Bihar Politics: राबड़ी का आवास छोड़ ग्राउंड जीरो पर पहुंचा दही-चूड़ा भोज, अति-पिछड़ा वर्ग को साधने में जुटे तेजस्वी
Bihar Politics लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद राजद अब आने वाले विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए जमीनी पृष्ठभूमि मजबूत करने में जुट गई है। राजद (RJD) अब अपने कार्यक्रमों-समारोहों को प्रखंड स्तर पर कर रहा है। राजद सुप्रीमों लालू यादव के बेटे व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव विधानसभा चुनाव तक पार्टी को प्रखंड स्तर तक मजबूत करने में लगे हैं।
विकाश चन्द्र पाण्डेय, जागरण संवाददाता, पटना। विधानसभा चुनाव के पहले राजद जमीनी स्तर पर मजबूत पृष्ठभूमि तैयार करने का प्रयास कर रहा है। समापन की ओर पहुंच चुका राजद का कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम वस्तुत: संगठन में तेजस्वी यादव की स्वीकार्यता को निचले स्तर तक व्यापक करने की रणनीति रही है।
यह स्वीकार्यता जन-मानस में भी हो, इसके लिए राजद अब कार्यक्रमों-समारोहों तक का विकेंद्रीकरण कर रहा है। पहले जिन समारोहों का केंद्र राजधानी पटना हुआ करता था, उनका आयोजन अब छोटे-छोटे स्वरूप में जिला व प्रखंड स्तर पर होने लगा है।
राजद की रणनीति इस क्रम को बढ़ाते हुए विधानसभा चुनाव तक अपनी मजबूत संभावना की पृष्ठभूमि तैयार करने की है।
तेजस्वी के नेतृत्व में हो रहा बदलाव
राजद में रणनीतिक परिवर्तन के इस दौर का बीजारोपण वस्तुत: विधानसभा के पिछले चुनाव के दौरान ही हो गया था, जब अघोषित रूप से नेतृत्व तेजस्वी के हाथ आया था।
लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद नए प्रयोग व तौर-तरीकों से जुड़ी झिझक भी समाप्त हो गई। परंपरागत MY (मुसलमान+यादव) समीकरण के साथ अति-पिछड़ा वर्ग को थोड़ा-बहुत साधकर राजद संसद में चार सीटें पा गया।
समग्रता में महागठबंधन की उपलब्धि नौ सीटों की रही। उसके बाद से अति-पिछड़ा व अनुसूचित जाति के मतदाताओं को लुभाने का हर संभव प्रयास हो रहा। मिथिलांचल पर फोकस का असली कारण यही है।
संवाद कार्यक्रम से मजबूत कर रहे पृष्ठभूमि
अति-पिछड़ा वर्ग के दम पर कभी यहां राजद का मजबूत आधार हुआ करता था। उस वर्ग को साधने के उद्देश्य से ही तेजस्वी ने अपने संवाद कार्यक्रम की शुरुआत जननायक कर्पूरी ठाकुर के गृह जिला समस्तीपुर से की। पिछले वर्ष 10 सितंबर से यह कार्यक्रम शुरू हुआ था, जिसका आखिरी और नौवां चरण शेष रह गया है।
बहरहाल राजद अपने इस प्रयास से पूर्णतया आशान्वित है। यही कारण है कि इस बार कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर मुख्य समारोह पटना के बजाय मधुबनी जिला के फुलपरास में हुआ।
दही-चूड़ा भोज का आयोजन
फुलपरास उसी मिथिलांचल का अंश है, जहां 55 उप जातियों में विभाजित अति-पिछड़ा वर्ग को पचपनिया की संज्ञा मिली है। इससे पहले मकर संक्राति पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन भी जिला व प्रखंड स्तर तक हुआ।
पहले इसका केंद्र-बिंदु लालू-राबड़ी का आवास हुआ करता था। अब सांसदों-विधायकों से लेकर पार्टी के संपन्न नेताओं द्वारा दिए अपने-अपने गृहक्षेत्र में दिए गए भोज में स्थानीय लोगों को विशेषकर आमंत्रित किया गया।
स्नेह-निमंत्रण के इस क्रम में आगे रविदास जयंती और माह-ए-रमजान है। रविदास जयंती पर राजद की ओर से वंचित समाज के बीच छोटे-छोटे आयोजनों की चर्चा है।
यह कड़ी आगे इफ्तार पार्टियों तक बढ़ेंगी। इस तरीके से कार्यकर्ताओं में चुनावी चेतना जाग्रत करने और परंपरागत समर्थकों को उत्साहित करने के साथ राजद नए लक्षित वर्ग (अति-पिछड़ा व अनुसूचित जाति) को साधने का भरसक प्रयास भी करेगा।
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