Bihar Politics: बिहार में अलग मोर्चा बना रहे तेज प्रताप, बागी नेताओं का मिला साथ; तेजस्वी-राहुल की बढ़ी टेंशन
परिवार और पार्टी से निकाले गए तेज प्रताप यादव ने महागठबंधन के लिए नया मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने पांच छोटे दलों के साथ गठबंधन करके सामाजिक न्याय और बदलाव का नारा दिया है। इस मोर्चे में शामिल दल गुमनाम हैं लेकिन तेज प्रताप की मौजूदगी राजद को असहज कर रही है। महागठबंधन को वोटों के बंटवारे का डर है।

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। परिवार और पार्टी से से निष्कासित हो चुके तेज प्रताप यादव महागठबंधन के लिए नया बखेड़ा खड़ा करने में लग गए हैं।
पहले तो उन्होंने हसनपुर छोड़ महुआ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय दांव आजमाने के साथ टीम तेज प्रताप के कुछ सदस्यों को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की थी और अब पांच छोटे-छोटे राजनीतिक संगठनों के साथ एक नया मोर्चा बना लिया है।
इस बार आमने-सामने के दोनों गठबंधनों (एनडीए और महागठबंधन) से इतर यह पहला मोर्चा अस्तित्व में है। इसमें सम्मिलित सारे दल गुमनाम-से हैं और उनका कोई चुनावी रिकॉर्ड नहीं, लेकिन तेज प्रताप की उपस्थिति से राजद कुछ असहज है।
पांच अगस्त को तेजप्रताप ने विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी), वाजिब अधिकार पार्टी (वीएपी) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी) के साथ मोर्चा बनाने की घोषणा की।
पांचों दलों के अध्यक्ष और महासचिव के साथ प्रेस-वार्ता कर उन्होंने इस मोर्चे का उद्देश्य बिहार में 'सामाजिक न्याय, सामाजिक अधिकार और व्यापक बदलाव' बताया था। बिहार में सामाजिक न्याय की राजनीति का श्रेय लालू प्रसाद को जाता है और व्यापक बदलाव का नीतीश कुमार को।
तेज प्रताप इन दोनों के नेतृत्व वाले खेमों से दूरी बनाए रखने की मंशा जता रहे, जबकि बिहार का चुनावी इतिहास प्राय: दो ध्रुवीय ही रहा है। इससे स्पष्ट है कि तेज प्रताप वोटों की छीनाझपटी महागठबंधन से ही करेंगे।
वोटों के बिखराव से सशंकित है महागठबंधन
महागठबंधन पिछली बार 15 सीटों के अंतर से एनडीए से पिछड़ गया था। उनमें 11 सीटों पर हार दो हजार से कम मतों के अंतर से हुई थी। इसीलिए वह वोटों के बिखराव से सशंकित है।
अनुष्का यादव के साथ 12 वर्ष पुराने प्रेम-प्रसंग को सार्वजनिक करने के कारण तेज प्रताप को पिता लालू प्रसाद ने 25 मई को परिवार के साथ राजद से बाहर किया था। उसके बाद कुछ दिन तक शांत रहकर उन्होंने मेल-मिलाप की संभावना को बल दिया था, लेकिन धीरे-धीरे तेवर में तल्खी आती गई।
उन्होंने परिवार के साथ राजद में कुछ 'जयचंदों' के प्रभाव का आरोप लगाया। इस आरोप से स्पष्ट हो गया कि असली द्वंद्व प्रभुत्व का है। प्रभुत्व को लेकर तेजप्रताप पिछले चुनावों में भी कुलबुलाते रहे हैं। 2019 में तो उनके द्वारा उतार दिए गए प्रत्याशी के कारण ही जहानाबाद में राजद की हार हुई थी।
जहां-तहां ऐसे ही खरोंच की आशंका में राजद तेजप्रताप की गतिविधियों पर बारीक नजर रखे हुए है, क्योंकि इस बार तेज प्रताप को दूसरे बागी प्रदीप निषाद का साथ मिला हुआ है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से अलग होकर प्रदीप ने वीवीआईपी का गठन किया था।
वीआईपी अभी महागठबंधन का अंश है। इसीलिए इसे दोहरे आघात के साथ महागठबंधन मान रहा कि इस मोर्चा के लिए तेजप्रताप को प्रश्रय कहीं और से मिल रहा। ऐसे में उनकी हरकत की अनदेखी सहज नहीं।
अपनी चिंता ही असली कारण
राजद के कुछ नेताओं का कहना है कि तेज प्रताप की असली चिंता विधानसभा चुनाव में अपनी जीत है। महुआ महागठबंधन में राजद की सीट है।
अगर तेज प्रताप वहां निर्दलीय उतरते हैं तो राजद के साथ उनके लिए भी प्रतिकूल स्थिति होगी। कुछ यही स्थिति हसनपुर के संदर्भ में भी है, जहां से तेज प्रताप अभी विधायक हैं। समझौते के दबाव मेंं वे मोर्चा बनाने की पैंतरेबाजी कर रहे।
तेज प्रताप का मोर्चा
वीवीआईपी
हेलीकॉप्टर बाबा के नाम से चर्चित प्रदीप निषाद उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के निवासी हैं। 2017 से 2021 तक वे यूपी में वीआईपी का नेतृत्व करते रहे। हाल ही में उन्होंने अलग होकर वीवीआईपी का गठन किया है।
बीजेएम
इसकी शुरुआत भोजपुर राज्य की मांग के साथ हुई। 2023 में इसने राजनीतिक स्वरूप लिया। भरत सिंह इसके अध्यक्ष हैं।
पीजेपी
सारण जिला के मनोरंजन कुमार श्रीवास्तव पेशे से अधिवक्ता हैं। वे पीजेपी का नेतृत्व कर रहे।
वीएपी
विद्यानंद राम कभी जदयू में हुआ करते थे। बाद में उन्होंने वीएपी का गठन किया।
एसकेवीपी
किसानों के हक में आवाज उठाने के लिए इसका गठन हुआ था।
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