Kharmas 2025: सतुआनी पर्व के बाद खत्म हुआ खरमास, अब बजेगी शहनाई; जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त
पटना में सतुआनी पर्व पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। खरमास खत्म होने के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो गए हैं। पंडितों के अनुसार अप्रैल से जून तक शादी-ब्याह के लिए कई शुभ तिथियां हैं। मिथिला और बनारसी पंचांग के अनुसार विवाह के लिए कई लग्न मुहूर्त हैं। बनारसी पंचांग के अनुसार 18 नवंबर से छह दिसंबर तक 13 लग्न हैं।
जागरण संवाददाता, पटना। सोमवार को शहर के दीघा घाट, एनआईटी घाट समेत अन्य घाटों पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। सतुआनी पर्व के मौके पर लोगों ने गंगा स्नान करने के बाद मंदिरों व घरों में पूजा अर्चना किया।
ज्योतिष आचार्य पीके युग ने बताया कि सूर्यदेव के अपनी राशि परिवर्तन कर स्वाति नक्षत्र व जयद योग में मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने पर मेष संक्रांति का पर्व मनाया गया।
उन्होंने बताया कि सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही खरमास (Kharmas 2025) का समापन हो गया। श्रद्धालुओं ने सतुआनी के मौके पर सत्तू, गुड़, आम प्रसाद के रूप में ग्रहण करने के बाद दान पुण्य किया।
मंगलवार को मिथिलांचल का लोक पर्व जुड़ शीतल पर्व आज विशाखा नक्षत्र व सिद्धि योग के उत्तम संयोग में मनेगा। पंडित राकेश झा ने बताया कि सूर्य की राशि परिवर्तन पर दान करने का विशेष महत्व है।
खरमास खत्म, अब गूंजेगी शहनाई:
सूर्यदेव के सोमवार को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करते ही खरमास समाप्त होने के साथ शादी-विवाह का सिलसिला आरंभ हो गया। अप्रैल से लेकर जून तक शादी-ब्याह समेत अन्य मांगलिक कार्य किए जाएंगे।
इसके बाद चार माह के लिए मांगलिक कार्य पर विराम लगेगा। एक नवंबर शनिवार को देवोत्थान एकादशी के बाद से लग्न आरंभ हो जाएगा। बनारसी पंचांग के अनुसार 18 नवंबर से छह दिसंबर तक 13 लग्न हैं।
शादी-ब्याह में प्रमुख ग्रहों की शुभता जरूरी
ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है, इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है।
शास्त्रों में शादी के शुभ योग के लिए नौ ग्रहों में बृहस्पति, शुक्र एवं सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि-गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभ फलदायी होते हैं । इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
मिथिला पंचांग में 22 तो बनारसी में 38 लग्न मुहूर्त
खरमास के बाद शादी-ब्याह का सिलसिला अब शुरू हो रहा है। पंचांगीय गणना के अनुसार, मिथिला पंचांग में चातुर्मास तक कुल 22 लग्न मुहूर्त है। बनारसी पंचांग में 38 मुहूर्त है।
विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक, अप्रैल में सात, मई में 11 व जून में चार मुहूर्त है। बनारस के महावीर पंचांग के अनुसार, अप्रैल में बारह, मई में 19 तथा जून में सात वैवाहिक लग्न है। इसके बाद चार महीने के लिए चातुर्मास लग जाएगा।
ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्त:
शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किसी एक का होना जरूरी है। नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक का रहना जरूरी है।
अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा।
तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
शादी-विवाह के शुभ लग्न मुहूर्त
मिथिला पंचांग के अनुसार
- अप्रैल: 16,18, 20, 21, 23, 25, 30
- मई: 1, 7, 8, 9, 11, 18, 19, 22, 23, 25, 28
- जून और जुलाई: 10, 11, 12
बनारसी पंचांग के मुताबिक
- अप्रैल: 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 25, 26, 29, 30
- मई: 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 28
- जून: 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8
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