Bihar Politics: चुनाव से पहले तेजस्वी को सता रहा एक बात का डर! सभी नेताओं को चेताया, बोले- पार्टी जीतेगी तो...
विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में राजद में गुटबाजी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि टिकट के दावेदारों की महत्वाकांक्षा पार्टी को नुकसान पहुंचा रही है। तेजस्वी ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे गुटबाजी भूलकर पार्टी की जीत के लिए काम करें।

रमण शुक्ला, पटना। विधानसभा चुनाव तैयारियों को लेकर फील्डिंग सजाने में जुटे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को मलाल है कि राजद को अपनों से ही मुंह की खानी पड़ रही है।
कार्यकर्ता दर्शन एवं संवाद यात्रा के समापन कार्यक्रम में तेजस्वी काय यह दर्द छलका था। उनका आकलन है कि टिकट के कई दावेदार होते हैं।
उनमें से किसी एक को टिकट मिलता है तो बाकी दावेदार उसे हराने में जुट जाते हैं। जबकि भाजपा या अन्य दलों में ऐसा नहीं होता है।
दूसरे दलों में नेता, पार्टी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता एकजुट-एकमत होकर प्रत्याशी की विजय सुनिश्चित करने में दिन-रात एक कर देते हैं।
इसका प्रमाण 2024 का लोकसभा और फिर पिछले साढे चार वर्ष में अभी तक संपन्न हुए 12 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का परिणाम है।
तेजस्वी ने पार्टी की समीक्षा बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि राजद नेताओं की अपनी राजनीति चमकाने की होड़ में प्रत्याशी की लुटिया डूब रही है। इसमें सबसे बड़ा कारण नेताओं की गुटबाजी सामने आई है।
तेजस्वी ने सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों की नब्ज टटोलने के बाद पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है कि आप लोग यह न देखें कि टिकट किसको मिला है।
आप सिर्फ पार्टी को देखिए, नेता के बारे में सोचिए। सभी विधायक नहीं बन सकते हैं। पार्टी जीतेगी, तो सभी का सम्मान रखा जाएगा। गुटबाजी भूल जाइए। तेजस्वी ने संकेत में गुटबाजी एवं कमजोरियों की ओर पार्टी नेताओं का ध्यान आकृष्ट किया।
टिकट के दावेदारों की महत्वाकांक्षा भारी
विधानसभा चुनाव 2020 के बाद दो विधानसभा क्षेत्रों कुशेश्वर स्थान और तारापुर में पहली बार 2021 में ही उप चुनाव कराने की नौबत आई। दोनों में से एक भी सीट महागठबंधन को हाथ नहीं लगी।
इसके बाद वर्ष 2022 में कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित राजद सदस्य अनिल सहनी को भ्रष्टाचार के आरोप में सदस्यता समाप्त चली गई थी।
कुढ़नी की रिक्त सीट पर उप चुनाव कराया गया जिसमें भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को जीत मिली थी। यह सीट भी राजद के हाथ से निकल गई।
वर्ष 2022 में ही गोपालगंज एवं मोकामा विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव कराना पड़ा था। गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित सदस्य सुभाष सिंह का असामयिक निधन हो गया था।
मोकामा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित राजद सदस्य अनंत सिंह की सदस्यता समाप्त हो गयी थी। ऐसी स्थिति में दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव कराना पड़ा।
अनंत सिंह की पत्नी उप चुनाव जीत कर एनडीए खेमे में आ गईं। वर्ष 2022 में ही बोचहां विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव कराया गया। यहां राजद उम्मीदवार अमर पासवान की जीत हुई।
अगिआंव विधानसभा सीट भी भाकपा माले के हाथ से निकल गई
2024 में लोकसभा चुनाव के साथ अगिआंव विधानसभा का भी उप चुनाव कराया गया। यह सीट भी महागठबंधन के घटक भाकपा माले के हाथ से निकल गई।
लोकसभा चुनाव 2024 में रूपौली, तरारी, रामगढ़, इमामगंज एवं बेलागंज की सीट रिक्त हो गई। इसमें रूपौली विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित सदस्य बीमा भारती ने जदयू से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाया। उनको हार का सामना करना पड़ा।
इन सीटों का हुआ नुकसान
इधर, लोकसभा चुनाव में तरारी विधानसभा के विधायक सुदामा प्रासद, रामगढ़ से निर्वाचित सदस्य सुधाकर सिंह, इमामगंज से निर्वाचित सदस्य जीतन राम मांझी और बेलागंज से निर्वाचित सदस्य सुरेंद्र यादव के सांसद निर्वाचित होने के बाद इन सीटों पर उप चुनाव कराया गया।
चार में तीन सीट महागठबंधन की थी। तीनों की हाथ से निकल गई। हार की समीक्षा में गुटबाजी एवं टिकट के दावेदारों की भीतरघात सामने आई।
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