दो दशक में ही 'कोटपा' की फूली सांस
सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) 2003 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन भागलपुर में इस कानून को लागू करने में घोर लापरवाही बरती जा रही है। होटल रेस्तरां सिनेमा हॉल मॉल समेत अन्य सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना और तंबाकू उत्पाद बेचना दोनों अपराध की श्रेणी में आते हैं लेकिन पुलिस की कार्रवाई यदा-कदा ही दिखती है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट अधिनियम कोटपा 2003 की धारा चार के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान को निषेध भले कर दिया गया, लेकिन इस कानून को अमल में लाने में घोर लापरवाही बरती जा रही है।
जबकि कोटपा कानून के तहत होटल, रेस्तरां, सिनेमा हॉल, मॉल समेत अन्य सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना, या तंबाकू उत्पाद बेचना दोनों अपराध की श्रेणी में लाए गए थे। उक्त कानून के अनुपालन की दिशा में पुलिस की कार्रवाई यदा-कदा ही आरंभ काल में दिखी।
2011 के बाद तो बंदी के कगार पर आ पहुंची। अब तो कोटपा अधिनियम की चर्चा मात्र से कई थानेदार मुंह बना भन्ना जाते। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि शराबियों को पकडूं या सिगरेट पीने वालों को ढूंढूं। 2011 के बाद से कोटपा अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीने वालों के विरुद्ध होने वाली जुर्माना की कार्रवाई शहरी थानाक्षेत्र में भी बंद के कगार पर पहुंच गई।
जगह-जगह दिख रही सिगरेट पीने वालों की बेशर्मी
अब जगह-जगह सिगरेट पीने वाले बेशर्मी से सिगरेट के धुएं का गुबार दूसरे पर भी उड़ाते निकल जाते हैं। टोबैको उत्पाद से नाता नहीं रखने वाले कुढ़ कर रह जाते हैं।
अभियान टांय-टांय फिस्स
तंबाकू उत्पादों से नाता तोड़ने को बीते साल डीएम सुब्रत कुमार सेन, सिविल सर्जन डॉ. अंजना कुमारी, डीएसपी आदि की मौजूदगी में 21 अगस्त 2023 को कोटपा अधिनियम को लेकर जागरूकता के लिए कार्यशाला आयोजित की गई थी। जिला स्वास्थ्य समिति की तरफ से कोटपा अधिनियम को लेकर प्रशिक्षण भी दिया गया था।
उस दौरान धूम्रपान करने से टीबी रोग होने और टीबी से होने वाली मौत का आंकड़ा भी पेश किया गया था, लेकिन कोटपा अधिनियम के अनुपालन की दिशा में जिलाधिकारी और एसएसपी स्तर से सख्ती करने वाली कोई बात सामने अबतक नहीं आ सकी है।
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