RJD में कौन लेगा जगदानंद सिंह की जगह? चर्चा में आए 6 नाम, अब लालू-तेजस्वी के फैसले पर टिकी सबकी निगाह
बिहार में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ने की इच्छा के बाद पार्टी नए नेतृत्व की तलाश में है। इस लेख में हम छह संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा करते हैं जो जगदानंद सिंह की जगह ले सकते हैं। इनमें से कुछ नामों में आलोक मेहता मंगनी लाल मंडल रणविजय साहू मोहम्मद इजराइल मंसूरी कुमार सर्वजीत और शिवचंद्र राम शामिल हैं।

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। बढ़ती उम्र व गिरते स्वास्थ्य के कारण जगदानंद सिंह अब राजद के प्रदेश अध्यक्ष के दायित्व से मुक्ति चाह रहे। इस वर्ष विधानसभा का चुनाव भी है।
ऐसे में राजद नेतृत्व बिहार इकाई की कमान किसी ऐसे व्यक्ति को सौंपना चाह रहा, जो उसके परंपरागत सामाजिक समीकरण को एकजुट रखते हुए अपेक्षित जाति-वर्ग को भी जोड़ सके।
इसके साथ ही वह सुप्रीमो लालू प्रसाद का प्रिय भी होना चाहिए, जिसके नाम पर तेजस्वी यादव की कोई आपत्ति न हो। इस कसौटी पर जिन छह चेहरों की चर्चा है, उनमें से एक (आलोक मेहता) की गर्दन तक ईडी के हाथ पहुंच चुके हैं।
सबसे प्रबल दावेदार थे मेहता
- मेहता सबसे प्रबल दावेदार थे, लेकिन अब मायूस बताए जा रहे। वैसे तो राजद में दायित्व के लिए दाग से परहेज की कोई बाध्यता नहीं रही है, लेकिन चुनावी वर्ष में विरोधी खेमे के प्रश्नों की आशंका से अपनी पसंद को लेकर नेतृत्व सजग है।
- पटना में 18 जनवरी को राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक प्रस्तावित है। उसमें सांगठनिक चुनाव के संदर्भ में चर्चा संभावित है। विधानसभा उप चुनाव के बाद से ही जगदानंद सिंह प्रदेश कार्यालय नहीं आ रहे।
- हालांकि, पार्टी की गतिविधियों के संदर्भ मेंं फोन पर ही निर्देश दे-ले रहे। उनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि कार्यालय को व्यवस्थित करना और नेताओं-कार्यकर्ताओं को एक हद तक अनुशासित रखना है।
- उत्तराधिकारी के चयन में उनकी राय भी महत्वपूर्ण बताई जा रही। जगदानंद की कसौटी पर खरे नेताओं में एक मंगनी लाल मंडल भी हैं। राजद और जदयू में उनका विचरण समान भाव से रहा है।
इस बात की भी चर्चा
चर्चा है कि इस बार राजद में आए तो बड़ा दायित्व मिलेगा। इसका कारण समाजवादी पृष्ठभूमि व अनुभव के साथ उनका अति पिछड़ा वर्ग से होना भी है।
अपने माय (मुसलमान-यादव) समीकरण के प्रति राजद आज भी पूर्णतया आश्वस्त है, लेकिन इसके विस्तार के बिना सत्ता की प्राप्ति होने से रही।
इसी अपेक्षा में माय के साथ बाप (बहुजन-अगड़ा-आधी आबादी-गरीब) को भी अपना बताया जा रहा। लोकसभा के चुनाव में कुशवाहा समाज को अपने पाले में करने के प्रयास में लालू कुछ हद तक सफल भी रहे।
इसी ललक में सौम्य स्वभाव वाले मेहता पहली पसंद हैं। पिता तुलसीदास मेहता के समय से ही लालू परिवार से घनिष्ठता भी है और संसद से लेकर राज्य मंत्रिमंडल तक कामकाज का अनुभव भी।
अड़ंगा ईडी की ताजातरीन कार्रवाई से है, लेकिन कोर्ट से दोषी सिद्ध होने तक दावेदारी अक्षुण्ण बताई जा रही। विकल्प में प्रदेश के प्रधान महासचिव रणविजय साहू का नाम है, जो मोरवा से विधायक हैं।
मोरवा उत्तर बिहार का अंश है, जहां वैश्य समुदाय के बीच राजद की कभी गहरी पैठ थी। साहू उसी समाज से हैं। उत्तर बिहार से ही कांटी के विधायक मो. ईसराइल मंसूरी की भी चर्चा है।
जन सुराज ने भी बढ़ाई पार्टी की टेंशन
मुसलमानों में जन सुराज पार्टी की सेंधमारी की आशंका से पसमांदा समाज से आने वाले ईसराइल का नाम आगे बढ़ा है। मुसलमानों में पसमांदा की जनसंख्या सर्वाधिक है।
इनके अलावा मंत्री रह चुके कुमार सर्वजीत और शिवचंद्र राम भी दौड़ में बताए जा रहे। वे क्रमश: पासवान और रविदास समाज से हैं, जिसकी हिस्सेदारी अनुसूचित जाति में सर्वाधिक है।
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