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    बिहार में दिलचस्प हुई सीटों की लड़ाई, छोटे भाई की भूमिका वाले तीन दलों की नजर BJP-JDU पर अटकीं

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 07:01 PM (IST)

    बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है जिससे छोटे दल इंतजार कर रहे हैं। जदयू 122 सीटों पर अड़ा है भाजपा चुप है। लोजपा (रा) 30 से ज्यादा सीटें मांग रही है हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा को भी 20 सीटें चाहिए। महागठबंधन के बाद एनडीए इस पर फैसला लेगा ताकि कोई दल गठबंधन से बाहर न हो।

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    बिहार में दिलचस्प हुई सीटों की लड़ाई। (फोटो जागरण)

    राज्य ब्यूरो, पटना। एनडीए के दो बड़े घटक दलों भाजपा और जदयू में अबतक विधानसभा की सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। लिहाजा छोटे भाई की भूमिका वाले तीन दल लोजपा (रा), हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता इन दोनों के बीच सीट बंटवारे का इंतजार कर रहे हैं।

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    अभी तक की सूचना के अनुसार जदयू अड़ा हुआ है कि उसे पिछले चुनाव की तरह 122 सीटें मिले। वह कह रहा है कि अन्य सहयोगी दल को सीट देने की जवाबदेही भाजपा की है। भाजपा इस पर चुप है। वैसे पिछली बार जदयू ने अपने कोटे की 122 में से सात सीटें हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा को दी थी

    विकासशील इंसान पार्टी को दी गई 11 सीटें भाजपा कोटे की थी। इसबार एनडीए में विकासशील इंसान पार्टी नहीं है। राष्ट्रीय लाेक मोर्चा और लोजपा (रा) नए घटक हैं।

    2020 में भाजपा और जदयू ने अपने हिस्से में से 18 सीटें सहयोगी दलों को दी थी। लेकिन, इसबार इतनी सीटों से काम नहीं चलेगा। क्योंकि गठबंधन में लोजपा (रा) भी है, जो लोकसभा चुनाव में जीती पांच सीटों के दम पर 30 से अधिक सीटों पर दावा कर रही है।

    हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा कर रहा इतनी सीटों की मांग

    उधर हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा भी कम से कम 20 सीटों की मांग कर रहा है। लोकसभा चुनाव में हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक सीट दी गई थी। जीतनराम मांझी चुनाव जीत कर केंद्र में मंत्री बने।

    उधर हारने के बाद रालोमो के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा में जगह मिली। सीटों की संख्या के बारे में उपेंद्र कुशवाहा कुछ नहीं बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसकी चर्चा उपयुक्त मंच पर हो रही है। कुशवाहा के दावे के विपरीत 15 से अधिक विधानसभा सीटों पर उनके उम्मीदवार सक्रिय हैं।

    यही हाल हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा और लोजपा (रा) का है। दोनों दलों के उम्मीदवार मैदान में कूद पड़े हैं। संभावना यह है कि महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे के बाद ही एनडीए इस अभ्यास में जुटेगा। ताकि कम सीट मिलने के नाम पर कोई घटक दल खिसक न पाए।

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