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    Sharda Sinha: तीनों पद्म पुरस्कार पाने वाली लोकगायिका बनीं दिवंगत शारदा सिन्हा, बेटे अंशुमान ने जताई खुशी

    By Agency Edited By: Piyush Pandey
    Updated: Mon, 27 Jan 2025 09:31 AM (IST)

    Sharda Sinha बिहार कोकिला के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इस घोषणा से पूरा परिवार काफी खुश है। बेटे अंशुमान ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। अंशुमान सिन्हा ने कहा कि इस पुरस्कार ने निश्चित रूप से बिहार और राज्य के लोक संगीत और संस्कृति को गौरव दिलाया है। बिहार ने हमेशा ही मां को प्यार दिया।

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    शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने कहा- बिहार के लिए गौरव का क्षण। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, पटना। बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा को मरणोपरान्त पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया है।

    प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने रविवार को अपनी मां को पद्म विभूषण दिए जाने को ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि मां को इस सम्मान से नवाजे जाने से बिहार को अपार गौरव मिला है।

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    लोक संगीत में योगदान के लिए तीनों पद्म पुरस्कार

    अंशुमान ने कहा कि शायद यह पहला मौका है, जब किसी लोक गायिका को लोक संगीत में योगदान के लिए तीनों पद्म पुरस्कार- पद्म श्री, पद्म भूषण और अब पद्म विभूषण मिले हैं।

    अंशुमान सिन्हा ने कहा कि इस पुरस्कार ने निश्चित रूप से बिहार और राज्य के लोक संगीत और संस्कृति को गौरव दिलाया है। मेरी मां भोजपुरी, मैथिली और बज्जिका में लोकगीतों को लोकप्रिय बनाने में अपने अग्रणी प्रयासों के लिए जानी जाती थीं।

    पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित मां को अब कला में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है।

    'बिहार कोकिला' के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा को 'छठ' और 'कार्तिक मास इजोरिया', 'सूरज भइले बिहान' और बॉलीवुड हिट 'तार बिजली' और 'बाबुल' जैसे लोकगीतों के मधुर गायन के लिए जाना जाता था। पिछले साल नवंबर में 72 साल की उम्र में कैंसर से उनकी मौत हो गई।

    सुशील कुमार मोदी को मरणोपरांत पद्मभूषण

    बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को भी मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। राजनीति के क्षेत्र में करीब पांच दशक बिताने वाले मोदी को बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में उनके योगदान के लिए सराहा गया।

    सुशील कुमार मोदी को पद्म भूषण मिलने पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि मोदी जी ने राजनीति में करीब पांच दशक बिताए और राज्य विधानमंडल और संसद के दोनों सदनों में चुने जाने का दुर्लभ गौरव हासिल किया।

    उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की राजनीति में उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। वह हमारे लिए प्रेरणा थे और आने वाली पीढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणा बने रहेंगे।

    आचार्य किशोर कुणाल को भी पद्म श्री

    राज्य से एक और पद्म पुरस्कार विजेता आचार्य किशोर कुणाल हैं। आईपीएस अधिकारी से सामाजिक-धार्मिक कार्यकर्ता बने कुणाल को मरणोपरांत पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वे पटना में महावीर मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सचिव थे।

    बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने एक्स पर लिखा कि आदरणीय आचार्य किशोर कुणाल जी को पद्मश्री प्रदान करना एक ऐसे महान व्यक्तित्व को सच्ची श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया।

    उन्होंने समाज में हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दिया। चिकित्सा के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनके अथक संघर्ष और योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्हें पद्मश्री प्रदान करना हमारे समावेशी समाज और संवेदनशीलता के भारतीय मूल्यों के लिए भी एक श्रद्धांजलि है।

    चौधरी की बेटी शांभवी का विवाह कुणाल के बेटे से हुआ है और वह समस्तीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की लोकसभा सांसद हैं।

    राज्य से पद्मश्री से सम्मानित होने वाले अन्य लोगों में निर्मला देवी, भीम सिंह भवेश, हेमंत कुमार और विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी महाराज शामिल हैं।

    'मुसहर के मसीहा' को भी पद्मश्री

    'मुसहर के मसीहा' के नाम से मशहूर भवेश ने इस सम्मान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए मुझे चुनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी हूं।

    मैंने मुसहर समुदाय के उत्थान के लिए अथक काम किया है और यह सम्मान दूसरों को इस महत्वपूर्ण कार्य को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

    सुजनी कढ़ाई को किया जीवित

    निर्मला देवी को भी पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया। निर्मला देवी ने सुजनी कढ़ाई को पुनर्जीवित करने में दशकों बिताए हैं, उन्होंने भी सम्मान का जश्न मनाया। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए बहुत गर्व का क्षण है।

    यह कला रूप, जिसे मैंने अपनी मां से सीखा था, अब विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुका है और मुझे इस पारंपरिक शिल्प में दूसरों को प्रशिक्षित करने में मदद करने पर गर्व है।

    भूसरा महिला विकास समिति की संस्थापक के रूप में उन्होंने 1,000 से अधिक महिलाओं को सुजनी कढ़ाई में प्रशिक्षित किया है, जिससे उन्हें आजीविका मिल रही है।

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