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बिहार से साइबर ठगी का पूरा गणित खोल देगा आपकी आंखें, पांच परसेंट में मैनेज करते हैं पूरा मामला

Cyber Fraud in Bihar साइबर ठगी के पैसे में सभी को ईमानदारी से मिलता है अपना-अपना हिस्सा शिकार फंसाने वाले को मिलती है सबसे अधिक रकम पैसा निकालने वाले के लिए भी फिक्‍स है परसेंट कमीशन शेखपुरा पुलिस ने किया खुलासा

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 12:39 PM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 12:39 PM (IST)
बिहार के शेखपुरा में साइबर ठगी का मामला। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

शेखपुरा, जागरण संवाददाता। Shekhpura Crime: बिहार का नालंदा जिला साइबर ठगों का सबसे महत्‍वपूर्ण ठिकाना है। इससे सटे नवादा, गया और शेखपुरा जिलों में भी यह अपराध तेजी से पनप रहा है। यहां बैठे ठग दिल्‍ली से लेकर पंजाब, हरियाणा, यूपी और मध्‍य प्रदेश सहित तमाम राज्‍यों के लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। शेखपुरा जिले के शेखोपुरसराय थाना क्षेत्र के एक दर्जन गांव को साइबर अपराधियों का हब माना जाता है। ये सभी गांव नालंदा जिले के कुख्यात साइबर हब कतरीसराय के आसपास के हैं। इन ठगों ने अपने धंधे में बकायदा अपना बजट बना रखा है, जिसमें पुलिस से बचने और फंस जाने पर कानून के शिकंज से निकल जाने तक के लिए पर्याप्‍त इंतजाम किया जाता है। हैरानी की बात यह भी है कि लोगों से ठगे केवल पांच फीसद रुपए ही इस पर खर्च किए जाते हैं।

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200 साइबर अपराधियों को भेजा जेल

शेखपुरा के पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा की सख्‍ती के बाद अब तक 200 से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है, परंतु साइबर अपराधी अपराध से बाज नहीं आ रहे है। आज हम आपको साइबर ठगों के गिरोह में पैसों का बंटवारा कैसे होता है, इसके बारे में बताएंगे। इन गिरोहों को स्‍थानीय राजनेताओं का भी संरक्षण रहता है, इसे पुलिस भी स्‍वीकार करती है। कई बार पुलिस भी इन गिरोहों से मिलीभगत कर लेती है।

सभी को मिलता है अपना-अपना हिस्सा

हाल ही में शेखोपुरसराय के थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार ने मोहब्बतपुर गांव से साइबर अपराध में आरोपित शंभु पासवान को गिरफ्तार किया। थानाध्यक्ष ने बताया कि यहां से एक दर्जन अपराधी भागने में सफल रहे। यह गिरोह प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बना रहा था। प्राथमिकी में साइबर अपराध के नेटवर्क के काम करने और सभी के अपने-अपने हिस्सेदारी की बात का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि इसी गांव के विनोद राम और जीतू राम एटीएम से पैसा निकालने का काम करते हैं। दोनों को ठगी के पैसे का 10 फीसद दिया जाता था।

झांसा में लेने पर 25 फीसद हिस्सा

साइबर अपराध के इस नेटवर्क में झांसा में लेने वाले युवक भी हिस्सेदारी लेते हैं और 25 फीसद उनका हिस्सा रहता है।  इसी गांव के नीरज पासवान, धीरज पासवान, सरोज चौधरी, मुनचुन, कुलदीप पासवान और सनी कुमार मौके से भागने में सफल रहे थे। यहीं से नालंदा जिले के मानपुर का राजीव कुमार भी  भाग निकला। थानाध्यक्ष ने जिक्र किया है कि इन लोगों को झांसे में लेकर पैसा ठगने के बदले 25 फीसद हिस्सा दिया जाता है।

पांच फीसद ही संरक्षण को

इस संबंध में सूत्र यह भी बताते हैं कि बड़े नेटवर्क में संरक्षण का काम भी किया जाता है। संरक्षण देने वाले  राजनीतिक संरक्षक भी होते हैं। उनके हिस्से 5 फीसद रहता है। इनकी जिम्मेदारी पुलिस से पकड़े जाने पर कानूनी पचड़े से बचाना और जेल से बाहर निकालने की रहती है। कुछ जगहों पर पुलिस को मैनेज करने की जिम्मेवारी भी इनकी होती है।

आर्मी जवान को ठगी का शिकार बनाया

मोहब्बतपुर गांव से शंभू द्वारा आर्मी जवान को ठगी का शिकार बनाया। प्रधानमंत्री मुद्रा लोन देने के नाम पर  32 हजार की ठगी की गई। मध्य प्रदेश के रीवा के रामनारायण के पुत्र देवेंद्र कुमार पठानकोट में आर्मी के जवान हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के नोएडा से शिवानी कुमार से 21 सौ प्रधानमंत्री मुद्रा लोन देने के नाम पर ठगी की गई।


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