Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Politics: ...तो इन जातियों का है पूरा 'खेल', तेजस्वी की बात इसलिए नहीं मान रहे राहुल

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 07:24 PM (IST)

    राजद नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा बताने में कांग्रेस की आनाकानी का कारण वोटों का गणित है। कांग्रेस सवर्णों और अनुसूचित जातियों को लुभाना चाहती है। तेजस्वी का नाम आगे करने से कांग्रेस को डर है कि सवर्ण और कमजोर जातियां उनसे दूर हो जाएंगी। राहुल गांधी क्षेत्रीय संतुलन बनाना चाहते हैं इसलिए कांग्रेस इस मुद्दे को टाल रही है।

    Hero Image
    तेजस्वी के नाम पर कांग्रेस की आनाकानी का एक कारण वोट भी

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। राजद नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा बताने से कांग्रेस की आनाकानी का एक बड़ा कारण वोटों का गणित भी है। तेजस्वी की छवि मुख्य रूप से यादव और मुसलमान मतदाताओं के बीच मजबूत है, जबकि कांग्रेस सवर्ण और अनुसूचित जाति के मतदाताओं को भी लुभाना चाहती है, जो अभी एनडीए की ओर झुके हुए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तेजस्वी का नाम पहले ही आगे कर देने से सवर्णों के साथ कमजोर उप-जातियों, विशेषकर अति-पिछड़ा, के कांग्रेस से बिदकने का डर है। इसलिए चुनाव संपन्न होने तक कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व तेजस्वी के नाम को शायद ही आगे करे।

    वस्तुत: यह रणनीतिक देरी है, फिर भी राजद की अकुलाहट बढ़ी हुई है। यही कारण है कि तेजस्वी अब संकोच छोड़ स्वयं को मुख्यमंत्री का चेहरा बताने लगे हैं। बुधवार को एक निजी पोर्टल से बातचीत के क्रम मेंं उन्होंने दोबारा अपना नाम आगे बढ़ाया। उससे पहले वोटर अधिकार यात्रा के दौरान आरा में उन्होंने अपने को मुख्यमंत्री का चेहरा बताया था, जिसका समर्थन समाजवादी पार्टी ने नेता अखिलेश यादव ने किया था।

    उत्तर प्रदेश में अखिलेश पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की राजनीति पर आगे बढ़ रहे, जिसको लेकर कांग्रेस सतर्क है। अल्पसंख्यकों के साथ अनुसूचित जाति के वोटों को लेकर कांग्रेस के लिए खींचतान की यही स्थिति बिहार में भी है। 1989 में हुए भागलपुर दंगे के बाद अंतर्द्वंद्व में उलझी कांग्रेस दोनों जाति वर्ग से दूर हो गई। अब वह खोये हुए जनाधार के लिए व्याकुल है।

    उसके एक बड़े अंश का नियंता राजद बना हुआ है और उसी आधार पर वह कांग्रेस को पिछलग्गू बनाए है। राहुल इसे बखूबी समझ रहे। उनकी रणनीति लोकसभा के अगले चुनाव को लेकर क्षेत्रीय संतुलन बनाने की है। ऐसे में वह महागठबंधन में किसी का दबदबा नहीं चाहते। मुख्यमंत्री पद को लेकर अनिश्चितता से उस दबदबे पर कुछ हद तक विराम लगता है, इसलिए कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव बाद के लिए टाल रही।

    वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल की एकमात्र प्रेस-वार्ता अररिया में हुई थी। वहां मुख्यमंत्री के चेहरे से संबंधित प्रश्न को वे इस करीने से टाल गए थे कि कांग्रेस का रुख भी सार्वजनिक न हो और ना ही महागठबंधन में भ्रम की स्थिति बने। इसके बावजूद राजद संशय में है, क्योंकि सीटों का समझौता अभी हुआ नहीं है। उसे अंदेशा है कि मुख्यमंत्री के चेहरे पर बात फंसाकर कांग्रेस सीटों पर बढ़त लेना चाहती है।

    कांग्रेस को डर है कि तेजस्वी के नाम पर हामी भरते ही सीट बंटवारे में उसकी स्थिति कमजोर हो जाएगी। इसका असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ सकता है। पिछले वर्षों में एनडीए के हो चुके अपने कोर वोटरों को वह शीर्ष नेतृत्व और साफ्ट हिंदुत्व के जरिये वापस लाने का प्रयास कर रही। इसीलिए तेजस्वी का नाम लेने के बजाय कांग्रेस स्थिति को खुला रखना पसंद कर रही।

    यह भी पढ़ें- नीतीश को ज्वाइन करने का प्रोग्राम टला, दिग्गज नेता की होनी थी JDU में एंट्री; मगर अंतिम समय में...

    यह भी पढ़ें- Bihar Politics: भाजपा छोड़कर राजद में आए 2 नेता, चुनाव से पहले बिहार में सियासी पारा हाई

    comedy show banner
    comedy show banner