Bihar Politics: '2015 के चुनाव वाले तेजस्वी नहीं रहे...', तेजस्वी यादव ने बताई चुनाव जीतने की सियासी चाल
दैनिक जागरण फोरम में तेजस्वी यादव ने बिहार के विकास और सामाजिक न्याय पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय एक विचारधारा है और बिहार में 94 लाख परिवारों की आय 6000 रुपये से कम है। तेजस्वी ने अपनी सरकार के कार्यों को गिनाया और नीतीश कुमार पर निशाना साधा। उन्होंने 2025 के चुनाव के बाद जेडीयू के वजूद पर भी सवाल उठाए।

राज्य ब्यूरो, पटना। तेजस्वी यादव अब 2015 के चुनाव वाले तेजस्वी नहीं रहे। उन्हें राजनीति की गहरी समझ है और वे अपने विरोधियों को करारा जवाब देना भी जानते हैं। वे अपनी राय स्पष्ट शब्दों में रखते हैं। वे साफ कहते हैं कि वे 14 करोड़ बिहारियों के हक की बात करते हैं।
20 साल के शासन के बाद भी लालू प्रसाद का नाम रटने को लेकर वे कहते हैं कि जब तक लालू चालीसा नहीं पढ़ेंगे, भूत-पिशाच नहीं भागेंगे। तेजस्वी यादव शनिवार को दैनिक जागरण फोरम में बदलते बिहार में सामाजिक न्याय विषय पर उप समाचार संपादक विकास चंद्र पांडेय के सवालों का जवाब दे रहे थे।
फोरम के दौरान उन्होंने बिहार के विकास पर बेबाकी से अपनी राय रखी और विकास के एजेंडे पर सरकार को घेरा भी।
तेजस्वी यादव से बातचीत के कुछ अंश
बदलते बिहार में सामाजिक न्याय की परिभाषा किस तरह अपना रंग बदल रही है, इस पर वे कहते हैं कि दरअसल सामाजिक न्याय एक विचारधारा है। जो भेदभाव और ऊंच-नीच के खिलाफ है। तेजस्वी पिछड़ा है तो पिछड़ा है और तेजस्वी सामंती है तो सामंती है। अगर हम भेदभाव के खिलाफ लड़ते हैं तो हमारी सोच सामाजिक है। मैं लालू जी के दौर के संघर्ष को सलाम करता हूँ। अगर मोदी जी को खुद को अति पिछड़ा कहना पड़ रहा है तो यह लालू जी की देन है।
वह कहते हैं कि आज बिहार में 94 लाख परिवारों की आय छह हज़ार रुपये से भी कम है। पिछड़ों के लिए काम करना हमारी लड़ाई है। हम 14 करोड़ लोगों की बात करते हैं। वह कहते हैं कि 2020 के चुनाव को देखिए। बेईमानी के बाद भी 12 हज़ार वोटों का अंतर था। हर वर्ग ने हमें वोट दिया।
अपनी 17 महीने की सरकार के काम के बारे में वह कहते हैं कि जब हमने साढ़े पाँच लाख नौकरियाँ दीं, तो क्या हमने किसी की जाति पूछी? जब आईटी नीति, खेल नीति, पर्यटन नीति बनी, तो क्या वह किसी जाति विशेष के लिए बनी थी। अगर शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया गया, तो क्या वह उनकी जाति देखकर दिया गया था।
नीतीश कुमार से फिर हाथ मिलाने के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष कहते हैं कि नीतीश कुमार अब कहीं नज़र नहीं आते। न तो वह नीति आयोग की बैठक में जाते हैं और न ही इन्वेस्टर मीट में।
यह उनका आखिरी चुनाव है। राज्य के खजाने से जुड़े एक सवाल पर तेजस्वी कहते हैं कि जो लोग ओवरड्राफ्ट की बात करते हैं, उन्हें अधूरा ज्ञान है। पहले कोई भी राज्य कर्ज़ नहीं ले सकता था। जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तो उन्होंने राज्यों के लिए कर्ज़ लेने की व्यवस्था की। आज देखिए, राज्य कितना कर्ज़ ले रहे हैं।
वह नीतीश कुमार की घोषणाओं पर भी सवाल उठाते हैं कि बिहार में की गई घोषणाओं में कितनी सच्चाई है। वह कहते हैं कि जब उन्होंने 2020 के चुनाव में 20 लाख रोज़गार देने की बात कही थी, तो सवाल उठे थे कि क्या वह अपने पिता के घर से पैसा लाएँगे। अब बताएं कि पैसा कहाँ से लाएँगे।
नीतीश कुमार के साथ रहते हुए उन्होंने आंतरिक संसाधन क्यों नहीं विकसित किए, इस पर तेजस्वी कहते हैं कि बिहार को पढ़ाई, कमाई, दवाई, सिंचाई की ज़रूरत है, लेकिन बिहार का पैसा बाहर जा रहा है।
श्रम मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए वह कहते हैं कि चार करोड़ लोग रोज़गार के लिए बाहर हैं, लोग पढ़ाई के लिए बाहर जा रहे हैं, इसलिए पैसा भी बाहर जा रहा है। अगर हम यहीं व्यवस्था कर दें, तो पैसा यहीं रहेगा।
उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार की सरकार में वे स्वास्थ्य मंत्री भी थे, लेकिन आपने बुनियादी ढांचा तो बनाया, लेकिन न डॉक्टर दिए और न ही कोई और व्यवस्था की। जबकि बिहार में मक्का, मखाना, लीची है, इनसे राजस्व कमाया जा सकता है।
नीतीश कुमार के साथ वापसी को लेकर तेजस्वी यादव का कहना है कि 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद जेडीयू का कोई वजूद नहीं रहेगा। यह तो पहले ही बीजेपी का एक सेल बन चुका है।
प्रशांत किशोर को अमित शाह के कहने पर पद मिलता है। अमित शाह खुद कह चुके हैं कि चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ा जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा, यह चुनाव के बाद तय होगा। जेडीयू का भविष्य खतरे में है।
एक सवाल पर तेजस्वी यादव ने कहा कि मांझी और चिराग एक-दूसरे को कोस रहे हैं, आगे क्या होगा, कौन कह सकता है। चिराग ने कानून-व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यही उनका अफसोस है, क्योंकि उनका मानना है कि मैं मंत्री होते हुए भी कुछ नहीं कर सकता।
चिराग मेरे साथ आएंगे या नहीं, यह बाद में देखा जाएगा। मैं अभी इस बारे में कुछ नहीं कह सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में उन्होंने कहा कि मैंने इतना झूठा प्रधानमंत्री कभी नहीं देखा। वह एक चीनी मिल नहीं चला पाए, लेकिन मैंने उसे 17 महीने में शुरू कर दिया।
तेजस्वी यादव चुनावी तैयारियों को लेकर भी अपनी राय रखते हैं और कहते हैं कि उनके मुद्दे पढ़ाई, कमाई, सिंचाई होंगे। वह पिछले चुनाव का भी ज़िक्र करते हैं और कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में हमारा प्रदर्शन बेहतर रहा था।
नीतीश कुमार ने आखिरी वक़्त में हमारी योजना को धोखा दिया, लेकिन हार-जीत तो होती रहती है। जो ग़लतियां हुई हैं, उन्हें हम सुधारेंगे। अपराध को लेकर भी नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर आक्रामक तेवर दिखाए और कहा कि आज कानून-व्यवस्था की क्या स्थिति है, ये सबको पता है। अपराधी शहंशाह और बादशाह बन गए हैं।
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