Updated: Sun, 27 Jul 2025 10:49 PM (IST)
राजद नेता तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान के बिहार की विधि-व्यवस्था पर दिए गए बयान पर पलटवार किया। तेजस्वी ने कहा कि चिराग को कुर्सी से ज्यादा लगाव है और वे बिहार के लिए चिंतित नहीं हैं। उन्होंने बिहार की डबल इंजन सरकार को अपराध और भ्रष्टाचार का इंजन बताया और शराबबंदी पर समीक्षा करने की बात कही।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार की विधि-व्यवस्था पर नीतीश सरकार की आलोचना करने के अगले दिन रविवार को केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान राजद नेता तेजस्वी यादव के निशाने पर आ गए।
तेजस्वी ने कहा कि चिराग ने एक मंत्री और एनडीए सहयोगी के रूप में केवल अपनी कमजोरी दिखाई है। उनकी टिप्पणियों से पता चलता है कि उन्हें केवल अपनी कुर्सी से प्यार है और बिहार के लिए उनकी कोई वास्तविक चिंता नहीं है।
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इसी के साथ तेजस्वी ने आरोप लगाया कि बिहार में विधि-व्यवस्था मरणासन्न है। उल्लेखनीय है कि चिराग ने शनिवार को कहा था कि बिहार में पुलिस ने अपराधियों के सामने घुटने टेक दिए हैं। मुझे ऐसी सरकार का समर्थन करने का अफसोस है, जो ऐसे अपराधों को रोकने में असमर्थ है। बिहार की स्थिति वाकई डरावनी हो गई है।
इस पर तेजस्वी ने कहा कि चिराग बढ़ते अपराधों पर खेद व्यक्त कर रहे। इसका अर्थ है कि वे स्वीकार कर रहे कि सरकार का हिस्सा हैं, लेकिन खेद व्यक्त करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। उनकी चुप्पी और निष्क्रियता वस्तुत: उनकी प्राथमिकताओं को उजागर करती है।
चिराग को कुर्सी से ज्यादा लगाव
तेजस्वी ने कहा कि आप इस सरकार में हैं, जिसका एक इंजन भ्रष्टाचार का और दूसरा अपराध का है, और आप मात्र अफसोस जता रहे हैं। आपने क्या कार्रवाई की? इसका आशय है कि भ्रष्टाचार जारी रहेगा, लेकिन आप अपना पद नहीं छोड़ेंगे।
इससे पता चलता है कि आपको बिहार से कम और कुर्सी से अधिक लगाव है। इस डबल इंजन की सरकार का एक इंजन अपराध का है और दूसरा भ्रष्टाचार का। पिछले एक सप्ताह में राज्य में 100 से ज्यादा हत्या हुईं। सामूहिक दुष्कर्म हो रहा और सरकार कुछ कर नहीं पा रही।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने 70877 करोड़ रुपये से अधिक के उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) जमा नहीं करने पर बिहार सरकार की खिंचाई की है। 70000 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ है।
सत्ता मिली तो शराबबंदी की होगी समीक्षा
तेजस्वी ने कहा कि सत्ता में आए तो शराबबंदी की समीक्षा करेंगे। इसको लेकर कई तरह के प्रश्न उठते हैं, ऐसे में सरकार बनने पर बुद्धिजीवियों से इस पर चर्चा होगी। सरकार में जो लोग होंगे उनसे और अधिकारियों से भी विमर्श किया जाएगा। उसके बाद शराबबंदी पर आगे का उचित निर्णय लिया जाएगा।
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