सितंबर में होते 30 दिन, पर क्या हुआ कि 19 दिन में बीता यह महीना...जानिए
सितंबर का महीना शुरू होने के साथ ही इस महीने से जुड़े मिथक की चर्चा। ब्रिटेन में 1752 में सितंबर महज 19 दिनों का था। तब दो सितंबर के बाद सीधे 14 सितंबर आ गया था।
पटना [प्रमोद पांडेय ]। आज सितंबर का महीना शुरू हुआ है। यह साल का नौंवा महीना होता है लेकिन क्या हर दम एेसा था? एक समय एेसा भी था जब सितंबर साल का सातवां महीना होता था। इस महीने के बारे में एक और रोचक बात यह है कि एक साल एेसा भी आया जब दो सितंबर के बाद तीन सितंबर नहीं हुआ बल्कि सीधे 14 सितंबर आ गया। पूरी दुनिया चौंक गई। लोग सड़कों पर उतर आए थे। हां, एेसा सन 1752 में हुआ था।
सितंबर के बारे यह जानना भी जरूरी है कि यह फ्रेंच भाषा के सेप्ट का विस्तार है। रोमन साम्राज्य के शुरुआती कैलेंडर में इसे सातवां महीना ही माना गया था। तब साल में दस महीने होते थे। साल की शुरुआत मार्च से होती थी। मार्च, अप्रीलिस, मइयस, जुनियस, क्विंटिलिस, सेक्सटिलिस, सेप्टेंबर, ऑक्टोबर, नवंबर और दिसंबर ये थे साल के दस महीने।
ईसा पूर्व सन 45 में जूलियस सीजर ने जब जूलियन कैलेंडर की शुरुआत की तो जनवरी और फरवरी को महीने के तौर पर शामिल किया गया। इससे महीनों की संख्या 12 हो गई। एक बदलाव और हुआ। क्विंटिलिस की जगह पांचवे महीने का नाम जूलियस सीजर के नाम पर जुलाई और सेक्सिलिस की जगह छठे महीने का नाम ऑगस्टस सीजर के नाम पर अगस्त कर दिया गया।
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जुलाई-अगस्त के महीने भी विशेष
इन दोनों महान सम्राटों के नाम पर घोषित महीनों के बारे में तय हुआ कि इन महीनों में सबसे ज्यादा दिन यानी 31 दिन होंगे। जुलाई और अगस्त अकेले एेसे महीने हैं जो लगातार आते हैं लेकिन दिनों की संख्या इनमें आज भी 31 ही होती है। लेकिन जूलियन कैलेंडर के साथ भी कई दिक्कतें थीं। सौरवर्ष पर आधारित होेने के कारण यह मौसम से तालमेल नहीं बिठा पाता था।
1752 का सितंबर था काफी खास
पोप ग्रेगोरी तेरहवें ने 1582 में वर्तमान कैलेंडर की शुरुआत की। शुरू में इसे अपनाने से अधिकतर देश हिचकते रहे। सबसे बड़ा बदलाव 1752 में आया जब ब्रिटेन ने इसे मान्यता दी। इसके साथ ही यह लगभग आधी दुनिया का मान्य कैलेंडर हो गया। इस कैलेंडर को मान्यता सितंबर में ही मिली। इसके बाद तत्कालीन जूलियन कैलेंडर से मेल कराने के लिए नए कैलेंडर में सितंबर के 11 दिन खत्म कर दिए गए।
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2 सितंबर के बाद आया सीधे 14 सितंबर
ब्रिटिश साम्राज्य ने अधिसूचना जारी कर कहा कि 1752 में दो सितंबर के बाद तीन सितंबर नहीं बल्कि सीधे 14 सितंबर होगा। इस प्रकार उस साल सितंबर के ग्यारह दिन अतीत में खो गए। आज भी इसकी चर्चा होती है। ब्रिटिश इतिहासकारों ने इन ग्यारह दिनों के बारे में यह कहा कि इन ग्यारह दिनों में दुनिया में कुछ नहीं हुआ।
जब कैलेंडर लागू हुए तो ब्रिटेन के लोगों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। वे अपनी जिंदगी के ग्यारह दिन छिन जाने से दुखी थे। हांलाकि बाद में सबकुछ सही हो गया। सितंबर से ही दक्षिणी गोलार्ध में बसंत की शुरुआत होती है। कई देशों में स्कूली सत्र का आरंभ सितंबर से ही होता है।
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