शराब की तस्करी बन गया है नोट तीन गुना करने का धंधा, तस्कर बन रहे 'रईस'
बिहार में शराबबंदी के बाद शराब की तस्करी कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने वाला धंधा बन गया है। तस्कर अब सीधे ग्राहकों तक शराब पहुंचा रहे हैं।
पटना [जेएनएन]। अपराधियों के लिए शराब की तस्करी नोट दोगुना और तिगुना करने का धंधा बन गई है। शराब के खेल में कई 'रईस' बन रहे हैं। काली कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्मगलर नोट गिनने वाली मशीन रख रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि पुलिस शराबियों पर कार्रवाई नहीं कर रही मगर रुपयों का लालच ऐसा ही है कि तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही। एक बोतल शराब मंगाने पर औसत 600 रुपये लागत है। यही माल सेल्स मैन के माध्यम से 1400 रुपये में बिक रहा है। झारखंड का माल है तो 1600 रुपये तक कीमत मिल रही है।
बीते मंगलवार को बख्तियारपुर के फोरलेन पर शराब से भरा कंटेनर और उसी रात पत्रकारनगर में वेटनरी के डॉक्टर के घर मिली 40 कार्टन शराब की खेप बरामद हुई। कंटेनर लावारिस हालत में मिला तो डॉक्टर के घर में तस्कर ने किराये का कमरा लेकर गोदाम बना रखा था। शराब की खेप के साथ पुलिस ने नोट गिनने वाली मशीन और चार तस्करों को गिरफ्तार भी किया। जो तय ग्राहकों तक शराब पहुंचाते थे। नए ग्राहक को सेट करने का काम दूसरा गिरोह कर रहा था।
छोटी गाडिय़ों से डिलीवरी
अब तक जो गिरफ्तारियां हुई है, उसके अनुसार सीमावर्ती क्षेत्र में सेटिंग कर दूसरे राज्य से कंटेनर और ट्रक से शराब मंगाई जा रही है। बिहार पहुंचते ही छोटी गाडिय़ों से अलग-अलग कारोबारियों तक शराब पहुंचाई जा रही है।
पुलिस की सख्ती देख कई अपराधी गिरोह तय ग्राहकों को सेट कर उन तक शराब पहुंचाने का ठेका भी ले रहे हैं। यूपी से आने वाली शराब छपरा और उसके आसपास के जिलों में डंप की जा रही है। एक सप्ताह पूर्व दानापुर से गिरफ्तार तस्कर की निशानदेही पर दीघा में भारी मात्रा में शराब बरामद हुई। शराब की खेप छपरा से लाई गई थी। तस्कर ने पुलिस को जानकारी दी थी वहां भारी मात्रा में शराब स्टोर की गई है।
नहीं है कार्रवाई का डर
पटना पुलिस ऑपरेशन क्लीन के तहत अब तक हुई आठ सौ से अधिक गिरफ्तारियां और विभिन्न राज्यों से निर्मित सैकड़ों बोतल अंग्रेजी शराब की बरामदगी बता रही है कि तस्करी के इस खेल में कई गिरोह काम कर रहे हैं। जेल जाने का जोखिम आसानी से मैनेज हो रहा है क्योंकि तस्कर मुंहमागी रकम अदा कर रहे हैं।
छोटे स्टेशनों पर उतार रहे शराब
ट्रेन से शराब लाने वाले कारोबारी अब पटना जंक्शन के बजाय हॉल्ट या छोटे स्टेशन पर उतर कर पतली गली पकड़ लेते हैं। बक्सर की ओर से आने वाले दानापुर, सचिवालय या फुलवारीशरीफ में उतर जाते हैं, तो गया की ओर से आने वाले परसा बाजार और पुनपुन स्टेशन को सुरक्षित मानकर शराब टपा रहे हैं। एक ट्रेन में कम से कम 40 से 50 वेंडर अलग-अलग कोच में शराब का कार्टन छिपाए बैठे होते हैं। ट्राली बैग या एयर बैग में बोतल भरी होती है।
परमिट चारा का, ट्रक में शराब
फतुहा के औद्यौगिक क्षेत्र स्थित दाल मिल से मद्यनिषेध विभाग एक हजार पेटी शराब बरामद कर चुका है। शराब हरियाणा से पशु चारा की परमिट पर चली और फतुहा तक आ गई। इस दौरान किसी चेक पोस्ट पर तैनात बिहार पुलिस को पता नहीं चला। सूत्रों की मानें सीमा पर चेकिंग के दौरान पुलिस को चकमा देने के लिए परमिट के नाम पर फर्जी पेपर तैयार किए जा रहे।
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शराब मामल में अभियान चलाकर सभी थाने की पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। शराब पीने और शराब रखने के मामले में दो मकान सील किए गए हैं। लापरवाह पुलिसकर्मियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
मनु महाराज, एसएसपी
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