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    MLC बनाने के नाम पर लालू ने एक साथ तीन पुश्तों के नाम लिखा ली जमीन: सुमो

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Wed, 06 Sep 2017 11:29 PM (IST)

    सुशील मोदी ने नया आरोप लगाते हुए कहा कि एमएलसी बनाने के बदले कुमार राकेश रंजन से लालू यादव ने संपत्ति ली है। एकसाथ तीन पुश्तों के नाम पर जमीन लिखवा ली ...और पढ़ें

    MLC बनाने के नाम पर लालू ने एक साथ तीन पुश्तों के नाम लिखा ली जमीन: सुमो

    पटना [राज्य ब्यूरो]। राजद सुप्रीमो  लालू यादव कुनबे के खिलाफ उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी बुधवार को फिर एक नया मामला लेकर आए। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से रूबरू सुशील मोदी ने कहा कि लालू ने पूर्व एमएलसी कुमार राकेश रंजन को एमएलसी बनाने के बदले पटना में करोड़ों रुपये कीमत के दो प्लॉट की वसीयत तेजप्रताप और तेजस्वी यादव के नाम लिखवा ली।

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    उपमुख्यमंत्री ने तंज करते हुए कहा कि लालू ने एक साथ तीन पुश्तों के नाम संपत्ति की वसीयत बनवाकर इतिहास कायम कर दिया। उन्होंने मीडिया के समक्ष संपत्ति संबंधी  दस्तावेज भी सार्वजनिक किया। कहा कि कुमार राकेश रंजन को लालू ने 1999 से 2006 तक दो बार एमएलसी बनवाया और उसकी पूरी कीमत वसूली।

     

    बकौल मोदी, 12 मई 2005 लालू परिवार के लिए सौगात लेकर आया। उसी दिन केवल मो. शमीम ने ही नहीं बल्कि कुमार राकेश रंजन ने राबड़ी को पॉवर ऑफ अटर्नी द्वारा दो प्लॉट का मालिक बना दिया। फिर उसी दिन तेजस्वी और तेज प्रताप के नाम वसीयत भी कर दी। 

     

    यह सुखद संयोग है कि शमीम और कुमार राकेश रंजन ने स्वयं और अपनी पत्नी के नाम एक ही वर्ष 1994 में एक ही परिवार डॉ. रामाश्रय यादव से जमीन लिखाई और फिर शमीम और रंजन दोनों को लालू प्रसाद ने एमएलसी बनवाया।

     

    मो. शमीम और राकेश ने एक ही दिन स्वयं और अपनी पत्नी के 4 प्लॉट की पावर आफ अटार्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को दे दी। राबड़ी देवी उन चारों प्लॉट को अब अपनी संपत्ति बता रही है। उन्होंने चुनाव आयोग को दिए संपत्ति संबंधित ब्योरे में इन्हें शामिल कर रखा है।

     

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    मोदी ने कहा कि दिलचस्प यह है कि शमीम के दस्तावेजों पर राकेश रंजन गवाह हैं और राकेश रंजन के दस्तावेजों पर शमीम के हस्ताक्षर हैं। 

     

    उपमुख्यमंत्री ने सवाल किया कि आखिर क्यों राकेश रंजन और सीमा वर्मा ने अपनी इकलौती संतान के स्थान पर तेजस्वी और तेज प्रताप को वसीयत की। वसीयत के अनुसार तेज प्रताप व तेजस्वी की मृत्यु पर उनकी संतानें इस संपत्ति की मालिक होंगी।

     

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