Bihar News: बिहार में पुल गिरने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका को पटना हाई कोर्ट में किया ट्रांसफर
सुप्रीम कोर्ट ने पुल गिरने की घटनाओं से संबंधित जनहित याचिका को पटना हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया है। कोर्ट ने पुलों की सुरक्षा और स्ट्रक्चरल ऑडिट पर भी सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ता ने पुलों की मजबूती और सुरक्षा के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को हर महीने पुलों की सुरक्षा ऑडिट और मजबूती पर निगरानी करने का निर्देश दिया है।
जागरण टीम, पटना/नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में पिछले वर्ष पुल गिरने की विभिन्न घटनाओं को उठाने वाली और पुलों की सुरक्षा और स्ट्रक्चरल आडिट की मांग वाली जनहित याचिका को पटना हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया है।
कोर्ट ने संक्षिप्त सुनवाई में ऐसी घटनाओं पर होने वाली कार्रवाई पर भी सवाल उठाए। पीठ के एक न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि तीन पुल निर्माण के दौरान गिर गए और कुछ अधिकारियों को सस्पेंड कर काम चला लिया गया।
वकील बृजेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पिछले वर्ष याचिका दाखिल की थी जिसमें बिहार में एक एक बाद एक लगातार पुल गिरने की घटनाओं को उठाते हुए पुलों की मजबूती और सुरक्षा के लिए स्ट्रक्टचरल आडिट कराने की मांग की थी।
साथ ही मांग थी कि एक स्थाई समिति बनाई जाए जो पुलों का निरंतर रखरखाव देखे। इस याचिका पर कोर्ट ने पिछले वर्ष 29 जुलाई को बिहार सरकार, एनएचएआइ व अन्य को नोटिस जारी किया था।
बुधवार को संक्षिप्त सुनवाई में भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने जनहित याचिका को पटना हाई कोर्ट भेजते हुए कहा कि हाई कोर्ट पुलों की सुरक्षा आडिट और मजबूती के बारे में निगरानी कर सकता है। हर महीने निगरानी कर सकता है।
शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट में सुनवाई की 14 मई की तारीख तय करते हुए याचिकाकर्ता बृजेश ¨सह, राज्य प्राधिकरणों और एनएचएआइ को 14 मई को हाई कोर्ट में पेश होने को कहा है जहां आगे की तारीख हाई कोर्ट तय करेगा।
सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने कहा कि उसने राज्य में करीब 10,000 पुलों का निरीक्षण किया है। हालांकि याचिकाकर्ता बृजेश सिंह का कहना था कि पुल ढहने की घटनाएं हुईं लेकिन तीसरे पक्ष द्वारा निरीक्षण नहीं हुआ।
पीठ के न्यायाधीश संजय कुमार ने कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की कि तीन पुल निर्माण के दौरान ही गिर गए और कुछ अधिकारियों को सस्पेंड कर काम चला लिया गया।
कुछ दिनों में वह फिर नौकरी पर लौट आएंगे। बिहार सरकार के वकील ने कहा कि विभागीय जांच जारी है। इस पर पीठ ने हाई कोर्ट से विभागीय जांच की भी निगरानी करने को कहा।
कोर्ट ने एनएचआइ के जवाब पर जताया असंतोष
- पीठ ने कहा कि राज्य प्राधिकरणों द्वारा दाखिल किये गए जवाब देखे हैं, उसमें बताया गया है कि वे क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने एनएचआइ के जवाब पर असंतोष जताते हुए कहा कि इतना बड़ा जवाब है, लेकिन उसमें कोई तथ्य नहीं हैं।
- कोर्ट ने मामला हाई कोर्ट ट्रांसफर करते हुए रजिस्ट्री को आदेश दिया है कि तीन सप्ताह में याचिका की सभी फाइलें पटना हाई कोर्ट भेज दे।
राज्य के साढ़े तीन हजार से अधिक पुलों का बनेगा हेल्थ कार्ड: नितिन नवीन
उधर, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा है कि पुलों के रख रखाव की नीति अंतिम चरण में है। इसका मुख्य उद्देश्य समय पर पुलों का रखरखाव और मजबूतीकरण पर ध्यान देना है।
इसमें हर महीने पुलों की रियल टाइम मानिटरिंग की योजना प्रस्तावित है। इस मुद्दे पर विचार करने के लिए बुधवार को मंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई।
इसमें विभाग के एसीएस मिहिर कुमार सिंह, राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष शीर्षित कपिल समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।
बताया गया कि कैबिनेट की मंजूरी के लिए जल्द ही प्रस्ताव भेजा जाएगा। मंत्री ने कहा कि राज्य में करीब 3500 से अधिक छोटे-बड़े पुल है।
हमलोग जल्द इन पुलों का हेल्थ कार्ड बनाएंगे, जिसकी मदद से पुल की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी मिलती रहेगी।
इस कार्ड के जरिये पुलों पर होने वाले गड्ढे, जलजमाव, क्रैक समेत सभी त्रुटियों का समय पर पता लग पायेगा। संबंधित इंजीनियरों को इनकी मरम्मत के लिए जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
इस नीति को मंजूरी मिलने के बाद डिपार्टमेंट के इंजीनियरों की ट्रेनिंग होगी, ताकि नीति का कुशलतापूर्वक क्रियान्वयन हो सके।
इस नीति को बनाने में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रूरकी, आईआईटी मद्रास और आईआईटी पटना से मदद ली जा रही है।
उन्होंने कहा कि नई नीति से पुलों की उम्र बढ़ेगी। जनता की यात्रा भी सुगम होगी। हमलोग पुलों पर भारी वाहनों के ठहराव पर प्रतिबंध लगाने को लेकर बेहद सख्त हैं। इसे सभी संबंधित अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दे दिया गया है।
बिहार में बन रहे सड़कों-पुलों के निर्माण से राज्य को देशभर में एक नई पहचान बन रही है। एनडीए की सरकार प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
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